आध्यात्मिक कार्यक्रम में ‘जहां संगठन है, वहां जीत सुनिश्चित है’ विषय पर प्रकाश डाला गया

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New Delhi News, 13 Dec 2021: पंजाब के नूरमहल आश्रम में प्रेरक और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।जिसे संस्थान के यूट्यूब चैनल के माध्यम से वेबकास्ट किया गया। दुनिया भर से हजारों शिष्यों ने वस्तुतः कार्यक्रम में भाग लिया और वेबकास्ट श्रृंखला के 88वें संस्करण से लाभान्वित हुए।

कार्यक्रम की शुरुआत भावनापूर्ण भजनों से हुई और इसके बाद श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी मातंगीभारती जी द्वारा आध्यात्मिक प्रवचन प्रस्तुत किए गए।साध्वी जी ने कहा कि गुरुदेव श्रीआशुतोष महाराज जीसंगठन की शक्ति के संदर्भ में बताया करते हैं कि संगठित होकर असंभव कार्य भी संभव किए जा सकते हैं।
साध्वी जी ने समझाया कि मुख्यत:तीन कारण हैं जिनकी वजह से हम संगठित नहीं हो पाते।

1. अहंकार
2. नकारात्मकता
3. धैर्य व सहनशीलता का अभाव
इन तीनों पहलुओं को साध्वी जी ने अनेकानेक उदाहरणों एवं दृष्टांतों से समझाया।महात्मा बुद्ध की बात को रखते हुए उन्होंने कहा कि एक बार आनंद से महा बुद्ध ने कहा था कि जो सबको संगठित रखने का प्रयास करता है, वह ब्रह्म पुण्यप्राप्त करता है।उन्होंने कहा कि एक खिलाड़ी को दौड़ते समय दो तरह के स्वर सुनाई देते हैं – सकारात्मक तथा नकारात्मक। वह जिस तरह के स्वर की ओर अपना ध्यान करता है,उसे फिर वैसा ही परिणाम मिलता है।

आगे साध्वी जी ने बताया कि भारत में हरित क्रांति कब आ पाई थी? जब प्रत्येक भारतवासी ने अपनी भूमिका को प्राणपन से निभाया था।आजविश्व शांति के जिस महान लक्ष्य को लेकर गुरुदेवश्री आशुतोष महाराज जी प्रयासरत हैं,उसके लिए भीहम सब ब्रह्मज्ञानी साधकों को एकजुट होकर चलना होगा और अपनी अपनी भूमिका को पूर्ण रूप से निभाना होगा।

दुनिया इस बात की साक्षी है कि जब-जब भी दिव्य आध्यात्मिक पुंज इस धरती पर आध्यात्मिक दिव्य गुरु के रूप में अवतरित हुआ है, तो भले ही परिस्थितियां कैसा भी रुख क्यों ना कर लें,पर, वेउन कारणों की परवाह किए बिनाअपने उद्देश्य को सदा सिद्ध करते रहे हैं।इसी तरह, श्री गुरुदेव का “विश्व शांति” का मिशन भी आने वाले समय में अवश्य पूरा होगा और दुनिया उसकी गवाह बनेगी। तब तक यह हम सभी शिष्यों पर निर्भर करता है कि हम अंत तक इस महान भव्य मिशन का हिस्सा बनना चाहते हैं या नहीं!

पूरे विश्व में (ब्रह्मज्ञानी) शिष्यों के लिए एक घंटे के सामूहिक ध्यान सत्र के साथ कार्यक्रम को दृढ़ संकल्प और समर्पण भावना के प्रति कटिबद्धता व्यक्त करते हुए विराम दिया गया।

 

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