‘वह आसमां मुझे दो’ पुस्तक पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया

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Faridabad News, 02 Nov 2020 : डी. ए. वी. शताब्दी कॉलेज,फरीदाबाद की वाणिज्य विभाग की अध्यक्षा डॉ.अर्चना भाटिया के द्वारा लिखी पुस्तक ‘वह आसमां मुझे दो’ पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा की आदरणीय चारू बाली मुख्य अतिथि आई. आर. बी. भोंडसी, गुरूग्राम और राज्य की अपराध शाखा, हरियाणा से अतिरिक्त पुलिस महानिदेशिका, रहीं। उन्होनें नारी उत्थान से संबोधित कहानी संग्रह की। भूरि भूरि प्रशंसा भी की। आदरणीय चारू बाली जी ने अपने अनुभव भी बताए। इस पुस्तक का लोकार्पण पूर्व में केन्द्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद के कर कमलों द्वारा किया गया था। डॉ.अर्चना भाटिया द्वारा नारी समाज को समर्पित लघु कथा संग्रह ‘वह आसमां मुझे दो’ को भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैयानायडू के द्वारा भी सराहा गया जिसके लिए उपराष्ट्रपति महोदय ने स्वयं डॉ.अर्चना भाटिया को अपनी शुभकामनाएं प्रशस्ति -पत्र के माध्यम से सम्प्रेषित की।

इस परिचर्चा के दौरान अनेक विद्वान एवं दिग्गज प्रतिभाओं ने डा. भाटिया द्वारा रचित कहानी संग्रह की समीक्षा की। मुख्य समीक्षकों की सूची में रश्मि सानन, (गज़टेड ऑफीसर, कम्पट्रोलर एवं ऑडिटर जनरल ऑफ इन्डिया एवं कवियत्री), भूतपूर्व हिन्दी शिक्षिका एसो. प्रो. डॉ. शुभ तनेजा, (डी. ए. वी. शताब्दी कॉलेज,फरीदाबाद),डॉ. अंजु दुआ जैमिनी, (पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं आयकर विभागााध्यक्ष) डा. दुर्गा अशोक सिन्हा (मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शिका एवं सलाहकार) डा.कमला सिंह, अमेरिका ( सेवानिवृत प्रोफेसर, हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी हिसार) से सेवानिवृत प्रोफेसर, प्लांट पैथोलॉजी पंजाब एग्रीकल्चर यूनिर्सिटी, लुधियाना से डा. प्रितपाल कौर चाहल, (कनाडा डा. प्रतिभा चौहान, नेहरू कॉलेज फरीदाबाद से (प्रशासनिक अधिकारी, बीमा कमपनी) श्रीमती अंजलि चोपड़ा, पूनम कुमारी प्रो. ऑफ हिन्दी सी. आई. एल./एस. एल.एल. – जे.एन..यू., श्रीमान ध्रुव, पुलिस अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा (रिटायर्ड) डॉ. एम. के. पांडेय सहायक प्रोफेसर हिंदी दिल्ली विश्वविद्यालय सुनीता डूडेजा, कंप्यूटर इंस्ट्रक्टर, एसोसिएट एन. सी. सी. ऑफिसर (गर्ल्स विंग्स) आदि ने अर्चना भाटिया द्वारा लिखी गयी कहानियों की अत्यंत गहनता के साथ समीक्षा की। इस कार्यक्रम में सुरेखा जैन जो एम. ए. ( अर्थशास्त्र हिन्दी) बी. एड.मंच संचालिका रही, और बडे ही सुन्दर शब्दों में कार्यक्रम को बड़ी खूबसूरती से पिरोहा। प्रो.

डॉ.अर्चना भाटिया क्योंकि स्वयं शिक्षण क्षेत्र से जुड़ी है अतः उनका यह मानना है कि उनका मूल कर्तव्य है कि वह नारी वर्ग को नारी सशक्तिकरण के सही अर्थ से परिचय कराये अतः आज की युवा नारियों को केन्द्र बिन्दु मानते हुए डा. भाटिया ने यह पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में उन्होनें नारी की विभिन्न भूमिकाओं जैसे- माँ, सास , पत्नी, बहन, बेटी, शिक्षिका आदि को कहानी के माध्यम से पिरोने की कोशिश की है। इस कथा संग्रह के पीछे उनका एकमात्र लक्ष्य समाज में महिलाओं से जुड़ी समस्याओं का सकारात्मक समाधान लाना है। अनामिका प्रकाशन के सहयोग से प्रकाशित इस पुस्तक का लक्ष्य तभी पूर्ण हो सकता है जब स्वयं महिलायें महिला सशक्तिकरण के वास्तविक अर्थ को पहचान कर उसे अपनाने का प्रयास करें और यह तभी सम्भव है जब महिलाएं शिक्षित हो, जागरूक हो और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो। डा. भाटिया इस लघु कथा संग्रह के माध्यम से पुरूष वर्ग को यह संदेश देना चाहती है कि वे भी अत्यंत संजीदगी से सहर्ष महिला सशकित्करण के प्रयास को सार्थक बनाने में अपना योगदान दें।

इस परिचर्चा में जूम और फेसबुक पर लगभग एक हजार लोगों ने देश विदेश से भाग लिया और फेसबुक लाइव पर भी बहुत लोगों ने इसे देखा । लेखिका डॉ. अर्चना भाटिया ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया

 

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