फरीदाबाद, 2 मार्च – जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के पंडित दीन दयाल उपाध्याय केंद्रीय पुस्तकालय द्वारा ‘अनुसंधान उत्कृष्टता और अकादमिक विकास – वर्तमान परिदृश्य में आधुनिक पुस्तकालय कार्यशैली‘ विषय पर एक सप्ताह का शाॅर्ट-टर्म कार्यक्रम (एसटीटीपी) का आयोजन किया है। कार्यक्रम एआईसीटीई, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित है। कार्यक्रम में देशभर के 12 राज्यों के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
कार्यक्रम का उद्घाटन एसआरएम यूनिवर्सिटी, सोनीपत के लाइब्रेरियन डॉ. धर्म वीर सिंह ने किया। सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने की। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित और सरस्वती वंदन के साथ हुई। इसके उपरांत प्रो. आशुतोष दीक्षित मुख्य अतिथि का स्वागत किया। कार्यक्रम समन्वयक एवं संयोजक डिप्टी लाइब्रेरियन डॉ. पी.एन. बाजपेयी ने कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय दिया।
सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो सुशील कुमार तोमर ने कार्यक्रम की विषयवस्तु की प्रासंगिकता पर विचार रखे तथा पुस्तकालय द्वारा इस की गई पहल की सराहना की। उन्होंने शोध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अनुसंधान और टीम वर्क के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान को प्रोत्साहन देने तथा अकादमिक कार्यक्रमों के सहयोग में पुस्तकालय की अहम भूमिका होती है। उन्होंने शोध कार्य की गुणवत्ता और अंतःविषय अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया।
सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. धर्म वीर सिंह ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में पुस्तकालयों की भूमिका केवल दस्तावेज उपलब्ध कराने तक सीमित नहीं है अपितु पुस्तकालयों को सूचनाओं के चयनात्मक प्रसार (एसडीआई) से संबंधित सेवाओं को प्रदान करने पर विचार करना चाहिए। पुस्तकालयों को शोधकर्ताओं की सुविधा के लिए विभिन्न शोध सहयोगी सेवाएं प्रदान करके पर ध्यान देना चाहिए। ऐसी सेवाएं प्रदान करने के लिए नई तकनीक के उपयोग की आवश्यकता है।
डिप्टी लाइब्रेरियन डॉ. बाजपेयी ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य शोधकर्ताओं को सहयोगी सेवाएं प्रदान करने को लेकर पुस्तकालयाध्यक्षों की क्षमता को बढ़ाना है तथा संकाय सदस्यों को शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध विभिन्न उपकरणों और तकनीकों की जानकारी प्रदान करना है ताकि वे इसका लाभ उठा सके। सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रम के दौरान आईआईटी, एनआईटी, आईआईएसईआर, बीएचयू, पीयू आदि जैसे संस्थानों से अंतरराष्ट्रीय अनुभव रखने वाले वक्ताओं को विशेषज्ञ व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया है। सत्र के अंत में कार्यक्रम की सह-समन्वयक डॉ. प्रीति सेठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।