New Delhi, 08 April 2021 : अनामाया. जनजातिय स्वास्थ्य पहल का उद्घाटन माननीय मंत्री स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. हर्ष वर्धन और माननीय मंत्री जनजातिय कार्य श्री अर्जुन मुंडा द्वारा आज किया गया | बहु हितगामी पहल पिरामल फाउंडेशन और बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थित है | यह विभिन्न सरकारी एजेंसीज और संस्थानों के प्रयासों को समेकित करके जनजातिय समुदायों के स्वास्थ्य और पोषण के स्तर को बेहतर करने का प्रयास करेगी |
आदिवासी / जनजातीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री माननीय श्री अर्जुन मुंडा ने इस अवसर पर कहा, “जनजातिय कार्य मंत्रालय“ राज्य सरकारों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर जनजातीय समुदायों की स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। मंत्रालय ने जनजातीय स्वास्थ्य कार्य योजना के माध्यम से जनजातीय स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिए एक रोडमैप बनाया है। हम एक मिशन / अभियान के तहत आदिवासी स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों को संबोधित कर रहे हैं और मैं उन सभी गैर-सरकारी संगठनों का स्वागत करता हूँ, जिन्होंने एक साथ आकर इस अनूठी पहल के लिए अपनी रुचि दिखाई है। मैं डॉ. हर्षवर्धन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को उनके समर्थन के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूँ, और मैं संयुक्त रूप से जनजातीय समुदायों के जीवन को समृद्ध करने की हमारी परिकल्पनाओं एवं योजनाओं को पूरा के लिए तत्पर हूँ | ”
डॉ. हर्ष वर्धन माननीय मंत्री “स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण” ने “जनजातिय कार्य मंत्रालय” के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “जनजातीय स्वास्थ्य सहयोग का शुभारंभ मेरे लिए एक सपने जैसा है। स्वास्थ्य एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ हर मंत्रालय योगदान दे सकता है। हम सभी जानते हैं कि आदिवासी क्षेत्र मुख्यधारा से वंचित क्षेत्र हैं। केवल प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा ही नहीं बल्कि अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हम सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले लोगों को माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं। सभी सहयोगियों से मेरी अपील है कि, अन्य सभी उल्लेखित क्षेत्रों के अलावा, कृपया टी.बी पर ध्यान दें ताकि हम टी.बी. मुक्त भारत के अपने लक्ष्य तक पहुँच सकें”
माननीय मंत्री महिला एवं बाल विकास श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने विडियो सन्देश के माध्यम से सम्बंधित दर्शकों को, जनजातिय समुदायों में पोषण और स्वास्थ्य कि असमानताएं दूर करनें में इस कार्यक्रम की महत्वता बताई |
सबसे कमजोर और जरूरतमंद समुदाय तक पहुँचने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देते हुए, श्री अजय पिरामल, अध्यक्ष पिरामल समूह ने कहा की “मैं जनजातिय स्वास्थ्य सहयोगी पहल के माध्यम से भारत की सबसे जरूरतमंद और कमजोर आबादी के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए योगदान करते हुए अत्यंत ख़ुशी महसूस कर रहा हूँ | विभिन्न अनुभवों और विशेषताओं वाले संगठनो को साथ लाने में और इन सबका दृष्टिकोण एक सामान्य लक्ष्य ‘जनजातिय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने’ के लिए एक वर्ष से ऊपर का समय लगा हैं | हम दोनों मंत्रालयों के मार्गदर्शन में काम करने की आशा करते हैं |”
यह सहयोगात्मक कार्यक्रम एक अनूठी पहल है जिसमे अलग अलग संस्थाओं जैसे सरकार, फिलान्थ्रोपिस्ट्स, राष्टीय और अंतरष्ट्रीय फाउंडेशन, गैर सरकारी संगठन, समुदाय आधारित संगठन मिलकर भारत में बेहतर जनजातिय स्वास्थ्य के लिए काम करेंगे | इसका उद्देश्य भारत कि जनजातिय आबादी द्वारा महसूस की जाने वाली प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक स्थायी, उच्च प्रदर्शन करने वाली स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण करना हैं | यह कार्यक्रम ५० जनजातिय आबादी वाले आकांक्षी जनपद (जिनमे 20 % से जादा जनजातिय आबादी है) जो की 6 से अधिक जनजातिय आबादी वाले राज्य में स्थापित है, में किया जायेगा | १० साल के समय में यह कार्क्रम १७७ जनपदों जिनको जनजातिय मंत्रालय मान्यता देता है में और चलाया जायेगा |
इस अवसर पर डॉ. विनोद कुमार पॉल, सदस्य स्वास्थ्य, नीति अयोग, श्री आर. सुब्रह्मण्यम सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय, डॉ. नवलजीत कपूर, संयुक्त सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय, श्री हरी मेनन, निदेशक, बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन एवं श्री आदित्य नटराज, प्रमुख, पीरामल फाउंडेशन उपस्थित थे। श्री गौरव आर्य, राष्ट्रीय निदेशक सीआईएफएफ एवं डॉ. शैलेंद्र हेगड़े, वरिष्ठ वी.पी. पीरामल स्वास्थ्य भी उपस्थित थे ।