बहनों की प्रेरणा से हासिल किया जीवन में एक नया मुक़ाम

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New Delhi, 03 Aug 2020 : भाई-बहन का रिश्ता अनमोल होता है, निश्छल होता है! यह रिश्ता दुनिया की तमाम बुराइयों से बिल्कुल परे होता है और सिर्फ़ जानता है तो बस! आपसी-प्रेम, स्नेह, ममता और वात्सल्य की भाषा! जहां एक ओर बहनों की जान होते हैं भाई। वहीं दूसरी ओर एक भाई के लिए समाज में फ़ख़्र से सर ऊंचा करके चलने का स्वाभिमान होतीं हैं बहनें। भाई-बहन जीवन के हर पल में एक-दूसरे की ढाल बनकर रहते हैं। वह एक-दूसरे को जीवन के हर एक खट्टे-मीठे पलों और बड़ी-से-बड़ी परेशानियों और कठिनाइयों को बेहद आसानी से पार कर जाने की निरंतर प्रेरणा देते और साहस बढ़ाते हैं। यह एक ही साइकिल या गाड़ी के दो पहिये की तरह होते हैं, जो निरंतर जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं।

तो, आइए, इस रक्षा बंधन पर जानते हैं समाज में अपना एक अलग मुक़ाम हासिल कर चुके इन भाइयों से कि उनकी प्यारी-सी बहनों ने उन्हें अपने जीवन में कुछ अलग कर अपना एक नाम बनाने के लिए किस तरह प्रोत्साहित किया!

किसी भी परिवार में एक बेटी, एक बहन की बहुत अहम् भूमिका होती है! और, ख़ासकर भाइयों के लिए बड़ी बहन एक मां के सामान होतीं हैं! मेरे जीवन में भी मात्र 16 साल की उम्र में हमारी माता जी के गुज़र जाने के बाद मेरी बड़ी बहन ने मेरा बिल्कुल एक मां जैसा ही पालन-पोषण किया। और, उम्र में बड़ी होने के नाते उनके अनुभवों से मुझे हमेशा एक अच्छा मार्गदर्शन मिला। तो, मेरे अच्छे जीवन की नींव रखने और आज इस मुक़ाम तक पहुंचने में मेरी बड़ी बहन का बहुत बड़ा योगदान है।

डॉ. शैलेन्द्र कुमार,
संयुक्त सचिव,
वित्त मंत्रालय,
भारत सरकार।

आज मैं जो भी हूँ, अपनी दोनों छोटी बहनों की दुआओं से ही हूं। या यूं कहें कि आज आउटडोर एडवरटाइज़िंग के क्षेत्र में अपने आशीर्वाद एडवरटाइज़िंग के बैनर-तले जो मनोज शर्मा के नाम को लोग जानते हैं, वो मेरी इन दोनों बहनों – की दुआओं का ही फल है।

मनोज शर्मा,
एम.डी., आशीर्वाद एडवरटाइज़िंग,
दिल्ली।

शुरू से ही मेरी छोटी बहन – का यही उद्देश्य रहता था कि मैं अपने जीवन में खूब तरक़्क़ी करुं और परिवार का नाम रौशन करूं। इसके लिए जब मैं अपनी पढ़ाई-लिखाई के लिए घर से दूर रहता था; तो, मेरी छोटी बहन ने हमारे बूढ़े मां-बाप और पूरे घर की ज़िम्मेदारी अपने कन्धों पर उठा ली। ताक़ि, मैं अपना पूरा मन लगाकर अच्छे-से अपनी पढ़ाई करके एक क़ामयाब इंसान बन सकूं। और, यह वही नतीजा है कि मैं आज भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में बतौर असिस्टेंट सेक्शन ऑफ़िसर हु।

मनोज कुमार,
असिस्टेंट सेक्शन ऑफ़िसर,
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय,
भारत सरकार।

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