तिगांव क्षेत्र की उपेक्षा को लेकर फिर विधानसभा में गरजे विधायक ललित नागर

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Faridabad News, 22 Feb 2019 : हरियाणा विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन फरीदाबाद जिले के एकमात्र कांग्रेसी विधायक ललित नागर ने जहां तिगांव विधानसभा क्षेत्र के प्रति सरकार द्वारा बरते जा रहे भेदभावपूर्ण रवैये पर सदन मेें अपने हाथों में कागज लहराते हुए मनोहर लाल कैबिनेट पर जमकर गरजे। वहीं नागर ने तिगांव क्षेत्र के 19 गांवों के किसानों की जमीन के मुआवजे का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया। इस दौरान श्री नागर ने सरकार को घेरते हुए कहा कि जहां देश का अन्नदाता किसान पिछले करीब 15 महीने से अपनी जमीन के मुआवजे को लेकर आईएमटी के समक्ष धरना प्रदर्शन कर रहा है वही तिगांव क्षेत्र के 19 गांवों के किसानों के बढ़े मुआवजे की हाईकोर्ट ने साढ़े चार साल पहले आदेश कर दिए थे, इसके बावजूद किसानों को अपनी जमीनों के मुआवजे के लिए धरने-प्रदर्शन जैसे कदम उठाने पड़ रहे है, ऐसे में सरकार का किसान हितैषी होने का दावा पूरी तरह से बेमानी बनकर रह गया है। उन्होंने अरावली के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि प्रदेश सरकार एक ऐसा बिल लाने जा रही है, जिसके चलते अरावली के सारी हरियाली नष्ट हो जाएगी और यहां बड़ी-बड़ी इमारतें व व्यवसायिक गतिविधियां होगी, जबकि दिल्ली से सोहना तक का अरावली का यह क्षेत्र हरियाली भरा है, जो पर्यावरण को शुद्ध रखने में अह्म भूमिका निभा रहा है, इस बिल के आने से पर्यावरण का स्तर और बिगड़ जाएगा, इसलिए इस बिल को न लाया जाए।  उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि फरीदाबाद मेें बीपीएल कार्ड का सर्वे चल रहा है परंतु आज तक उनके तिगांव क्षेत्र में किसी अधिकारी ने उनसे यह आकर नहीं पूछा कि बीपीएल कार्ड में किस-किसके नाम दर्ज करने है, वह क्षेत्र के जनप्रतिनिधि है, परंतु भाजपा के मंत्री/विधायक अपने यारे-प्यारों के नाम बीपीएल में दर्ज करवाने में लगे है। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में स्थित अधिकतर पशु चिकित्सालयों में पशु चिकित्सकों की खासी कमी है, जिससे लोगों को परेशानी होती है। सदन में लगभग 12 मिनट तक विधायक ललित नागर ने बोलते हुए सदन के माध्यम से पूछा कि मुख्यमंत्री ने सरकार बनने पर यह घोषणा की थी कि सबका साथ-सबका विकास के तहत सभी विधायकों को विकास के लिए प्रति वर्ष 5-5 करोड़ की ग्रांट दी जाएगी परंतु पांच वर्ष बीतने के बाद भी 25 करोड़ तो दूर उन्हें एक रूपए की भी ग्रांट नहीं मिली है। इससे साबित होता है कि सरकार की नीति और नीयत में कितना अंतर है। ललित नागर ने स्मार्ट सिटी का जिक्र करते हुए कहा कि वह सदन के माध्यम से यह पूछना चाहते है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर दो-तीन किश्तें आ चुकी है और यह पैसा किस मद में कहां-कहां लगा है, इसका कोई ब्यौरा नहीं है क्योंकि शहर के हालात बद से बदत्तर है, सडक़ों पर कूड़े के ढेर लगे हुए है ऐसी स्मार्ट सिटी से बढिय़ा तो पहले ये वाली सिटी ही अच्छी थी। उन्होंने कहा कि तिगांव क्षेत्र में पल्ला से बसंतपुर तक बसी दर्जनों कालोनियोंं में लाखों की आबादी रहती है और बड़े ही दुख की आज यहां के लोग पीने के पानी, सीवरेज, सडक़ें जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है, यहां विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ और उन्होंने कई विधानसभा सत्रों में इसकी आवाज भी उठाई है और मुख्यमंत्री ने उन्हें कालोनियों में विकास करवाने का आश्वासन भी दिया था परंतु आज तक वहां लोग विकास की बाट जोह रहे है।  वहीं विधायक ललित नागर तिगांव हल्के के 17 गांव दयालपुर उपतहसील में लगाए जाने का मामला उठाते हुए कहा कि यह सारे गांव तिगांव क्षेत्र के चारों ओर आते है और ग्रामीणों को अपने सरकारी कार्याे के लिए दयालपुर जाने के लिए 15 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे उनके समय की बर्बादी होती है इसलिए इन गांवों को तिगांव तहसील में जोड़ा जाए। विधायक ललित नागर ने कहा कि सरकार ने महाग्राम योजना के तहत 10 हजार की आबादी वाले गांव में सीवरेज व्यवस्था कराने की योजना बनाई थी और चौरासी का सबसे बड़ा गांव तिगांव जिनकी आबादी 30 हजार के ऊपर है, वहां आज तक सीवरेज व्यवस्था नहीं डाली गई। वह सरकार से पूछना चाहते है कि तिगांव व खेड़ीकलां इस योजना के दायरे में कब आएगा? वहीं उन्होंने तिगांव क्षेत्र के कई सरकारी स्कूलों को अपग्रेड करने की भी मांग उठाई। उन्होंने सदन में सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में केवल कागजों में विकास हुआ है, जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है, जिससे लोगों का सरकार से मोहभंग होने लगा है, जिसका खमियाजा आगामी चुनावों में भाजपा को उठाना पड़ेगा।

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