February 22, 2025

अग्रवाल विद्या प्रचारिणी सभा ने संस्था के 100 साल पूरे होने का रिकॉर्ड बनाया

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Faridabad News, 20 Dec 2018 :  बल्लभगढ़ शहर की अग्रवाल विद्या प्रचारिणी सभा ने संस्था के 100 साल पूरे होने पर गुरुवार को शहर में शोभायात्रा निकालकर रिकॉर्ड बनाया। शोभायात्रा में संस्था के जुडे़ कॉलेज और स्कूलों के 15 हजार से अधिक छात्र- छात्राओं ने भाग लिया।
अग्रवाल विद्या प्रचारिणी सभा प्रदेश की सबसे पुरानी शिक्षण संस्थान है, जिसे मात्र 5 विद्यार्थियों से शुरू किया गया था, लेकिन आज इस शिक्षण संस्थान के अलग-अलग स्कूल कॉलेजों में करीब 18,000 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। तिगांव रोड स्थित अग्रवाल पीजी कॉलेज से इस शोभायात्रा को स्थानीय विधायक मूलचंद शर्मा, अग्रवाल विद्या प्रचारिणी सभा के चेयरमैन देवेंद्र गुप्ता  और शहर के गणमान्य लोगों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। शोभायात्रा में नामी गिरामी बैंड भी बुलाए गए थे। इस दौरान देवी देवताओं की मनमोहक झांकियां भी निकाली गई। शोभा यात्रा और झांकियों पर शहर में जगह जगह फूलों की वर्षा हुई। संस्था के  वरिष्ठ सदस्य दिनेश गुप्ता एडवोकेट ने बताया अग्रवाल विद्या प्रचारिणी सभा की स्थापना वर्ष समारोह का है, जहां प्रचारिणी सभा आज अपने 100 साल पूरे होने पर उत्सव मना रही है। 100 वर्ष पहले भक्त श्याम लाल ने एक पेड़ के नीचे 5 विद्यार्थियों से इस प्रचारिणी सभा की नींव रखी थी, जहां आज 18000 से अधिक विद्यार्थी स्कूल और कॉलेजों में शिक्षा ले रहे हैं। सभा के चेयरमैन देवेंद्र गुप्ता ने बताया महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी में अधिकांश टॉप पोजीशन उनके अगरवाल पीजी कॉलेज की रहती है और उनके यहां पढ़े विद्यार्थी आईएएस, आईपीएस, आईआरएस कस्टम और ब्रिगेडियर जैसे पदों पर रह चुके हैं। गुप्ता की मानें तो यह प्रदेश की सबसे पुरानी शिक्षण संस्था है, जिसके हजारों विद्यार्थी आज पूरे शहर में यात्रा निकाल रहे हैं। देवेंद्र गुप्ता ने बताया यह शोभायात्रा कॉलेज से चलकर मोहना रोड से घंटाघर चौक मेन बाजार होती हुई वापस कॉलेज पहुंची जिसमें कई शोभा यात्राएं भी शामिल रही।
इस मौके पर सभा के जय प्रकाश गुप्ता, पवन कुमार गुप्ता, केके गुप्ता, मुकुट लाल गुप्ता, दिनेश गुप्ता, विजय सिंगला, जीएल मित्तल, आरडी गुप्ता, राधे श्याम, महेंद्र गोयल, मेहर चंद मित्तल, डॉक्टर वासुदेव गुप्ता, अमित विजय, तेजपाल यादव, प्रेम खट्टर, भगवान दास गोयल और मोहन बंसल प्रमुख रूप से मौजूद थे।

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