देश में शिक्षा पद्धति गुणात्मक व संस्कारित होनी चाहिए : मुख्यमंत्री मनोहर लाल

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Faridabad News, 23 Nov 2018 : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि देश में शिक्षा पद्धति गुणात्मक व संस्कारित होनी चाहिए, जिसमें नैतिकता, देशभक्ति, समाज निर्माण व जीवन मूल्यों जैसे गुण शामिल हों। बदलते दौर में शिक्षा पद्धति में भी बदलाव की काफी जरूरत महसूस होने लगी है। भारतीय शिक्षण मंडल भविष्य में शिक्षा व्यवस्था को स्वावलम्बी शिक्षा बनाने के उद्देश्य से लगातार प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री शुक्रवार को एक्लोन इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्रोलॉजी कबूलपुर के प्रांगण में भारतीय शिक्षण मंडल की ओर से आयोजित पूर्ण मंडल से स्वर्ण जयंती राष्ट्रीय अधिवेशन में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये शिक्षाविद्धों को संबोधित कर रहे थे। यह तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन 25 नवंबर तक आयोजित होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन बहुत ही पवित्र है, जिसे हम गुरूनानक पूर्णिमा के रूप में मना रहे हैं। इस वर्ष गुरूनानक जी का 550वां जयंती वर्ष भी पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा मंडल के सदस्य तीन दिन तक शिक्षा व्यवस्था के मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए जिस स्थान पर एकत्रित हुए हैं, वह स्थान पवित्र यमुना नदी के किनारे स्थित है। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था पर विचार-विमर्श होना जरूरी है। शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हम इंफ्रास्ट्रक्चर तो बढ़ा देते हैं, परन्तु साथ ही जरूरत होती है वातावरण सुधारने की भी। शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव के लिए समाज का योगदान भी अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि आज जनता ने मौका दिया है तो उनका प्रयास है कि शिक्षा व्यवस्था को गुणात्मक बनाने की दिशा में अधिक से अधिक काम किया जाये। भौतिक विकास के साथ-साथ सामाजिक विकास भी जरूरी है। समाज में समय-समय पर अनेक परिवर्तन होते हैं, जिसमें शिक्षा की बड़ी भूमिका रहती है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी समाज निर्माण व समाज उत्थान के क्षेत्र में अद्वितीय भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान अब ज्ञान देने तक सीमित हो गए हैं, परन्तु जरूरत है कि ज्ञान के साथ-साथ गुणों से भरपूर शिक्षा दी जाये। गुणात्मक शिक्षा के बल पर ही समाज से अच्छे नागरिक निकलेंगे, जिससे समाज में भी स्वच्छता आयेगी। ऐसी शिक्षा के बल पर गलत व्यक्ति की आंतरिक भावना भी जागेगी और वह भी गलत कार्य करने से हिचकिचायेगा। नैतिक व संस्कारित शिक्षा के बल पर ही भारत एक बार फिर विश्व गुरू बनने की राह की ओर अग्रसर है।
हरियाणा के उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि प्राचीन समय में हमारे देश में देश प्रेम व संस्कृति से ओतप्रोत शिक्षा पद्धती थी तथा नागरिकों का चरित्र ऊंचा था। शिक्षा के इन्हीं गुणों के बल पर ही भारत विश्व गुरू बना। देश व समाज को कमजोर करने के लिए ही अंग्रेजों ने शिक्षा पद्धति को बदलकर मानसिक गुलामी वाली शिक्षा पद्धति लागू की। अब समय आ गया है कि अंग्रेजों की मानसिक गुलामी वाली शिक्षा पद्धति को बदला जाए तथा गुणों से भरपूर व संस्कारित शिक्षा पद्धति लागू की जाए। उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में गुरूकुलों में व्यक्ति निर्माण, समाज निर्माण जैसी शिक्षा पद्धती थी। भारतीय शिक्षण मंडल भी गुरूकल शिक्षा पद्धती को आगे बढ़ाने की दिशा में बेहतर कार्य कर रहा है।
भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल की स्थापना वर्ष 1969 में शिक्षा क्षेत्र में राष्ट्रीय  पुनरुत्थान के उद्देश्य से की थी। उन्होंने कहा कि मंडल द्वारा प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक सभी स्तरों पर विभिन्न शैक्षिक, बौद्धिक व प्रायोगिक गतिविधियों का संचालन देश के सभी प्रांतों में किया जाता है। मंडल द्वारा भारत की शिक्षा में अनुसंधान में उद्देश्य व पद्धति में समग्र रूपांतरण के लिए प्रयासरत है। इसके लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों में शोधकर्ताओं व विशेषज्ञों के लिए आनंदशालाओं का आयोजन किया जाता है। मंडल की प्रांत व जिला स्तर पर इकाइयां स्थापित हैं तथा गत वर्ष से विश्वविद्यालय स्तर पर भी इकाइयां शुरू की गई हैं। भारत में 24 राज्यों के 268 जिलों तथा 78 विश्वविद्यालयों में शिक्षण मंडल की इकाइयां बनाई गई हैं। साप्ताहिक वैचारिक एकत्रिकरण शिक्षण मंडल की नियमित कार्यपद्धति है। मंडल की ओर से शैक्षिक प्रकोष्ठ, अनुसंधान प्रकोष्ठ, महिला प्रकल्प, शालेय प्रकल्प, गुरूकुल प्रकल्प व युवा आयाम जैसी गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। कार्यक्रम के दौरान अनेक पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया। इस मौके पर  राष्ट्रीय  स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश (भैयाजी) जोशी भी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
इससे पूर्व शिक्षण मंडल के प्रांत अध्यक्ष डा. दिनेश कुमार ने कहा कि फरीदाबाद शिक्षा का विस्तृत क्षेत्र है। यहां अनेक उच्च कोटि के शिक्षण संस्थान व विश्वविद्यालय स्थापित हुए हैं। वाईएमसीए को महान वैज्ञानिक डा. जगदीश चंद्र बोस के नाम से पहचान दी गई है। इसी प्रकार बल्लभगढ़ मेट्रो स्टेशन का नाम भी राजा नाहर सिंह मेट्रो स्टेशन तथा दूसरे का संत सूरदास किया गया है। उन्होंने कहा कि आगामी तीन दिनों तक शिक्षाविद्धों की ओर से इस अधिवेशन में शिक्षा व अनुसंधान में हो रहे कार्यों व बदलाव की जरूरत पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
इस मौके पर भारतीय शिक्षण मण्डल के प्रान्त मंत्री पुष्पेन्द्र राठी, डा. वामन वासुदेव, प्रो. अशोक मोडक, गोगटे, विधायक मूल चन्द शर्मा, विधायक सीमा त्रिखा तथा विधायक टेक चन्द शर्मा, महापौर सुमनबाला, वरिष्ठï उपमाहपौर देवेन्द्र चौधरी, जिला परिषद के चेयरमैन विनोद चौधरी, उपायुक्त अतुल कुमार, एसडीएम सतबीर मान, जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा तथा भूमि विकास बोर्ड के चेयरमैन अजय गौड़ प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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