9 से 11 नवम्बर तक दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में सड़क दुर्घटनाओं की चपेट में आने वाले लोगों की सुरक्षा पर एक तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन होगा

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New Delhi News : भारत समेत 22 देशों के इंजीनियर, यातायात प्रबंधन एवं सुरक्षा प्रोफेशनल्स, स्कूल ट्रांसपोर्ट मैनेजर, शिक्षाविद्, पुलिस तथा पैदलयात्री सुरक्षा विशेषज्ञ 9 से 11 नवम्बर, 2017 तक में फरीदाबाद होने वाले दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में सड़क दुर्घटनाओं की चपेट में आने वाले लोगों की सुरक्षा पर आयोजित एक तीन दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेंगे।

इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आईआरटीई) द्वारा किया जा रहा है और इसमें उसके भागीदार हैं नेशनल हाइवे ट्रैफिक सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन (एनएचटीएसए), यूएसए, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार, ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरएंडी), गृहमंत्रालय, भारत सरकार तथा एफआईए फाउंडेशन, यूके और तकनीकी सहयोगकर्ता हैं यूनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक कमीशन फॉर यूरोप (यूएनईसीई) तथा यूनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पैसिफिक (यूएनआएससीएपी)।
इस कार्यक्रम में पैदलयात्रियों, बुजुर्गों, दिव्यांगों तथा स्कूल ट्रांसपोर्ट के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिनमें रोड एनवायरनमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेफ्टी मैनेजमेंट, लीगल इंस्ट्रूमेंट्स, जिम्मेदारी, लाइसेंसिंग, फिटनेस सर्टिफिकेशन, जागरुकता और प्रवर्तन तथा दुर्घटना के बाद प्रबंधन से जुड़े पहलुओं पर फोकस किया जाएगा।

डॉ. रोहित बालूजा, अध्यक्ष, इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आईआरटीई) कहते हैं कि सुरक्षित सड़क सभी पैदलयात्रियों का अधिकार है। सड़क दुर्घटनाओं के शिकार होने वाले वाले पैदलयात्री, मोटरसाइकिल सवार, सार्वजनिक परिवहन के उपयोगकर्ता, स्कूली बच्चे, दिव्यांग हमेशा वाहन में बैठे व्यक्ति से ज्यादा खतरे की जद में रहते हैं और ज्यादातर सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा ये ही लोग शिकार बनते हैं। भारत समेत कुछ देशों में अधिकांश दुर्घटनाओं में सड़क पर चलने वाले लोगों के शिकार होने का आंकड़ा 70 फीसदी तक पहुंचता है।

डॉ. रोहित बालूजा कहते हैं अधिकांशतः इन दुर्घटनाओं में जान-माल का नुकसान और घायलों की बढ़ती संख्या की वजह ट्रैफिक की तेज गति और इन तेज दौड़ते वाहनों और इनके शिकार होने वाले लोगों की बीच किसी तरह की दूरी का न होना होता है। बच्चे, बुजुर्ग और दिव्यांग खास तौर से इनके शिकार बनते हैं चूंकि उनकी शारीरिक और मानसिक दक्षता या तो पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाती या पूरी तरह से स्थिति को संभाल और समझ नहीं पाती। बच्चे और बुजुर्ग ज्यादातर इस तरह की सड़क दुर्घटनाओं में शिकार होते देखे गए हैं।

विश्वस्तरीय क्रैश लैब सिस्टम के साथ एक आधुनिक नए इंटरसेप्टर वी 8 व्हीकल की प्रस्तुति इस आयोजन में खास बात होगी जिससे रोड ऑडिट के द्वारा दुर्घटना की जांच करने और दुर्घटना के बाद स्थितियों को संभालने में मदद मिलेगी।

आईआरटीई के बारे में
इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आईआरटीई) एक रिसर्च आधारित नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है जो 1991 से कार्यरत है। पिछले दो दशक से आईआरटीई कारपोरेट्स, सरकार तथा नियामक निकायों की भागीदारी के साथ ट्रैफिक मैनेजमेंट के सभी अंगों को वैज्ञानिक तरीक से सुधारने में जुटा है जिनमें सुरक्षा सबसे अहम मुद्दा है।

यूनाइटेड नेशंस रोड सेफ्टी कोलेबोरेशन तथा कमीशन फॉर ग्लोबल रोड सेफ्टी के सदस्य के रूप में आईआरटीई इनके लिए वचनबद्ध है-
-स्वदेशी शोध द्वारा ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम में सुधार लाना
-शोध आधारित प्रशिक्षण द्वारा यूजर के व्यवहार में बदलाव लाना
-सड़क सुरक्षा प्रबंधन में देशों और संगठनों की क्षमताओं का संवर्धन करना
सामाजिक जिम्मेदारीः हम सार्वजनिक स्वास्थ्य और सड़क सुरक्षा में योगदान करते हैं, स्कूलों में कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, छात्र ट्रैफिक वॉलेंटियर स्कॉलरशिप स्कीम तथा नेशनल हाइवे लिट्रेसी प्रोग्राम का आयोजन करते हैं।

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