बढ़ते वायु प्रदूषण और मौसमी बदलाव के कारण सांस की बीमारियों में वृद्धि हो रही  है- अमृता के डॉक्टरों का कहना

0
299
Spread the love
Spread the love

फरीदाबाद; 18 नवंबर 2022: अमृता अस्पताल के डॉक्टरों ने दिल्ली- एनसीआर में पिछले कुछ हफ्तों में बढ़ते वायु प्रदूषण और मौसमी बदलाव के कारण सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और दूसरी बीमारियों के मामलों में 30% की वृद्धि देखी है। सर्दियों की शुरुआत और दिल्ली में छाई धुंध ने मौजूदा मामलों की स्थिति और भी खराब कर दी है। सीओपीडी एक फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें वातस्फीति (एम्फाइज़िमा) और ब्रोंकाइटिस जैसी स्थितियां फेफड़ों को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। वातस्फीति फेफड़ों को संक्रमित कर सांस लेने में कठिनाई पैदा करता है।

डॉ. अर्जुन खन्ना, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग प्रमुख, अमृता अस्पताल, फरीदाबाद कहते हैं, “हम अपने अस्पताल में बदलते मौसम की वजह से अगस्त की तुलना में अक्टूबर और नवंबर में सीओपीडी रोगियों की संख्या में 30% की वृद्धि देख रहे हैं। जैसे ही सर्दियों की ओर मौसम में बदलाव होता है और धुंध के कारण वायु प्रदूषण में इज़ाफ़ा होता है, वैसे ही विषाणु संक्रमण (वायरल इंफेक्शन) के मामलों में उछाल आ जाता है। ठंडा मौसम, तेज और सूखी हवाएं हर किसी के लिए सांस लेना मुश्किल बना सकती है, लेकिन सीओपीडी के रोगियों के लिए ऐसे में सांस लेना और भी मुश्किल हो जाता है। बढ़ते वायु प्रदूषण और सर्द हवा की वजह से सीओपीडी के लक्षण गंभीर रूप से खराब जाते हैं।”

डॉक्टर के मुताबिक, सीओपीडी भारत में एक आम बीमारी है। सीओपीडी के दुनिया भर में सबसे ज्यादा मामले हमारे देश में हैं। भारत में लगभग 6 करोड़ लोग सीओपीडी से पीड़ित हैं। इस बीमारी के शुरुआती लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं, जैसे सांस लेने में तकलीफ और खांसी होना। इस बीमारी बीमारीसे सबसे ज्यादा बुजुर्ग लोग प्रभावित होते हैं। आमतौर पर सीओपीडी का खतरा- धूम्रपान करने, चूल्हे या बायोमास धुएं के संपर्क में आने या भारी औद्योगिक प्रदूषण वाले शहरों से आने वाले लोगों में होता है।

डॉ. सौरभ पाहुजा, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग चिकित्सक, अमृता अस्पताल, फरीदाबाद ने कहा, “सीओपीडी एक आम बीमारी है, लेकिन इसका इलाज कर इसको नियंत्रित किया जा सकता है। अगर आपमें सीओपीडी के कोई लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो आपको पल्मोनोलॉजिस्ट को दिखाने की जरूरत है। जिससे की डॉक्टर आपको सही दवाएँ जैसे इनहेलर्स और फेफड़ों की एक्सरसाइज करने की सलाह दे सकता है और आसनी से स्थिति पर काबू पाया जा सकता है। हालांकि, ऐसा देखा गया है कि लोग डॉक्टर से जांच कराने और निदान होने से पहले महीनों और सालों तक सीओपीडी के लक्षणों से जूझते हैं।”

सीओपीडी के संबंध में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बात करते हुए डॉ. अर्जुन खन्ना ने कहा, “अगर आप दिल्ली-एनसीआर जैसे उच्च प्रदूषण क्षेत्र में रहते हैं तो आपको धूम्रपान करने से बचना चाहिए। जहां भी संभव हो एन-95 मास्क पहनें, ज्यादा प्रदूषण वाले घंटों के दौरान घर से बाहर निकलने से बचें और अगर हो सके तो घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें। खुद को सीओपीडी से बचाने के लिए संतुलित आहार लें और नियमित रूप से व्यायाम करें। सबसे जरूरी इन बीमारियों से खुद को सुरक्षित रखने के लिए हर साल सितंबर में अपना वार्षिक इन्फ्लुएंजा वैक्सीन लेना न भूलें।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सीओपीडी से दुनिया भर में 3.23 मिलियन लोगों की मौत हुई है। इनमें से लगभग 90% मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 70 वर्ष से कम उम्र के लोगों में होती हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here