युवा दिवस विशेष: युवा शक्ति को संचित एवं पोषित कर राष्ट्र उन्नति का आधार बनें: आशुतोष महाराज

0
1080
Spread the love
Spread the love

New Delhi News, 07 Jan 2021: एक महान युवा सन्यासी, समाज सुधारक और विदेशों मेंभारतीय संस्कृति के सम्मान में चार चाँद लगाने वाले स्वामी विवेकानंद जी काजन्म दिवस 12 जनवरी ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के अनुसार युवा अवस्था वह बिन्दु है जब व्यक्तिअसाधारण तल में प्रवेश कर जाता है और सफलता की नई ऊँचाई को छूता है। जर्मनलेखक गेटे ने भी कहा है, ‘दुनिया नौजवानों को इसलिए चाहती है क्योंकि वहहोनहार होते हैं। उनमें कुछ कर गुजरने की चाहत होती है। उनमें अपारसंभावनाएं होती हैं।’ श्री आशुतोष महाराज जी भी अकसर नौजवानों को समझातेहुए अपने प्रवचनों में कहा करते हैं- ‘युवा होना सिर्फ उम्र की एक अवस्थाका नाम नहीं बल्कि यह किसी दीपक की वह अवस्था है जब उससे सब से ज़्यादाप्रकाश की उम्मीद की जाती है। युवा शक्ति ही वह शक्ति है जिसने हर समय मेंयुग निर्माण किया। जिस के योग्य नेतृत्व में सभ्यता, संस्कृति आगे बड़ी। फिरचाहे वह प्रभु श्री राम की वानर सेना हो, अंगद, नल-नील, हनुमान आदि जैसेजज़्बे और गुरु भक्ति से भरपूर नौजवान हों। चाहे देश को आज़ाद करवाने वालेशहीद भगत सिंह, कर्तार सिंह सराभा, उधम सिंह आदि जैसे देश भक्त हों या फिरश्री गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा निर्मित खालसा फौज हो। श्री कृष्ण जी केयोग्य नेतृत्व में अधर्मियों का नाश करने वाली पांडव सेना हो या फिरविश्वामित्र जी की आज्ञा अनुसार देश के आततायी राक्षसों का नाश करने वालेयुवा श्री राम और लक्ष्मण जी हों।’ भाव हर समय युवा शक्ति ने ही विश्व मेंनवीन क्षितिज का निर्माण कर देश, कौम, संस्कृति, धर्म आदि की रक्षा की है। ‘नौजवान’ शब्द अपने आप में अथाह ऊर्जा, उत्साह और आंदोलन का प्रतीक है।युवा होने का अर्थ ही है- संचित शक्तियों का भंडार, जिसे गुरु महाराज जीअपनी प्रेरणा और ज्ञान से जाग्रत कर रहे हैं। वह नौजवानों के सामर्थ्य कोपहचान कर उसका सार्थक उपयोग कर रहे हैं।

संसार के महान विचारकों ने वर्तमान भारत कोसौभाग्यशाली देश कहा क्योंकि भारत की कुल आबादी का लगभग 66 प्रतिशत वर्गयुवा है। जो अन्य देशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है। ऐसी परिस्थिति में सबसेअहम सवाल यह उठता है कि देश के लिए युवा शक्ति वरदान है या फिर चुनौती? चुनौती इसलिए की यदि युवा शक्ति भटक जाए तो स्वयं एवं देश का भविष्य नष्टहो सकता है। इसलिए युवाओं की ऊर्जा का संपूर्ण रूप से सही दिशा में प्रयोगकरना इस समय की सबसे बड़ी चुनौती है।

नौजवानों में स्वामी विवेकानंद जी जैसी आध्यात्मिकता का संचार करने कीआवश्यकता है ताकि वह देश को नई उड़ान दे सकें। स्वामी विवेकानंद जी ने कहाथा कि मेरी उम्मीद आधुनिक युवा पीढ़ी से है। इन्हीं में से मेरे कार्यकर्ताआएंगे क्योंकि नौजवानों में ही समाज की बुराइओ और अन्याय से लड़ने की अपारक्षमता है। नौजवानों में अपार संभावना है जिसे भरपूर तरीके से खिलने औरबढ़ने का मौका उपलब्ध होना चाहिए। एक अच्छा व्यक्ति बनने के लिए वैज्ञानिकदृष्टिकोण के साथ-साथ आध्यात्मिकता का होना भी अनिवार्य है। सदैव सकारात्मकपहलू देखने की आदत होना भी आदर्श युवा का गुण है। आज का नौजवान इस बात सेभी अनभिज्ञ है कि भारतीय संस्कृति आदि काल से ही सम्पूर्ण विश्व को धर्म, कर्म, त्याग, ज्ञान, सदाचार, परोपकार और मनुष्यता की सेवा करना सिखाती आयीहै। सद्भावना और एकता का संचार करना ही भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र रहाहै। इसका मूल कारण है कि भारतीय दर्शन में आत्म-दर्शन की बात की गई है।इसलिए श्री आशुतोष महाराज जी ने युवाओं को आध्यात्मिक ज्ञान के साथ समय-समयपर योग्य मार्गदर्शन भी प्रदान किया क्योंकि वह युवाओं में उत्साहपूर्णफौलादी इरादों को देखना चाहते हैं। वह चाहते हैं की नौजवान समाज में फैलीचुनौतियों का सामना करने के लिए सदैव तत्पर रहें।

वर्तमान काल में युवा शक्ति का जाग्रत होना बहुत जरूरी है। अतः जाग्रतनौजवानों का फर्ज है कि वह आलस्य को त्याग कर दूसरों के कल्याण के लिए कदमबढ़ाएं। तुम युवा हो, कमजोर नहीं और न ही हीन। तुम कर्म स्वरूप हो, कर्मवीरहो। नौजवानों की समर्थता को बयान करता विवेकानंद जी का कथन है कि युवा वहहै जो सदा क्रियाशील रहता है। जिसके अंदर सिंह जैसा साहस है। जिसकी दृष्टिसदा अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहती है। जो इस संसार में कुछ अलग करना चाहताहै। जो किस्मत के सहारे न बैठ कर हिम्मत और जज़्बे के साथ अपने कर्तव्यों केप्रति चेतन रहता है। ऐसा नौजवान फिर कभी परिस्थितियों का दास नहीं बनताबल्कि परिस्थितियाँ उसकी गुलाम बन जाती हैं।(श्री आशुतोष महाराज जी युवाओं को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर युवाओं का मार्गदर्शन कर रहे है)

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here