New Delhi News, 16 May 2022 : आगामी कई दशकों में भारत हाॅलीवुड की फिल्मों का सबसे बड़ा बाज़ार बनकर उभरने की संभावना रखता है। गौरतलब है कि हाॅलीवुड में निर्मित फिल्म ‘‘द जंगल बुक’’ को हिन्दी में डब किया गया और उसने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में सफलता के झंडे गाड़ दिए तथा रिकाॅर्ड तोड़ कमाई की। यह सिलसिला स्लमडाॅग मिलियनेयर से होते हुए ‘‘अवतार द डार्क नाइट और टाॅय स्टोरी-3 तक जा पहुंचा है।
फिल्म इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि भारतीय दर्शक अपनी परंपरागत संस्कृति से अलग विदेशी समाज और संस्कृति से रूबरू होना चाहते हैं। यही कारण है कि भारतीय सिनेमा जगत लगातार प्रयोग स्थली बनता जा रहा है, वर्तमान समय में टेलीविज़न तथा फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेजी से प्रगति कर रही है। अंग्रेजी भाषा सहित विभिन्न भाषाओं की फिल्में तथा टेलीविजन सीरियल्स हिन्दी भाषा में डब किए जा रहे हैं, जिसके चलते डबिंग आर्टिस्टों की देश में भारी मांग है।
रोमांचक है कार्यक्षेत्र-
गौरतलब है कि डबिंग के अंतर्गत किसी विजुअल को उसी के अनुरूप आवाज़ प्रदान की जाती है। वीडियो में कैरेक्टर क्या कहना चाहता है, उसकी भाव क्या दर्शा रही है, इसी को ध्यान में रखते हुए किसी अच्छे डबिंग आर्टिस्ट की सहायता से उसे आवाज़ प्रदान की जाती है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि डबिंग के लिए आवाज़ के ज़रूरी हिस्सों को रखा जाता है तथा गैर ज़रूरी हिस्सों को हटा दिया जाता है। इन प्रोग्राम्स के विजुअल पहले से ही शूट कर लिए जाते हैं। बाद में उन्हें वाॅयस सपोर्ट दिया जाता है। डबिंग करते समय किसी अच्छे आर्टिस्ट की सेवाएं ली जाती है। ज्यादातर अभिनेता डायलाॅग को खुद अपनी ही आवाज़ में डब करना पसंद करते हैं। लेकिन जब वे समय के अभाव और भाषागत समस्याओं के चलते ऐसा कर पाने में असमर्थ होते हैं तो उन्हें डबिंग आर्टिस्ट की ज़रुरत पड़ती है।
जहां तक डबिंग की बात की जाए तो इसमें वीडियो को स्क्रिप्ट के आधार पर आवाज़ प्रदान की जाती है। यह वीडियो फिल्म, रेडियो एवं डॉक्यूमेंट्री, किसी भी चीज की हो सकती है। डबिंग दो चीजों जैसे एनिमेटेड फिल्मों तथा हॉलीवुड या रीजनल फिल्मों में काम आती है। एनिमेटेड फिल्मों में कैरेटर ड्रॉ करने, बच्चों की आवाज़ को रिकॉर्ड कर उसे सही रूप में सामने लाने, खलनायक के लिए भारी आवाज़ तैयार करने, इंग्लिश कैरेक्टर के हिलते होठों के हिसाब से हिन्दी कैरेक्टर की वाॅयस सेट करने आदि का कार्य डबिंग के माध्यम से ही किया जाता है। पोस्ट प्रोडक्शन में आवाज़ की तरंगों तथा ऑडियो विजुअल सामग्री को कैरेक्टर के हिसाब से फिट किया जाता है। इसे ग्राफिक्स, आर्काइव्स फुटेज आदि द्वारा देखने योग्य बनाया जाता है। रीज़नल फिल्मों तथा कार्टून चैनलों में इनका प्रयोग अधिक देखने को मिलता है। मार्केट में कई ऐसे साॅफ्टवेयर भी हैं, जिन्हें हिन्दी में तैयार किया जाता है। जिनमें वाॅयस ओवर की मदद ली जाती है। यह काफ़ी सामान्य रुप में होता है और इसे बिना टीवी देखे किया जा सकता है। देश में ज़्यादातर बड़े टीवी सीरियल अथवा फिल्में वास्तविक रुप से हिन्दी में ही तैयार किए जाते हैं। बाद में उन्हें विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में डब कर दिया जाता है। बहुत बार ऐसा होता है की शूटिंग के दौरान मूल आवाज़ उतनी अच्छी नहीं आ पाती, जितनी कि होनी चाहिए। इसके लिए कैरेक्टर को दोबारा स्टूडियो में बुलाकर आवाज़ डब की जाती है।
डबिंग आर्टिस्ट का रोल है अहम –
डबिंग करते समय आवाज़ को और भी शानदार बनाया जाता है। इस प्रकिया में डबिंग आर्टिस्ट का उस समय सहारा लिया जाता है, जब या तो कलाकार अस्वस्थ हो या उसकी मृत्यु हो गई हो या उसे भाषा की जानकारी न हो, वैसे तो डबिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कोई विशेष मापदंड तय नहीं है, फिर भी यदि 12वीं के बाद विद्यार्थी इस फील्ड में कदम रखते हैं तो कई तकनीकी चीजें उनकी सहायता करती है। डबिंग का कोर्स करने के बाद व्यवहारिक ज्ञान प्रोडक्शन हाउस या स्टूडियो से ही सीखा जाता है। कई विश्वविद्यालय तथा कॉलेज डबिंग का कोर्स सिखाया करते है। डबिंग में सबसे ज्यादा ज़रूरी प्रोफेशनल स्किल्स है, जिसके दम पर स्टीम डबिंग की जाती है। आवाज़ पर परफेक्ट कमांड, उत्साही प्रवृति, कंप्यूटर पर घंटों कार्य करने की क्षमता, विजुअलाइज़ेशन संबंधी शब्दों का सही उच्चारण, समय सीमा, आंख तथा कानों को हमेशा खुला रखने की आदत एवं तकनीकी अभिरुचि इस क्षेत्र में बहुत आगे तक ले जाती है। किसी अच्छे संस्थान से डबिंग का कोर्स करने के उपरांत आप डबिंग असिस्टेंट के रुप में ऑडियो पोस्ट प्रोडक्शन हाउस मैं नौकरी करके अपने कैरियर की शुरुवात कर सकते हैं। जहां आवाज़ को तैयार करने, बदलने तथा उसमें कई आवाज़ों का मिश्रण करने संबंधी कार्य किए जाते हैं।