February 20, 2025

फिटनेस के प्रति हैं सजग, फिर क्यों है हृदय रोग का जोखिम?

0
206
Spread the love

Health News, 28 Sep 2021: एक अध्ययन के अनुसार दुनिया में गैर संक्रामक रोगों से होने वाली मृत्यु का आधा हिस्सा केवल हृदय रोगों का है।हृदय रोग पहले से एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता का विषय है लेकिन हाल ही की ख़बरों ने इस रोग के प्रति हम सभी को और भी चेताया है जिसके तहत फिटनेस की दृष्टि से प्रभावशाली दिखने वाले युवा सेलेब्रिटी हार्ट अटैक की चपेट में देखे गए।किसी व्यक्ति को हृदय रोग का सामना क्यों करना पड़ा यह एक नज़र में बिना किसी जानकारी के तय नहीं किया जा सकता, और करना भी नहीं चाहिए, यह उस व्यक्ति के निजीदायरे में रहने देना चाहिए, हरेक व्यक्ति के रोग से ग्रस्त होने के अलग अलग कारण हो सकते हैं। इससे इतर हमें हृदय रोग की गंभीरता पर चर्चा करनी चाहिए। दरअसल आम तौर पर हृदय रोग को मोटापे व अन्य अस्वस्थ तौर तरीकों से जोड़कर देखा जाता है जो कि बिल्कुल सही भी है, लेकिन सक्रिय जीवनशैली के साथ हार्ट अटैक का आना कैसे मुमकिन होता है इसपर भी व्यापक चर्चा की ज़रूरत है। आज के दौर में जब बहुत से युवा स्वस्थ शरीर की चाहत में जिम जाने से लेकर फिटनेस रूटीन तक अपना रहे हैं, उन्हें हृदय रोग का कैसे खतरा हो सकता है बता रहे हैं हमारे कुछ विशेषज्ञ डॉक्टर्स :-

जिम जाने वालों और फिटनेस के सन्दर्भ में डॉक्टर आनंद कुमार पाण्डेय, डायरेक्टर एंड सीनियर कंसल्टेंट- कार्डियोलॉजी, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशेलिटी अस्पताल बताते हैं :-

सबसे पहले इस भ्रान्ति का दूर होना आवश्यक है कि केवल जिम जाना, व्यायाम के प्रति नियमित होना फिटनेस है। सोशल मीडिया के ज़माने में ख़ास तौर पर बहुत से युवा एक प्रकार से “फिटनेस का तनाव” लेकर जी रहे हैं। फिटनेस के लिए प्रोत्साहन अच्छा है लेकिन लगातार फिट दिखने का दबाव निश्चित रूप से हानिकारक है। हमारे दैनिक जीवन में स्वास्थ्य का दायरा खान-पान, निजी व पेशेवर ज़िन्दगी तक फैला हुआ है। बहुत से युवा फिटनेस के एक पहलु से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि अपने शरीर को बीमार कर देने की हद तक कष्ट देते हैं। इसके तहत वे बहुत तरह की लापरवाही भी कर बैठते हैं, जैसे पोषण को दरकिनार करना लेकिन जिम में क्षमता से ज्यादा वजन उठाना, या व्यायाम करना जिससे रक्त वाहिकाओं व रक्तचाप पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और धड़कन तेज़ हो जाने का जोखिम होता है, यह स्थिति गंभीर रूप में हार्ट अटैक की ओर ले जा सकती है। भरपूर नींद की कमी, अन्य कामों का तनाव आदि फिर इस स्थिति में इजाफा करते हैं।

अपनी क्षमताओं से बहुत ज्यादा पार जाना बुद्दिमानी नहीं है। धीरे-धीरे अपनी क्षमताओं को बढायें, अपने शरीर को समय दें। सबसे पहले अपने शरीर की खामियों खूबियों को स्वीकार करें, उनपर काम करें। पोषण पर ध्यान दें, प्रोसेस्ड फ़ूड से परहेज़ करें, सप्प्लिमेंट्स आदि न लेने की कोशिश करें या बिना उचित परामर्श के न लें, तनाव को नज़रंदाज़ न करें, फिटनेस को सम्पूर्णता में देखें इसे अतिरक्त दबाव का कारण न बनाएं।

