New Delhi News, 11 March 2019 : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित मासिक सत्संग समागम, आध्यात्मिक विचारों की एक ऐसी श्रृंखला है जिसका उद्देश्य भक्त श्रद्धालुगणों को मनोवैज्ञानिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विचारों से परिपोषित कर उनकी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना है। इसी श्रृंखला में एक ओर कड़ी को जोड़ते हुए दिल्ली के दिव्य धाम आश्रम में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें दिल्ली एनसीआर स्थित भक्त श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्य एवं शिष्याओं ने आध्यात्मिक प्रवचनों में बताया कि आधुनिक युग, यंत्र उपकरणों से युक्त एक मशीनी युग है। आज यह मशीनीकरण व्यक्ति के जीवन में तनाव, नकारात्मकता, उद्विग्नता जैसी कई अन्य समस्याओं का मूल आधार है। आज यदि जीव इन समस्याओं से निजात पाना चाहता है तो उसे अध्यात्म मार्ग का चयन करना होगा। भक्ति मार्ग ही ऐसा मार्ग है जिस पर चल कर व्यक्ति विवेक पूर्ण अनुशासित जीवन यापन कर सकता है। उन्होंने अनुशासन एवं समर्पण के विषय में समझाते हुए बताया कि जब एक पूर्ण संत द्वारा शिष्य अपने भीतर ईश्वर का साक्षात्कार करता है और फिर सतगुरु पर पूर्ण विश्वास रखते हुए उनकी प्रत्येक आज्ञा एवं निर्देशों का पूर्णरूपेण पालन कर भक्ति मार्ग में आगे कदम बढाता है तो वह कभी मार्ग से विचलित नहीं होता। जिस प्रकार पूरी तरह से खोखली बांस द्वारा ही सुमधुर तराने छेड़ने वाली बांसुरी का निर्माण किया जाता है। ठीक उसी प्रकार एक शिष्य को भी स्वयं को अहंकार एवं अन्य सांसारिक दोषों से रहित कर स्वयं को गुरु चरणों में समर्पित कर देना चाहिए ताकि गुरु उसका आन्तरिक निर्माण कर पाए। गुरु एवं शिष्य का सम्बन्ध आत्मा और मन के स्तर पर एक चिरस्थायी मिलन है। पूर्ण समर्पण द्वारा ही एक शिष्य अपने मन को नियंत्रित कर उसे स्थायित्व प्रदान कर पाता है। उन्होंने आगे बताया कि गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज एक ऐसे ही तत्ववेता गुरु हैं जो ब्रह्मज्ञान प्रदान कर अपने प्रत्येक शिष्य के घट में उस परमात्मा का साक्षात्कार करा उन्हें भक्ति मार्ग पर अग्रसर कर रहे हैं। उपस्थित भक्तजनों ने कार्यक्रम में प्रदान किये गए प्रेरणादायी विचारों का पूरा लाभ उठाया एवं साथ ही साथ संस्थान के विश्व शान्ति के मिशन में यथासंभव योगदान देने का प्रण भी लिया।