बुरुंडी की परम्परागत ड्रम कला के दीवाने हुए पर्यटन

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Faridabad News, 03 Feb 2019 : अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में रविवार को हल्की धूप के बीच जब ईस्ट अफ्रीका के बुरूंडी देश के कलाकारों ने परम्परागत ड्रम व नृत्य की शुरूआत की तो पर्यटक बड़ी चौपाल की ओर उमड़ पड़े। पेड़ों को बीच से खाली कर बनाए गए भारी भरकम ड्रम सिर पर उठाए कलाकारों ने विशेष धुन से जो समां बांधा तो वहां बैठा हर कोई झूम उठा। लगभग आधे घंटे की इस प्रस्तुति को पर्यटकों ने बड़े ध्यान से सुना और तालियों से कलाकारों का हौसला बढ़ाया। ग्रुप के हर कलाकार का जोश में तालमेल देखते ही बनता था। विशेष प्रकार की वेशभूषा पहने महिला व पुरूष कलाकार विशेष आकर्षण से सबका ध्यान अपनी ओर खींच रहे थे। चौपाल में बैठे पर्यटक इस प्रस्तुति में गाए गीत के शब्दों के मतलब से अनजान थे लेकिन ड्रम की मधुर धुन व गायन कला ने सबको अपना दिवाना बना दिया। बीच बीच में कलाकारों द्वारा लम्बी कूद व ऊंची कूद ने कार्यक्रम और भी दर्शनीय बना दिया। इस अनूंठी कला को पर्यटकों ने अपने मोबाइल में संजोया और समापन पर खड़े होकर इन विदेशी कलाकारों को सम्मान दिया। समारोह में मुख्यअतिथि के रूप में पहुंचे मुख्य सचिव हरियाणा सरकार डीएस डेसी भी अपने आप को रोक नहीं पाए और कलाकारों की हौसला अफजाई के लिए 25 हजार रूपये प्रोत्साहन स्वरूप दिए।
बुरूंडी गु्रप के लीडर अगजाया, जोनास व एलीयेट ने बताया कि यह ड्रम व नृत्य उनके देश का परम्परागत कला है। इस ड्रम कला में महिलाओं को ड्रम बजाने की इजाजत नहीं है। केवल पुरूष ही ड्रम बजाने की कला में भाग ले सकते हैं। इस कला में महिलाएं केवल नृत्य में ही भाग ले सकती हैं। उन्होंने बताया कि यह ड्रम व नृत्य कला का प्रदर्शन विशेष समारोह व अवसरों पर ही किया जाता है। यह ड्रम नृत्य एकता व शांति का प्रतीक माना जाता है।

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