नवरात्रों के तीसरे दिन वैष्णोदेवी मंदिर में की गई मां चंद्रघंटा की भव्य पूजा

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Faridabad News, 12 Oct 2018 : शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन सिद्धपीठ महारानी श्री वैष्णोदेवी मंदिर में मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की भव्य पूजा अर्चना की गई। प्रातकालीन आरती में हजारों भक्तों ने मां के जयकारों के बीच मां चंद्रघंटा की पूजा की। इस अवसर पर मंदिर के पुजारियों ने भक्तों को मां की महिमा से अवगत करवाया।

मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने पूजा अर्चना का शुभारंभ करवाया। इस अवसर पर मंदिर में उद्योगपति आर. के बत्तरा, सुरेंद्र गेरा एडवोकेट, कांशीराम, अनिल ग्रोवर, नरेश, रोहित, बलजीत भाटिया, अशोक नासवा, प्रीतम धमीजा, सागर कुमार, गिर्राजदत्त गौड़, फकीरचंद कथूरिया नेतराम एवं राजीव शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने भक्तों को बताया कि नौ दिनों तक मनाई जाने वाली मां शेरावाली के इस पर्व के दौरान मां के 9 रूपों की पूजा की जाती है। इस बार नवरात्रि की शुरुआत 10 अक्टूबर से हुई, जो 18 अक्टूबर तक चलने वाली है। 18 अक्टूबर को नवरात्रि का आखिरी दिन होगा, इसके बाद 19 अक्टूबर को वियजदशमी मनाई जाएगी।

उन्होंने बताया कि दुर्गा माता का यह तीसरा रूप राक्षसों का वध करने के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि यह अपने भक्तों के दुखों को दूर करती हैं। इसीलिए इनके हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा और धनुष होता है। इनकी उत्पत्ति ही धर्म की रक्षा और संसार से अंधकार मिटाने के लिए हुई। मां चंद्रघंटा और इनकी सवारी शेर दोनों का शरीर सोने की तरह चमकीला होता है। दसों हाथों में कमल और कमडंल के अलावा अस्त-शस्त होते हैं । माथे पर बना आधा चांद इनकी पहचान होता है। इस अर्ध चांद की वजह के इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए खासकर लाल रंग के फूल चढ़ाएं जाते हैं। इसके साथ ही फल में लाल सेब चढ़ाएं. भोग चढ़ाने के दौरान और मंत्र पढ़ते वक्त मंदिर की घंटी जरूर बजाएं. क्योंकि मां चंद्रघंटा की पूजा में घंटे का बहुत महत्व है। मान्यता है कि घंटे की ध्वनि से मां चंद्रघंटा अपने भक्तों पर हमेशा अपनी कृपा बरसाती हैं। श्री भाटिया ने कहा कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं।

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