क्रिप्टो, स्टॉक और गोल्‍ड: इन परिसंपत्ति वर्गों के लिए क्या होनी चाहिए आपकी रणनीति?

0
592
Spread the love
Spread the love

New Delhi News, 24 June 2022 : बाजार में परिसंपत्ति वर्गों के बीच प्रतिस्पर्धा जारी है। निवेश विकल्पों की भरमार के साथ निवेश निर्णय लेना एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया है। जबकि सोना अभी भी अपनी पारंपरिक चमक को बरकरार रखे हुए है, बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो-परिसंपत्तियां पिछले कुछ वर्षों से बाजार में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। वैकल्पिक रूप से, शेयर बाजार एक आकर्षक निवेश अवसर के रूप में गति हासिल कर रहा है। परिसंपत्ति वर्गों में इसके अलावा बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, रियल एस्टेट, कमोडिटीज शामिल हैं, और यह सूची आगे बढ़ती ही जा रही है। यहां, महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि उच्च-रिटर्न वाला निवेश कैसे किया जाए। इसका जवाब है कि अनुकूल परिसंपत्ति वर्गों को अपने पास रखा जाए या उनमें निवेश को जारी रखा जाए जो जोखिम को कम करते हुए स्थायी रिटर्न सुनिश्चित करते हैं।

आइए कुछ लोकप्रिय निवेश विकल्पों – क्रिप्टो, स्टॉक और सोना पर नजर डालते हैं।

क्रिप्टो
क्रिप्टो करेंसी पिछले दस वर्षों में एक विशिष्ट परिसंपत्ति वर्ग के रूप में उभरी है। यह एक सट्टा संपत्ति है जिसमें उच्च जोखिम और उच्च रिटर्न की संभावना है। उदाहरण के लिए, पिछले कुछ महीनों में, हमने देखा है कि कैसे एक ट्वीट इसके मूल्य को 20% तक बढ़ा सकता है और इसी तरह बिना किसी स्पष्ट कारण के इसे 50% तक नीचे ले जा सकता है। सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो संपत्तियों में से एक, बिटकॉइन एक अमेरिकी डॉलर से कम के मूल्यांकन पर शुरू हुआ लेकिन आज यह 22 हजार डॉलर से अधिक के स्तर पर है। यह परिसंपत्ति वर्ग उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो सट्टा निवेश चाहते हैं। यह धीरे-धीरे नए जमाने के निवेशकों, खासकर मिलेनियल्स के बीच लोकप्रिय हो रहा है। भारत में इसकी कानूनी स्थिति को लेकर लगातार कयास लगाए जाते रहे हैं। हालांकि, सरकार ने क्रिप्टो को नियमित करने के इरादे दिखाए हैं, और एक परिसंपत्ति वर्ग के रूप में इसकी प्रमुखता समय के साथ सामने आएगी। अब क्रिप्टो परिसंपत्ति पर 30% टैक्स लगता है।

शेयर
शेयर बाजार में खुदरा भागीदारी पूरे भारत में सर्वकालिक उच्च स्तर पर रही है। महामारी के प्रहार, वैश्विक संकट और मंहगाई के शुरुआती संकेतों के बावजूद, बाजार सूचकांक औसत से ऊपर रहे हैं। अमेरिकी मुद्रा की जारी छपाई के साथ, इक्विटी में निवेश अनुकूल बना हुआ है।

इसके अलावा, शेयर बाजार में लेन-देन की लागत अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तुलना में बहुत कम है। उदाहरण के लिए, एक स्टॉक खरीदना 25 पैसे जितना कम खर्च कर सकता है, जबकि अचल संपत्ति खरीदने पर यह खर्च संपत्ति के मूल्य का 5-7% खर्च होगा। मौजूदा बाजार ग्राफ के अनुसार, अगले दस वर्षों में लगभग सभी परिसंपत्ति वर्गों में वृद्धि होगी, लेकिन इक्विटी अन्य निवेशों से बेहतर प्रदर्शन करेगी। इक्विटी के बाद, सोना (गोल्‍ड) एक और परिसंपत्ति वर्ग है जो आने वाले वर्षों में आगे बढ़ने के लिए तैयार है।

सोना (गोल्‍ड)
सोना यानी गोल्‍ड दुनिया की सबसे पुरानी आरक्षित मुद्राओं में से एक है। यह एक पारंपरिक संपत्ति है जो वर्षों से सबसे महत्वपूर्ण निवेश वर्गों में से एक रही है। पिछले एक दशक में डेट म्युचुअल फंड ने निवेश के तौर पर गोल्‍ड से बेहतर प्रदर्शन किया है। हालांकि, आगे बढ़ने के साथ बाजार कुछ अन्य संकेतों की तरफ इशारा कर रहे हैं। गोल्‍ड में निवेश करने वालों के लिए अगले कुछ साल अनुकूल रहेंगे। 2030 तक, सोने की कीमत 3000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने का अनुमान है। इसलिए, जिन निवेशकों के पोर्टफोलियो में डेट म्युचुअल फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट हैं, उन्हें अगले दस वर्षों में अनुकूल रिटर्न के लिए गोल्‍ड की ओर रुख करना चाहिए।

जो निवेशक डेट म्युचुअल फंड, बॉन्ड और फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना चाहते हैं, उन्हें समय के साथ गोल्‍ड का रुख करना चाहिए। हालांकि, इन परिसंपत्ति वर्गों ने अतीत में अच्छा रिटर्न दिया है, लेकिन भविष्य में उनकी ब्याज दर या तो तटस्थ रहेगी या फिर घटेगी। ग्लोबल बॉन्ड में बुल रन अपने अंत के करीब है। वर्ष 1981 में यूएस फेड की ब्याज दरें लगभग 12-13% थीं, हालांकि, 2030 के दशक तक ब्याज दर लगभग 2-3% थी। ब्याज दर और बॉन्ड की कीमतों के बीच संबंध यह है कि जब ब्याज दरें गिरेंगी बॉन्ड मार्केट में कीमतों में इजाफा होगा। इसलिए, रूढ़िवादी परिसंपत्ति वर्ग में निवेश करने के इच्छुक निवेशकों को निवेश पर बेहतर रिटर्न के लिए सोने का विकल्प चुनना चाहिए।

निष्‍कर्ष
देअर इज़ नो ऑल्‍टरनेटिव, (यानी यहां कोई विकल्‍प नहीं है) के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार बुलिश बनी हुई है। भारत एक लोकतंत्र है और इसका जनांकीय लाभांश युवा है। शेयर बाजार में खुदरा भागीदारी में तेजी उसी का संकेत है। अनुभवी और नए दोनों निवेशकों के लिए, कम जोखिम और उच्च रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए परिसंपत्तियों के बीच वांछित फंड का आवंटन सही रणनीति है। इसलिए, पूरी समझदारी से और अनुकूल निवेश निर्णय लेने के लिए निवेश लक्ष्यों और जोखिम उठाने की क्षमता पर जरूर विचार करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here