Health News, 22 Feb 2021 : रोगी के मिजाज, सिर के बाल, चेहरे व शरीर के हाव भाव, रंगत तथा नब्ज की गति को देखकर यूनानी चिकित्सा पद्धति में रोग की पहचान की जाती है। कई रोगों का सफल इलाज संभव है। आयुर्वेद की तरह यूनानी दवाइयां, जड़ी-बूटी, भस्म व अर्थ की बनी होती है। उचित मात्रा में लेने पर यह नुकसान नहीं करती। यानी इनका साइड इफेक्ट नहीं है। हमदर्द वैलनेस के वरिष्ठ हकीम सईदुर्रहमान का कहना है की यूनानी चिकित्सा पद्धति में लीवर, गुर्दे,दिल,दिमाग,पाइल्स, पुरुष और स्त्री रोग ,अस्थमा ,मधुमेह और त्वचा रोग जैसे जटिल रोगों का सफल इलाज है। इस पद्धति में थायराइड का इलाज नहीं है। वरिष्ठ हकीम सईदुर्रहमान का कहना है कि पहला अखलाक यानी पीला पित्त (सफरा) काला पिक (सौदा) बलगम में खून (दम) तथा दूसरा तत्व यानी आग पानी हवा मिट्टी तीसरा मिजाज यानी ठंडा गरम सूखा गीला इनके आधार पर यूनानी चिकित्सा पद्धति कार्य करती है। इनके संतुलन से स्वास्थ्य बनता है तथा असंतुलन से रोग। ग्रीस यूनान से इसकी शुरुआत हुई। यूनानी पद्धति अरब से भारत आई थी। हकीम सईदुर्रहमान का कहना है कि पहले रोगी की जांच का कोई पैरामीटर नहीं था। तब रोगी के मिजाज, सिर के बाल, चेहरे व शरीर के हाव भाव, रंगत तथा उसकी गति देखकर रोगी की जांच कर रोग की पहचान की जाती थी। तकनीकी टेस्ट सुविधाएं हो चुकी है। हकीम यूनानी तरीके से जांच करते हैं तथा आधुनिक जांच रिपोर्टों के आधार पर चिकित्सा करते हैं। चिकित्सक की देखरेख में ले रहे यूनानी दवाइयों का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। इसकी वजह है कि यह हर्बल होती है। जो शुद्ध जड़ी बूटियों, भस्म व अर्कों की बनी होती है। हालांकि कई रोगों में इलाज लंबे समय तक चलता है। वरिष्ठ हकीम का कहना है कि हम रोगी के दर्द के हमदर्द हैं। रोगी के रोग को ठीक करना हमारा धर्म है। करहाता हुआ आएगा, मुस्कुराता हुआ जाएग। यही नारा एक चिकित्सक का होना चाहिए। इसीलिए रोगी को निरोगी बनाना हमारा धर्म और कर्तव्य है