Faridabad, 06 May 2022 : श्री सिद्धदाता आश्रम के पांच दिवसीय 15वें ब्रह्मोत्सव के चौथे दिन रामानुज संप्रदाय के प्रवर्तक स्वामी रामानुज की जयंती जोरदार ढंग से मनाई गई। मान्यता के अनुसार रामानुज स्वामी को शेष अवतार माना जाता है जिन्होंने कलियुग में धर्म से दूर हो रहे लोगों को धर्म के साथ जोड़ा।
रामानुज संप्रदाय के प्रमुख स्थल श्री सिद्धदाता आश्रम एवं श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में भाष्यकार रामानुज स्वामी की जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई। श्री सिद्धदाता आश्रम के अधिष्ठाता श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने बताया कि करीब एक हजार वर्ष पूर्व धर्म से विरुद्ध आचरण बढऩे पर भगवान के निर्देश पर शेषजी ने रामानुज के रूप में दक्षिण के पेरंबदूर में अवतार लिया और लोगों को धर्म के साथ जोड़ा। उन्होंने गुरु भक्ति और गुरु ज्ञान को आगे स्थापित किया और जीव व ब्रह्म के लिए एक विशिष्ट अद्वैत सिद्धांत को प्रतिपादित किया। उन्होंने अपने 120 वर्ष के जीवन में करोड़ों लोगों को भगवान के मार्ग पर चलना सिखाया। उन्होंने देश में 72 गादियों की स्थापना की जो आज भी लोगों को धर्म आचरण करना सिखा रहे हैं। उन्होंने वेदांतों का भाष्य किया इसलिए उनको भाष्यकार के नाम से भी जाना जाता है।
स्वामीजी ने भाष्यकार रामानुज की प्रतिमा का सविधि अभिषेक कर पूजन किया एवं लोकमंगल की कामना की। उन्होंने कहा कि गुरु भक्ति को पुन प्रतिपादित करने वाले रामानुज स्वामी के नाम से ही संप्रदाय को जाना जाने लगा। मूलत: इस संप्रदाय की स्थापना स्वयं माता लक्ष्मी जी ने की इसलिए इस संप्रदाय का नाम श्री संप्रदाय भी कहा जाता है।
शाम को आश्रम के बाहर श्री रामानुज स्वामी की शोभायात्रा निकाली गई जिसमें स्वामी जी प्रतिमा के साथ भक्तगण ढोल नगाड़ों के साथ सम्मिलित हुए। पांच दिवसीय यह ब्रह्मोत्सव 7 मई को भगवान श्री लक्ष्मीनारायण एवं अन्य सभी देव विग्रहों के साथ विशाल शोभायात्रा के साथ संपन्न होगा। जिसकी शुरुआत कैबिनेट मंत्री मूलचन्द शर्मा व अन्य विशिष्ट अतिथि करेंगे।