स्त्री के लिए पुरूष सब, पुरूष के लिए स्त्री कुछ : मोरारी बापू

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फरीदाबाद, 28 मई मोरारी बापू द्वारा हूडा ग्राउंड में चल रही श्रीराम कथा का तीसरा दिन संपन्न हुआ। तीसरे दिन भी पंडाल में भक्तों का काफी उत्साह देखने को मिला, अलग-अलग शहरों से करीब 12 हजार लोगों ने श्रीराम कथा का आनंद  लिया। हरियाणा कैबिनेट मंत्री रामबिलास शर्मा और उनकी धर्मपत्नी, बीजेपी विधायक सीमा त्रिखा, मूलचंद शर्मा, कांग्रेस विधायक शारदा राठौर, ललित नागर भी श्रीराम कथा सुनने पहुंची। हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी मोरारी बापू का आशीर्वाद लिया।

‘जुड़ना टूटना मेरी आदत है,

मुझसे जुड़ोगे तो बिखर जाओगे

लेकिन मुझे पता है तुम मेरी बात नहीं मानोगे,

चले मैं ही टूट जाती हूं, तुम्हें टूटने से बचाने के लिए’

तीसरे दिन बापू ने भक्तों की ओर से आए जिज्ञासापूर्वक प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्हें सद्मार्ग दिखाया। भक्ति व्यभिचारी को नहीं करनी चाहिए इस प्रसंग पर बापू ने ज्ञानोदय किया। बापू ने कहा, व्याभिचारी को भक्ति का नहीं, व्याभचार का त्याग करना चाहिए। सौराष्ट्र का विशेष उल्लेख देते हुए बापू ने वहां की प्रचलित चींटी के ब्याह का भजन प्रस्तुत किया। इस दौरान उन्होंने अपने ही अंदाज में कहा कि, गुजराती में भजन है, आप सभी से अनुरोध है बस इसका आनंद लें, इसका मतलब न पूछें। बापू ने सभी को चतुराई छोड़कर कृपा प्राप्त करने को कहा। श्रीराम कथा के दौरान बाबा फरीद का विशेष उल्लेख देते हुए बापू ने उनके पाँच संबोधन पर प्रकाश डाला। पहला स्वयं से, दूसरा पर से, तीसरा ग्रंथ से, चौथा दरगाह से और पांचवां प्रभु से। बापू ने कहा खुद को रूपांतरित करना सीखें , परिवर्तित नहीं। पानी रूपांतरित नहीं होता, सिर्फ परिवर्तित होता है। पानी न दूध बनेगा, न जहर बनेगा, पानी मीठा होगा, खारा होगा, बादल बनेगा पर रहेगा पानी ही। इसी तरह गाय के थन से निकला दूध, प्रकाश बन जाता, दही बन जाता है, घी बन जाता है, लेकिन वापस कभी दूध नहीं बन सकता। मनुष्य की पानी की तरह की है। थोड़ी देर के लिए गम हुए फिर अविरल हो गए, इसलिए खुद को परिवर्तित नहीं करना, सिर्फ रूपांतरित करना है। ऐसे ही हम और आप रूपांतरित हो जाएं, ईर्ष्या भूलें कि फिर से ईर्ष्या आ ही न पाए। जब चतुराई रहित बुद्धि में हरि की करुणा आएगी, तब हम आप ऐसे ही रूपांतरित होंगे। भारत जैसा चिंतन कहीं नहीं हुआ, भारत जैसा सद्ग्रंथ कहीं नहीं है।

कथा की सोच और उत्तम व्यव्स्था के लिए बापू ने मानव रचना शैक्षणिक संस्थान का एक बार फिर आभार किया। उन्होंने कहा कि, आजतक उन्होंने इस तरह की व्यवस्था नहीं देखी है, लोग इस इंतजाम को देखकर ईर्ष्या कर रहे हैं, उन्हें करने दो। इतने लोगों को लिए ऐसा इंतजाम करना बहुत बड़ी बात है। बापू ने कहा, ‘दो हाथ से नर बनकर कमाना, चार हाथ से नारायण बनकर बांटना’। कथा के दौरान बापू के भजनों पर पूरा पंडाल झूम उठा। आपको बता दें, श्री राम कथा को लेकर सभी भक्तों के लिए उत्तम व्यवस्था की गई है। भक्तों की सुविधा के लिए निशुल्क बस सेवा और कथा के बाद सभी के लिए भंडारा रखा गया है।

 

 

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