Faridabad News, 17 Aug 2020 : पिछले पांच दिनों से घरों में श्रीकृष्ण जी के श्रृंगार के साथ ही पूजन का चल रहा कार्यक्रम आज सोमवार को छठी के साथ समाप्त हो गया। श्रद्धालुओं की ओर से भगवान श्रीकृष्ण को घर का बना छप्पन भोग चढ़ाया गया। कोरोना के कारण परिवार के बच्चों ने साथ मिलकर भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मनमोहक झांकी घर में ही बनाई और भजन कीर्तन के साथ बड़े धूमधाम से छठी पूजा की। जिसमें दिव्या, आशि, तनिष्का, एकता, पुनीत, इंद्रजीत अरोड़ा, ममता खेत्रपाल, सिंगर नेहा पॉल, सेवादार भारत गौतम और मयंक मौजूद रहे।
समाजसेवी मयंक ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद कान्हा की छठी भी धूमधाम से मनाने की शानदार परंपरा है, जो लोग अपने घर या मंदिर में भगवान का जन्म कराते हैं वो लोग इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं। जिस तरह से हिन्दू धर्म में बच्चे के जन्म के छह दिन बाद जिस तरह उसकी छठी मनाई जाती है और नामकरण किया जाता है। इसी तरह कान्हा के जन्म उत्सव जन्माष्टमी के छह दिन बाद ठाकुर जी की छठी का आयोजन किया जाता है।
कन्हैया जन्म यानी कि जन्माष्टमी के छह दिन बाद छठी मनाई जाती है। इस दिन सबसे पहले कान्हा को सुबह के समय पंचामृत से स्नान कराएं। इसके लिए आप दूध, घी, शहद और गंगाजल को मिलाकर पंचामृत बनाएं। इससे कान्हा को स्नान करवाएं। इसके बाद शंख में गंगाजल डालकर कान्हा को फिर से स्नान कराएं। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं और उनका श्रृंगार करें और मिश्री और मक्खन का भोग लगाएं। इसके बाद कन्हैया का नामकरण करें। माधव, कृष्ण, नंदलाला, देवकीनंदन और लड्डूगोपाल सहित कान्हा के जितने भी नाम हैं उनमें से कोई एक नाम चुन लें और उसी नाम से उन्हें पुकारें। इसके बाद कन्हैया के चरणों में घर की चाबी सौंप दें। इसके बाद लड्डू गोपाल की कथा पढ़ें। मान्यता है ऐसा करने से कन्हैया की कृपा हमेशा बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि और धन-वैभव की वृद्धि होती है। छठी के दिन कढ़ी-चावल जरूर बनाना चाहिए।