Chandigarh News : बलात्कार मामले में दोषी करार दिए गए डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम ने अपने खिलाफ सीबीआई अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए इसे रद्द किए जाने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने इसे एडमिट करते हुए आज सीबीआइ को नोटिस जारी किया है। इसके अलावा यौन शोषण का शिकार उन दो साध्वियों ने भी हाई कोर्ट में अपील दायर की थी कि डेरा प्रमुख की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील किया जाए। इसे भी हाई कोर्ट ने एडमिट करते हुए सीबीआइ को नोटिस जारी किया है।
सुनवाई के दौरान डेरा प्रमुख के वकील की तरफ से जुर्माने की राशि पर रोक की अन्तरिम राहत देने की मांग की गईं। कोर्ट ने इस मांग को अस्वीकार करते हुए जुर्माने व मुआवजा की राशि सीबीआई कोर्ट में जमा करवाने को कहा है। सीबीआई कोर्ट ने डेरा प्रमुख को 30 लाख का जुर्माना लगाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि अपील का निपटारा होने तक साध्वियों को मुआवजा नहीं दिया जाएगा। जुर्माने की राशि एफडीआर के तौर पर किसी भी नेशनल बैंक में जमा रहेगी।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी गुरमीत ने अपील दायर की थी, लेकिन उस पर कोर्ट की रजिस्ट्री ने तकनीकी आपत्ति लगाते हुए उसे खारिज कर दिया था। गुरमीत राम रहीम ने सीनियर एडवोकेट एसके गर्ग नरवाना के जरिये दायर अपील में कहा था कि सीबीआइ अदालत ने बिना उचित साक्ष्यों और गवाहों के उसे दोषी ठहराते हुए सजा सुना दी है। डेरा मुखी ने कहा कि पहले तो इस मामले में एफआइआर ही 2-3 साल की देरी से दायर की गई। एक गुमनाम पत्र के आधार पर दर्ज की गई एफआइआर में शिकायतकर्ता का नाम तक नहीं था।
इसके अलावा पीडि़ता के बयान भी सीबीआइ ने छह वर्षों के बाद रिकॉर्ड किए थे। अपनी अपील में डेरा मुखी ने कहा कि दोनों पीड़िता सीबीआइ के संरक्षण में थी, ऐसे में प्रॉसिक्यूशन का उन पर दबाव था। गुरमीत सिंह ने कहा कि अदालत ने उसके पक्ष के साक्ष्यों और गवाहों पर गौर ही नहीं किया। यहां तक कि सीबीआइ ने उसके मेडिकल एग्जामिनेशन तक की जरूरत नहीं समझी। इन सभी आधार पर डेरा मुखी ने अपने खिलाफ सुनाई गई सजा को रद्द कर सभी आरोपों को खारिज जाने की मांग की है ।