हृदय रोग के अनुवांशिक कारण भी होते हैं, इसके अलावा अन्य सम्बंधित रोग भी इस ओर ले जाते हैं इसपर प्रकाश डाल रहे हैं डॉक्टर हेमंत मदान, डायरेक्टर, सीनियर कंसल्टेंट एंड रीजनल क्लिनिकल लीड नार्थ कार्डियोलॉजी एंड पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, नारायणा सुपरस्पेशेलिटी अस्पताल, गुरुग्राम:-

हृदय रोग के अनुवांशिक कारणों की यदि बात करें तो युवाओं को विशेष रूप से इसपर ध्यान देने की ज़रूरत है। इसे दो प्रकार से समझा जा सकता है, उदाहरण के लिए यदि माता-पिता को 50 वर्ष की उम्र के आस पास हृदय रोग का सामना करना पड़ा है तो बहुत मुमकिन है कि उनकी संतान को इस उम्र के आस-पास ही ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही लिंग के आधार पर भी अगली पीढ़ी में यह रोग जा सकता है, जैसे मां से बेटी, पिता से बेटे को। लेकिन फैमिली हिस्ट्री को ध्यान में रखते हुए स्वस्थ जीवन शैली से इस स्थिति को टाला जा सकता है। अपनी फैमिली हिस्ट्री पर नज़र रखें और डॉक्टर की सलाह पर अपना फिटनेस रूटीन तय करें।

दूसरी बात, हमारे देश के बहुत से तबकों में “हेल्दी” शब्द की बेहद भ्रामक परिभाषा है। इसके तहत बिना सचेत हुए लगातार खाने, मोटापे से ग्रस्त होने आदि को हेल्दी कह दिया जाता है। लेकिन समझना होगा कि मोटापा जहाँ स्वयं एक रोग है वहीँ अन्य कई रोगों को जन्म देता है। खान-पान जीवन शैली पर विशेष ध्यान दें। संतुलित आहार व शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। कोविड के दौर में भी बहुत से युवा हृदय रोग या इससे सम्बंधित लक्षणों का सामना कर रहे हैं, इसपर व्यापक चर्चा कर रहे हैं डॉक्टर राकेश चुग, सीनियर कंसल्टेंट एंड इंचार्ज, सीटीवीएस, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट :-

अभी के दौर में पोस्ट कोविड जटिलताओं में हृदय रोग के मामले तो सामने आ ही रहे हैं लेकिन इसके साथ साथ कोविड महामारी के कारण बहुत से युवाओं ने दफ्तर आदि का घर से काम करना शुरू किया, लम्बे समय तक एक सीमित दायरे में रहे, जो कि वक़्त के अनुसार ज़रूरी भी है, लेकिन देखा गया कि बहुत से लोगों का ऑटोनोमस नर्वस सिस्टम प्रभावित हुआ और उन्हें बीच बीच में धडकनों के घटने, बढ़ने की मामूली या कई मामलों में गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा।इसके अलावा अनियमित रक्तचाप, ब्रेन स्ट्रोक, लगातार बैठे रहने के कारण पैरों में क्लॉटिंग आदि के भी मामले सामने आते रहे, जो कि हृदय रोग की ओर ले जाने में सक्षम हैं। ज़रूरी है कि युवा इस दिशा में ध्यान दें। कोविड महामारी के इस दौर में भी सक्रिय जीवनशैली व पोषण पर विशेष ध्यान दें। एक जगह लगातार बैठे रहकर काम करने की बजाय बीच बीच में ब्रेक लेते रहें, नियमित चेक अप करवाते रहें।

 

 

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *