February 21, 2025

35 वर्षीय पुरुष को सर्प दंश के बाद ब्रेन-डैड मिमिक कंडीशन में अस्‍पताल लाया गया, मिला नया जीवनदान

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Faridabad News, 15 Oct 2020 : फोर्टिस अस्पताल फरीदाबाद के डॉक्टरों ने महामारी के दौरान मरीज़ों की देखभाल के ऊंचे मानकों को प्रदर्शित करते हुए, एक ऐसे मरीज़ का तत्का ल इलाज किया जिसे सर्पदंश के बाद इमरजेंसी में लाया गया था। मरीज़ के शरीर में कोई हरकत नहीं थी और आंखों की पुतलियों में भी कोई मूवमेंट नहीं दिखायी दे रही थी। मरीज़ को क्लीऔनिकली ब्रेन डैड घोषित कर दिया गया था। मरीज़ की हालत बिगड़ती देख, डॉ रोहित गुप्ताम, डायरेक्टबर-न्यूनरोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉ र्ट्स फरीदाबाद और डॉ सुप्रदीप घोष, डायरेक्टेर, क्रिटिकल केयर नेतृत्व में डॉक्ट रों की एक टीम ने मरीज़ का उपचार शुरू किया। शुरू में जो मामला एकदम सीधा-सपाट लग रहा था वह इलाज में देरी की वजह से उतना की चुनौतीपूर्ण बन गया।

फरीदाबाद में खेड़ी गांव के रहने वाले इस मरीज़ को इलाज के लिए अलग-अलग अस्पातालों में ले जाने के बाद फोर्टिस एस्कॉइर्ट्स फरीदाबाद लाया गया था। जब मरीज़ अस्पसताल पहुंचा तो कोमाटेज़ स्टेखट में था और उसकी आंखों की पुतलियों में भी कोई हरकत नहीं थी। मरीज़ को तुरंत वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। उसकी ब्रेन डेड कंडिशन के बारे में पता लगाने के लिए इलैक्ट्रो एंसेफेलोग्राफी (ईईजी), नॉन-कंट्रास्टल कंप्यू टेड टोमोग्राफी (एनसीसीटी) और एमआरआई करवायी गई ताकि मस्तिष्कप की इलैक्ट्रिकल एक्टिविटी का पता लगाया जा सके। मरीज़ के शरीर की सावधानीपूर्वक जांच में उसके पैर में सर्पदंश के निशान दिखायी दिए। इससे यह संकेत मिला कि मरीज़ को सांप ने काटा था और उसके बाद उसके शरीर में न्यू रो-मस्यु्यू लर पैरालिसिस हो गया।

इलाज की प्रक्रिया के बारे में डॉ रोहित गुप्ताउ ने बताया, ”अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में लाने पर मरीज़ के स्वास्थ्य की बिगड़ी स्थिति के कारण का पता लगाया गया। मरीज़ की जांच करना बेहद जरूरी था क्यों कि वह कुछ घंटों तक बेहोश रहा था। ऐसा करना काफी चुनौतीपूर्ण काम था और मरीज़ की हालत देखकर तो ऐसा लग रहा था कि कोई उम्मीऐद नहीं बची है। लेकिन जब हमने सांप के काटे के निशान देखे तो पूरा मामला साफ हो गया, और हमने उपयुक्तब उपचार मरीज़ को दिया। उसे एंटी-स्नेसक वेनम दिया गया जिसके बाद मरीज़ ही हालत धीरे-धीरे सुधरने लगी। 2 दिन के उपचार के बाद, रिकवरी के शुरुआती चिह्न दिखायी देने लगे। चौथे दिन मरीज़ ने रिस्पॉलन्डद करना शुरू कर दिया था और उसने खाना खाया तथा खुद चलने-फिरने लगा। मरीज़ को 5वें दिन अस्प‍ताल से छुट्टी दे दी गई। इस पूरे मामले में हमें मरीज़ की समय पर संपूर्ण जांच और हमारे पिछले अनुभवों से काफी मदद मिली और यही वजह है कि हम मरीज़ का प्रभावी तरीके से इलाज कर पाए तथा मरीज़ को उस स्थिति से बाहर लाने में सफल हुए जो उसे ब्रेन-डैड बता रही थी।”

श्री मोहित सिंह, फैसिलिटी डायरेक्टीर, फोर्टिस एस्कॉरर्ट्स अस्प ताल, फरीदाबाद ने कहा, ”यह समय काफी चुनौतीपूर्ण रहा है और खासतौर से फ्रंटलाइन हैल्थमकेयर वर्कर्स के लिए यह मुश्किल दौर है। इस मामले में सभी आवश्यसक सावधानियां बरती गई और विभिन्नस विभागों से जुड़े स्टारफ ने पूरा ध्या न रखा। हम मरीज़ को सावधानीपूर्वक और सभी सेफ्टी प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए मेडिकल केयर उपलब्ध कराते रहेंगे।”

 

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