पुराने टू-व्‍हीलर्स खरीदने के लिए आवश्यक सुझाव

0
512
Spread the love
Spread the love

New Delhi News, 23 Nov 2021: कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत के साथ ही हमलोगों ने उपभोक्ताओं के रुख में कई बदलाव देखे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोविड-19 का पूरे समाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इस परिदृश्य में इस बात की भविष्यवाणी की जा सकती है कोविड-19 के बाद के जमाने में भविष्य के लिए क्या होने वाला है। यह महामारी न सिर्फ उपभोक्ता का रुख बदलेगी बल्कि व्यवहार और खर्च करने की आदतों में भी बदलाव आएगा। इसका असर युवाओं पर भी पड़ेगा लेकिन वे पहले ही संकट से जूझ रहे हैं। खपत की नई शैली व्यक्ति की सामाजिक स्थिति को निखारने पर फोकस नहीं करेगी बल्कि व्यक्ति की तात्कालिक आवश्यकता को पूरा करने पर ध्यान देगी। यही नहीं, एक बार लॉकडाउन समाप्त हो तो अनुमान है कि 70% भारतीय सार्वजनिक परिवहन से दूर रहेंगे जबकि 62% के बारे में संकेत है कि वे ओला-उबर जैसी बुलाने वाली टैक्सी सेवा से दूर रहेंगे।

अगला सवाल यह है कि क्या हम भारतीयों की बड़ी आबादी को पुरानी कारें या टू-व्‍हीलर्स खरीदते हुए देखेंगे जैसा कि दूसरे देशों में देखा जा रहा है? महामारी के बाद की प्रवृत्ति में निश्चित रूप से एक अनुमानयोग्य बदलाव है और यह ग्राहकों की खरीदारी की आदतों में है। इनमें दीर्घ अवधि के उपयोग के लिए खरीदे जाने वाले उच्च मूल्य के उत्पाद से लेकर अपेक्षाकृत रुपए का मूल्य देने वाले उत्पाद होंगे जो अल्प या मध्यम अवधि के उपयोग के लिए होंगे। अचानक के इस बदलाव को सामाजिक आर्थिक कारणों से गति मिल रही है जैसे मौजूदा नौकरी का नहीं रहना, रोजगार को लेकर असुरक्षा की भावना और कमजोर उपभोक्ता सेंटीमेंट। शेयर्ड सार्वजनिक परिवहन या दूसरे तरीकों के मुकाबले निजी मोबिलिटी के स्वामित्व को प्राथमिकता देने में भी भारी वृद्धि हुई है। और यह वायरस फैलने के डर से हुआ है। वाहनों के निजी स्वामित्व में वृद्धि हुई है और रुपए का मूल्य देने वाले उत्पादों की खरीदारी बढ़ी है। ये दो मुख्य प्रवृत्तियां रही हैं जो महामारी की मौजूदा स्थिति से निकली हैं और यही उपभोक्ता व्यवहार को हमेशा के लिए आकार देंगी। मेरी राय में आने वाले समय में इन्हीं सब कारणों से उपभोक्ताओं की दिलचस्पी यूज्‍ड टू-व्‍हीलर्स में बढ़ेगी।

इस समय भारतीय सड़कों पर 200+ मिलियन से ज्यादा टू-व्‍हीलर्स हैं। उपयोगकर्ता को अच्छा पुराना टू-व्‍हीलर खरीदने के लिए तलाश में रहना चाहिए और इससे उनकी अच्छी-खासी बचत हो जाएगी। अपने निजी अनुभव में मैंने देखा है कि लोग संघर्ष कर रहे होते हैं और ज्यादातर समय ठगे जाते हैं। यह ठगी विक्रेता तो करते ही हैं डीलर भी इसमें शामिल होते हैं। बड़ा बाजार होने के बावजूद पुराने बाइक खरीदने वाले ग्राहकों को खराब ग्राहक अनुभव से निपटना होता है और यह सब छोटे-मोटे डीलर करते हैं।

ऐसे परिदृश्‍य में यह आवश्यक है कि उपभोक्ता सेकंड हैंड या यूज्‍ड टू-व्‍हीलर बाजार को समझें और जानें कि सही वाहन का चुनाव कैसे करें।

प्रतिष्ठित कंपनी – जिस सबसे महत्वपूर्ण चीज पर विचार करना चाहिए वह यह कि ग्राहक को किसी प्रतिष्ठित कंपनी / ब्रांड से खरीदना चाहिए जो बिक्री के बाद सपोर्ट, बीमा और अन्य मूल्यवर्धित सेवाएं सब एक छत के नीचे मुहैया करवा सके।

