पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा ई-कचरा प्रबंधन पर जागरूकता कार्यक्रम

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Faridabad News, 28 Feb 2020 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा गैर सरकारी संगठन ‘एक्शन इन कम्युनिटी एंड ट्रेनिंग’ के विशेषज्ञों द्वारा ई-कचरा प्रबंधन पर एक जागरूकता सत्र का आयोजित किया गया।

यह एनजीओ कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रहा है जोकि देश में ई-कचरा उत्पादन प्रबंधन के अधिकृत संगठन ‘करो संभव’ के साथ मिलकर ई-कचरे के मुद्दे पर जागरूकता अभियान चला रहा है। ई-कचरा जागरूकता को लेकर व्यापक स्तर पर चलाये जा रहे सूचनात्मक अभियान को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा सहयोग दिया जा रहा है।

व्याख्यान के दौरान, एनजीओ की ओर से तापस चटर्जी ने विद्यार्थियों को जवाबदेह ई-कचरा प्रबंधन प्रणाली के संबंध में जानकारी दी और ठोस कचरा प्रबंधन एवं ई-कचरे के पृथक्करण के लिए कार्य योजना बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकी के कारण पुराने और अनुपयोगी इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं की कचरे के रूप में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। भारत में प्रतिवर्ष 2 मिलियन टन से अधिक ई-कचरा उत्पन्न होता है और केवल 2 प्रतिशत ही री-साइकल हो पाता है, जिसके कारण गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रभाव हो रहे है। उन्होंने कहा कि इस जागरूकता सत्र का उद्देश्य सत्र शिक्षकों और विद्यार्थियों को ई-कचरा प्रबंधन के प्रति संवेदनशील बनाना है।

इस अवसर पर पर्यावरण विभागाध्यक्षा डॉ. रेणुका गुप्ता ने कहा कि हमें पर्यावरण सहित खुद के अस्तित्व को बचाने के लिए कचरे को संसाधन के रूप में देखना होगा और पर्यावरण के हित में इसका पुनःउपयोग सुनिश्चित बनाना होगा। उन्होंने विद्यार्थियों को ई-कचरे के प्रबंधन में सक्रिय सहयोग देने तथा इसे जन आंदोलन बनाने के लिए प्रेरित किया। ई-कचरा प्रबंधन पर व्यापक जागरूकता कार्यक्रम की मेजबानी के लिए करो संभव संगठन द्वारा पर्यावरण विज्ञान विभाग को ‘प्रशंसा प्रमाण पत्र’ प्रदान किया।

कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने ई-कचरा प्रबंधन पर जागरूकता सत्र के आयोजन के लिए पर्यावरण विज्ञान विभाग की पहल की सराहना की। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. सोमवीर बजाड़ तथा अनिता गिरधर द्वारा किया गया। व्याख्यान सत्र में डॉ. नविश कटारिया, डॉ. स्मिता और मोनिका मागो सहित विभाग के संकाय सदस्यों के अलावा एमएससी पर्यावरण विज्ञान तथा बीटेक मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया।

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