Mumbai : पूरे लॉकडाउन के दौरान अभिनेता ऐजाज़ खान अपने घर में अकेले थे । वह कहते हैं की कोरोना वायरस के कारण जो महामारी फैली उसने उन्हें मानसिक रूप से शुरू-शुरू में काफी परेशान किया। “मुझे लगता है की कई लोग लॉकडाउन के दौरान हुई समस्याओं के कारण मानसिक रूप से परेशान हुए होंगे और उनकी काउंसलिंग होनी चाहिए। मैं खुद पहले महीने में कई बार रोया क्यूंकि मुझसे घर वापस जाते मजदूरों की हालत देखी नहीं जाती थी ।मुझे बुरा लगता था कि मेरे पास संसाधन हैं । पिछले कुछ दिनों ने मुझे आत्मविश्लेषण का मौका दिया जो मेरे लिए काफी उपयोगी साबित हुआ। मैं काफी बार उदास भी हुआ। क्यूंकि मैं ज़्यादा खुलकर बात नहीं कर पाता, मैं खुद में ही रहने लग गया। मैं काफी घंटों तक खाता नहीं था और पूरे वक़्त सोशल मीडिया में व्यस्थ रहता था।” खान, 45, कहते हैं।
तब उन्हें लगा कि एक दिनचर्या का होना आवश्यक है। उन्होंने रोज़ाना अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से बातचीत करनी शुरू की, पड़ोसियों के साथ खाने का आदान-प्रदान शुरू किया और हालांकि वह ज़्यादा धार्मिक नहीं हैं उन्होंने दिन में पांच बार प्रार्थना करनी शुरू की।
वह कहते हैं “प्रार्थना करना मेरे लिए ध्यान करने जैसा है। मैंने लॉकडाउन ख़तम होने के बाद भी यह जारी रखा क्यूंकि इससे मुझे बहुत सुकून मिलता है।”
लॉकडाउन के दौरान ऐजाज़ दो पालतू कुत्तों के फोस्टर पैरेंट भी बने। एक साल में उन्होंने अपने दो पालतू जानवर खोये थे। “मैं एक मादा कुत्ते को घर लाया और उसका नाम ब्लॉसम रखा। जब वो मुझे मिली उसकी हालत बोहोत खराब थी। वो हाईवे पर दो हफ़्तों से बंधी हुई थी और उसके पूरे शरीर में मैग्गोट्स थे। उसे प्यार की बेहद ज़रूरत थी लेकिन सही मायने में उसने मुझे बचाया। ख्याल रखना उसकी मदद से मुझे पाने में मदद मिली। उसका ख्याल रखते-रखते हर मुश्किल आसान हो गयी।”