जे सी बोस विश्वविद्यालय ने मजदूर परिवारों को वितरित किया सूखा राशन

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Faridabad News, 21 April 2020 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में रह रहे मजदूर परिवारों को सूखा राशन वितरित किया गया। विश्वविद्यालय में मजदूर परिवारों के 200 से ज्यादा सदस्य रह रहे है। ये सभी लोग विश्वविद्यालय की निर्माणाधीन परियोजनाओं में काम कर रहे थे और कोरोना महामारी के कारण लाॅकडाउन लगने से निर्माण परियोजनाएं बंद हो जाने के कारण इन मजदूर परिवारों के लिए रोजी-रोटी का संकट आ गया था।

कुलपति प्रो. दिनेश कुमार की उपस्थित में आज सभी मजदूर परिवारों को 10 दिनों का सूखे राशन के पैकेट, जिसमें आटा, दाल, चावल, नमक और तेल शामिल था, वितरित किये गये। इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. सुनील कुमार गर्ग, कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डाॅ. कोमल भाटिया, परीक्षा नियंत्रक डाॅ. राजीव सिंह, कार्यकारी अभियंता अजय तनेजा के अलावा विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने बताया कि कोरोना महामारी से उत्पन्न हुए संकट के समय में जरूरतमंद लोगों की मदद से लिए विश्वविद्यालय परिवार का प्रत्येक सदस्य अपना यथासंभव सहयोग दे रहा है। कोरोना राहत में कर्मचारियों के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने प्रदेश में सबसे पहले आगे आकर हरियाणा कोरोना राहत कोष में 25 लाख रुपये का योगदान अपने वेतन का 10 प्रतिशत का अंशदान द्वारा किया और अब जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए योगदान दे रहे है। उन्होंने कहा कि इस विपदा के समय विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने जिस तरह से समाज के प्रति संवेदनशील दिखाई है, वह प्रशंसनीय है और इससे वे गौरवान्वित महसूस कर रहे है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय आगे भी जरूरतमंदों के लिए अपने प्रयास जारी रखेगा।

इस अवसर पर कुलपति ने सभी शिक्षण संस्थानों को कोरोना राहत में योगदान देने के लिए आगे आने का आह्वान किया और कहा कि समाज के वंचित वर्गाें के सहयोग के लिए संस्थान आगे आये और अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करें।
कुलसचिव डाॅ. सुनील कुमार गर्ग ने भी कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि विश्वविद्यालय अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को बेहतर ढंग से निभा रहा है। कुलसचिव ने बताया कि जरूरतमंदों को राशन वितरित करने के लिए जिला प्रशासन के साथ मिलकर कार्य कर रहे सेवा भारती संस्थान को भी विश्वविद्यालय द्वारा 2 लाख रुपये वित्तीय मदद दी गई है, जिसका योगदान भी कर्मचारियों द्वारा किया गया था।

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