जे सी बोस विश्वविद्यालय में रासायनिक तत्वों के पीरियोडिक टेबल की खोज की वर्षगाठ मनाई

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Faridabad News, 24 Oct 2019 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा आज रासायनिक तत्वों के पीरियोडिक टेबल की खोज की 150वीं वर्षगांठ तथा विज्ञान भारती (विभा) के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी का आयोजन किया। विभा की स्थापना वर्ष 1991 में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में हुई थी।

उल्लेखनीय है कि रासायनिक तत्वों के पीरियोडिक टेबल की खोज रूसी वैज्ञानिक डेमीत्रि इवानोविच मेंडेलीफ द्वारा वर्ष 1869 में की गई थी। रसायन विज्ञान और इसके अनुप्रयोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यूनेस्को द्वारा वर्ष 2019 को अंतर्राष्ट्रीय रासायनिक तत्वों के पीरियोडिक टेबल वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर सीएसआईआर के राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं विकास अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली की निदेशक तथा विज्ञान प्रसार, हरियाणा की अध्यक्ष प्रो. रंजना अग्रवाल मुख्य वक्ता रहीं। संगोष्ठी की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। संगोष्ठी के अन्य वक्ताओं में केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. प्रदीप कुमार श्रीवास्तव और रूसी विज्ञान और संस्कृति केंद्र, नई दिल्ली से विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुभाग के प्रमुख श्री अलेक्सी शापोशनिकोव भी सम्मिलित हुए। इस अवसर पर डीन (एचएएस) डॉ राजकुमार और कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार गर्ग भी उपस्थित थे।

सत्र की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई, जिसके बाद रसायन विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष दीक्षित द्वारा स्वागत भाषण दिया गया, जिन्होंने कार्यक्रम और विभागीय गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया।

कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा प्रौद्योगिकी के साथ-साथ विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक स्तर पर नए विज्ञान पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों को विभिन्न आयोजनों के माध्यम से भी प्रोत्साहित करता है। उन्होंने रसायन विज्ञान विभाग द्वारा विद्यार्थियों में रसायन विज्ञान को लेकर बेहतर समझ उत्पन्न करने की दिशा में ‘रसायन्स’ सोसाइटी शुरू करने की पहल की भी सराहना की।

अपने मुख्य संबोधन में डॉ. रंजना अग्रवाल ने आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रॉय के शोध कार्य पर एक अवलोकन दिया, जिन्होंने मेंडेलीव के पीरियोडिक टेबल में कुछ अनुपलब्ध तत्वों की खोज के उद्देश्य से कई दुर्लभ भारतीय खनिजों का व्यवस्थित रासायनिक विश्लेषण किया था और एक रासायनिक पदार्थ की खोज की जिसे मर्क्यूरियस नाइट्राइट के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों का अतुल्य योगदान रहा है, जिससे प्रेरणा लेनी चाहिए। डॉ. अग्रवाल ने विज्ञान भारती द्वारा देश में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने की दिशा में किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी और बताया कि विभा द्वारा प्राचीनकाल से लेकर आधुनिक समय के भारतीय विज्ञान एवं महान भारतीय वैज्ञानिकों के समृद्ध योगदान को लेकर समय-समय पर जागरूक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। इसके अलावा, विज्ञान में करियर बनाने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए भी विभाग निरंतर कार्यक्रमों का आयोजन करता है।

इस कार्यक्रम का आयोजन विज्ञान भारती की फरीदाबाद इकाई और रसायन विज्ञान विभाग की केमिकल सोसाइटी रसायन्स के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था, जिसका संचालन डॉ. बिंदू मंगला और डॉ. सीता राम द्वारा किया गया।

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