बजट – उपयोगर्कता पुराना टू-व्‍हीलर वाहन इसलिए खरीदते हैं क्योंकि कीमत बहुत आकर्षक होती है। इसपर कोई टैक्स या मूल्यह्रास (डेप्रिसिएशन) नहीं होता है। इसके बाद ग्राहक को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि खरीदी जा रही गाड़ी की गुणवत्ता क्या है, कितनी पुरानी है, ब्रांड मूल्य क्या है तथा वैसे टू-व्‍हीलर की उपलब्धता क्या होगी। बजट बनाने में इन सारी बातों का ख्याल रखा जाना चाहिए।

अनुसंधान – खरीदारों को ऑनलाइन रिसर्च करने पर फोकस करना चाहिए और विक्रेताओं के जरिए वास्तविक अपेक्षा तय करनी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि टू-व्‍हीलर का कोई भी मॉडल या ब्रांड उनकी आवश्यकताओं का 100% मेल नहीं होगा। यही नहीं, विक्रेताओं के बारे में ग्राहकों की समीक्षा और उनके स्कोर देखिए। बेहतर हो यदि आप उसी ब्रांड का टू-व्‍हीलर खरीदें जिसे ग्राहकों ने अच्छी रेटिंग दी हो या जिसकी अच्छी समीक्षा हो।

स्कैम अलर्ट – फ्रॉड और स्कैम करने वालों से सतर्क रहिए क्योंकि भारत में पुराने टू-व्‍हीलर का बाजार अभी भी बेहद असंगठित है। इसलिए खरीदारों को जागरूक होना चाहिए और उन्हें सलाह दी जाती है कि वे व्यैक्तिक विक्रेता या सड़क के किसी असंगठित डीलर के मुकाबले संस्थागत विक्रेता से खरीदें।

होम टेस्ट राइड – खरीदार को सौदा करने से पहले चलाकर देखना भी चाहिए। इससे अन्य बारीक पहलुओं का पता चलता है जैसे चलाने या सवारी का आराम, सड़क पर प्रदर्शन, ब्रेक और दूसरे पुर्जों का मशीनी प्रदर्शन। लॉकडाउन के इस समय में टू-व्‍हीलर कंपनियां बाइक्स की होम डिलीवरी और कॉन्‍टैक्टलेस डिलीवरी भी कर रही हैं। उपयोगकर्ताओं को निश्चित रूप से ऐसी पेशकशों का लाभ उठाना चाहिए।

पेपर वेरिफिकेशन : सेकंड हैंड बाइक खरीदने से पहले यह जरूरी है कि सभी संबद्ध दस्तावेजों की जांच कर ली जाए। इनमें बीमा, आरसी बुक, चेसिस नंबर, निर्माण की तारीख और प्रदूषण प्रमाणपत्र शामिल है। पूर्व में कर्ज पर ली गई बाइक के मामले में हाइपोथिकेशन सर्टिफिकेट भी जरूरी है। पैसे देकर आरटीओ से कराए गए वेरीफिकेशन से यह भी पता चलेगा कि उल्लंघन का कोई मामला है कि नहीं। आज के समय में किसी भी दस्तावेज की डुप्‍लीकेट कॉपी देना बहुत आसान है। पर मैं ग्राहकों को यह सलाह देता हूं कि विक्रेताओं द्वारा ठगे जाने से बचने के लिए खास ध्यान रखें।

वारंटी अवधि / बिक्री के बाद के फायदे: पुरानी बाइक खरीदने का निर्णय करते समय वारंटी की तारीख और एक्सचेंज की वैधता जांच भी कर लेना चाहिए। इस तरह की शर्तों के स्पष्टीकरण कर लेने से आपको गुणवत्ता के मामले में असंतुष्ट होने पर आपको दुपहिये को बदलने या लौटाने में मदद मिलेगी।

श्री शशिधर नंदीगाम, चीफ स्‍ट्रैटेजी ऑफीसर, क्रेड आर का योगदान

शशिधर के विषय में – श्री शशिधर इस समय भारत के सबसे बड़े यूज्ड टू-व्‍हीलर ब्रांड क्रेडआर के चीफ स्‍ट्रैटेजी ऑफीसर हैं। वे 10 साल से ज्यादा के अनुभव वाले पेशेवर हैं और वेंचर कैपिटल / निजी इक्विटी फंड तथा स्टार्ट अप्‍स के लिए रणनीति, धन जुटाने और विकास की भूमिका में रहे हैं। इनकी खास विशेषज्ञता उपभोक्ता इंटरनेट कंपनियों में है और यह ग्रोथस्टोरी के भाग रहे हैं जिससे बिगबास्केट, फ्रेश मेन्यु और क्रेड आर का विकास हुआ है। उद्यमिता से संबंधित भिन्न आयोजनों में आप नियमित वक्ता होते हैं। बैंगलोर में अपने दो बच्चों के साथ रहने वाले गौरवशाली पिता हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here