February 22, 2025

महर्षि कात्यायन की तपस्या के बाद उनके घर मां भगवती ने कात्यायनी देवी के रूप में लिया: भाटिया

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Faridabad News : नवरात्रों के छठे दिन सिद्धपीठ महारानी श्री वैष्णोदेवी मंदिर में भगवती दुर्गा के छठे स्वरुप मां कात्यायनी की भव्य पूजा की गई। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने प्रातकालीन पूजा का शुभारंभ करवाया। इस अवसर पर मंदिर में पहुंचे पूर्व विधायक चंदर भाटिया एवं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चीफ मैनेजर राजेश पुंजानी
ने मां कात्यायनी की पूजा अर्चना में हिस्सा लिया। उन्होंने मां की आरती करते हुए भव्य नवरात्रों के आयोजन के लिए मंदिर संस्थान को बधाई दी। इस अवसर पर मंदिर की ओर से पूर्व विधायक चंदर भाटिया एवं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चीफ मैनेजर राजेश पुंजानी, को मां की चुनरी व प्रसाद भेंट किया गया।

मंदिर सँस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने पूजा अर्चना के दौरान भक्तों को मां कात्यायनी की महिमा से अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि मां कात्यायनी का नाम किस वजह से पड़ा, श्री भाटिया के अनुसार इस दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है, जो अपने भक्त की हर मुराद पूरी करती हैं. बताया जाता है कत नाम के एक प्रसिद्ध महर्षि थे, उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें. मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली, जिसके बाद से मां का नाम कात्यायनी पड़ा. यह दानवों, असुरों और पापी जीव धारियों का नाश करने वाली देवी भी कहलाती हैं।

चार भुजाधारी और सिंह पर सवार हैं मां
अपने सांसारिक स्वरूप में मां कात्यायनी शेर पर सवार रहती हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। इनके बांए हाथ में कमल और तलवार है. दाहिने हाथ में स्वस्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है। दुर्गा पूजा के छठे दिन इनके स्वरूप की पूजा की जाती है।

ऐसे करें माँ कात्यायनी की पूजा
छठे शारदीय नवरात्र 2017 के दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मंदिर में मां कात्यायनी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. मां की प्रतिमा को तिलक करें. इसके बाद जोत जलाएं, और जोत लेने के लिए गोबर के उपले को जला कर लौंग इलायची का भोग लगाएं।

इस मंत्र से करें मां का पूजन, मिलेगा लाभ
चन्द्रहासोज्जवलकरा शाईलवरवाहना.
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी..

यह है शुभ रंग
नवरात्र के छठे दिन लाल रंग के वस्त्र पहनें. यह रंग शक्ति का प्रतीक होता है.
पूजा अर्चना के अवसर पर मंदिर में सागर रत्तरा, विक्की रत्तरा, ओमप्रकाश भाटिया, नरेश शर्मा, जोगिंद्र सब्बरवाल, प्रदीप, आदित्य, धीरज पुंजानी, राजीव शर्मा, फकीरचंद कथूरिया, कांशीराम, प्रताप भाटिया, गिर्राजदत्त गौड़ एवं विकास खत्री उपस्थित थे।

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