Faridabad News, 23 Sep 2018 : शहर में पिछले 11 दिनों से विराजित गणपति भगवान को शहरवासियों ने ‘गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ’ की कामना से भावभीनी विदाई दी। कई स्थानों पर रविवार को गणपति की सुबह विधिवत पूजा के बाद उन्हें विसर्जन के लिए कालिंदी कुंज और आगरा नहर पर ले जाया गया। बाजारों में भक्तों ने ढोल की थाप पर नाचते-गाते हुए जुलूस निकाला। श्रद्धालुओं ने शोभायात्राओं में जमकर गुलाल खेला।
गणपति के विसर्जन के साथ रविवार को गांधी कालोनी के सार्वजनिक श्री गणेशोत्सव का समापन हो गया। अपराह्न 12 बजे गणपति को विदाई दी गई और गांधी कालोनी से हार्डवेयर चौक तक शोभायात्रा निकाली गई। सुधाकर पांचाल और राजेंद्र पांचाल ने विदाई से पहले गणपति की विधिवत पूजा की। श्रद्धालु परिवार सहित जुलूस में शामिल रहे और उड़ते गुलाल के बीच जमकर नृत्य किया।
एनएच 1ए. ब्लाक से भगवान गणपति जी को विदाई दी गई। रेजीडेंटस वैलफेयर एसोसिएशन के तत्वावधान में बीती 13 सितंबर को गणपति भक्त अनिल कोहली एवं नीरू कोहली के निवास पर भगवान गणपति की प्रतिमा स्थापित की गई थी। रविवार को धूमधाम से ढोल-नगाड़ों के बीच भगवान गणपति को विसर्जन के लिए विदाई दी गई। इससे पहले प्रातकाल: में गणपति जी की भव्य पूजा-अर्चना की गई और तत्पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। भंडारे में हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
एस्कार्टस प्लांट -एक में धार्मिक कमेटी के पदाधिकारियों सरदार गुरमीत सिंह,जयवंश, रविकांत शर्मा, दुष्यंत मंगला, मंदिर पुजारी बनबिहारी नायक, विवेक, देवेन्द्र, रणजीत सिंह ने कपंनी में बने मंदिर से गणपति विसर्जन यात्रा धूमधाम से निकाली। विर्सजन यात्रा रवाना होने से पूर्व मंदिर में पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। सभी ने एक दूसरे को गुलाल लगाया। इस अवसर पर सरदार गुरमीत सिंह ने कहा कि गणेश उत्सव सिर्फ महाराष्ट्र में नहीं पूरे देश और विश्वभर में मनाया जाता है। गणेश उत्सव राष्ट्र को जोड़ने के लिए हर सप्रंदाय का व्यक्ति मनाता है। मंदिर के पुजारी बनबिहारी नायक ने कहा कि गणपति भगवान विघ्नहर्ता हैं, जो हर किसी के कष्ट को हर लेते हैं।
श्री सनातन धर्म सभा द्वारा बांके बिहारी मंदिर में गणेश विसर्जन यात्रा निकाली गई। 14 सितंबर को गणपति भगवान जी मंदिर में स्थापित किए गए थे। इसके बाद से प्रतिदिन विधि विधान से पूजा-अर्चना की गई। नियमानुसार आज गणपति विसर्जन किया गया। सुबह हवन हुआ। इसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया। फिर खुशी खुशी गणपति जी को ढोल बजाते हुए विदाई दी।