दिव्य धाम आश्रम में नंदोत्सव की धूम, देश-विदेश से घर बैठे ही भक्तों ने उठाया आनंद

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New Delhi News, 12 July 2021 : दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली मे दिनांक 10 से 16 जुलाई 2021 तक विलक्षण ‘श्रीमद् भागवत् कथा’ का आयोजन किया जा रहा है| इसकी विशेषता यह है कि इस आयोजन मे यजमान व श्रद्धालुगण वर्चुयली सम्मिलित होकर श्रीकृष्ण भक्ति से ओत प्रोत हो रहे हैं। इस डिजिटल श्रीमद् भागवत् कथा के तृतीय दिवस, भगवान की अनन्त लीलाओं में छिपे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंगों के माध्यम से उजागर करते हुए दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या भागवताचार्या महामनस्विनी विदुषी साध्वी सुश्री आस्था भारती जी ने भक्त अम्बरीष का जीवन-चरित्र एवं भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव प्रसंगों को प्रस्तुत किया। कथा का शुभारंभ साध्वी जी ने भक्त अम्बरीष के जीवन-चरित्र से किया। उन्होंने बताया कि भक्त अम्बरीष सम्पूर्ण पृथ्वी के स्वामी थे, उनकी सम्पति कभी न समाप्त होने वाली थी। उनके ऐश्वर्य की संसार में कोई तुलना न थी। अम्बरीष के पास अपार धन-दौलत होने के बावजूद भी उन्होंने इन सबका त्याग कर वैराग्यपूर्ण जीवन का चयन किया। क्योंकि जो भक्त उस प्रभु की भक्ति के रंग में रंग जाता है फिर वह जल में कमल की भांति बनकर सभी बाहरी सुख-ऐश्वर्य से निर्लिप्त हो जाता है। सांसारिक भोगों में नितान्‍त अनासक्‍त अम्‍बरीष ने अपना सारा जीवन परमात्‍मा के पावन भक्ति में ही लगाया था।

कथा का वाचन करते हुए आगे साध्वी जी ने प्रभु श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग का वर्णन किया, जिसे नन्दोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस वर्चुअल कथा द्वारा देश-विदेश से भक्तों ने नंदोत्सव का खूब आनन्द उठाया। नन्दोत्सव की छटा अद्भुत थी। ऐसा प्रतीत होता था मानो दिव्य धाम आश्रम का समूचा पंडाल ही गोकुल बन गया हो। श्रीकृष्ण जन्म के अवसर पर इस प्रसंग में छिपे आध्यात्मिक रहस्यों का निरूपण करते हुए साध्वी जी ने बताया कि जब-जब इस धरा पर धर्म की हानि होती है, अधर्म, अत्याचार, अन्याय, अनैतिकता बढ़ती है, तब-तब धर्म की स्थापना के लिए करुणानिधान ईश्वर अवतार धारण करते हैं, श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ प्रभु का अवतार धर्म की स्थापना के लिए, अधर्म का नाश करने के लिए, साधू-सज्जन पुरुषों का परित्राण करने के लिए और असुर, अधम, अभिमानी, दुष्ट प्रकृति के लोगों का विनाश करने के लिए होता है।

साध्वी जी ने बताया कि धर्म कोई बाह्य वस्तु नहीं है। धर्म वह प्रक्रिया है जिससे परमात्मा को अपने अंतर्घट में ही जाना जाता है। स्वामी विवेकानन्द जी कहते हैं – Religion Is The Realization of God अर्थात् परमात्मा का साक्षात्कार ही धर्म है। जब-जब मनुष्य ईश्वर भक्ति के सनातन-पुरातन मार्ग को छोड़कर मनमाना आचरण करने लगता है तो इससे धर्म के संबंध् में अनेक भ्रांतियाँ फैल जाती हैं। धर्म के नाम पर विद्वेष, लड़ाई-झगड़े, भेद-भाव, अनैतिक आचरण होने लगता है तब प्रभु अवतार लेकर इन बाह्य आडम्बरों से त्रस्त मानवता में ब्रह्मज्ञान के द्वारा प्रत्येक मनुष्य के अंदर वास्तविक धर्म की स्थापना करते हैं। श्री कृष्ण का प्राकट्य केवल मथुरा में ही नहीं हुआ, उनका प्राकट्य तो प्रत्येक मनुष्य के अंदर होता है, जब किसी तत्वदर्शी ज्ञानी महापुरुष की कृपा से उसे ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है। इस भव्य कथा द्वारा श्रद्धालुगण 16 जुलाई तक प्रभु के अनेक रूपों और लीलाओं का आनंद लेते हुए अपने जीवन को लाभान्वित कर पायेंगे। कथा का विशेष प्रसारण संस्थान के यूट्यूब चैनल पर किया जा रहा है। इस लिंक पर जाकर आप कथा का online वेबकास्ट अवश्य देखें: https://www.youtube.com/djjsworld । प्रसारण का समय प्रातः10 से दोपहर 1 बजे तक तथा सायं 7 से रात्रि 10 बजे तक है।

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