Faridabad News : इतिहास पर बनने वाली फिल्मों में अभिनय या अभिव्यक्ति की आजादी से ज्यादा एतिहासिक तथ्य और जन संवेदनाओं का महत्व होना चाहिए। इस संदेश के साथ हरियाणा के कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने फिल्म पद्मावती पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और पद्मावती फिल्म के निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली को पत्र लिखकर फिल्म में संशोधन की मांग की है। विपुल गोयल ने संजय लीला भंसाली को लिखा है …
आदरणीय संजय लीला भंसाली जी,
मैं देशहित और भारतीय संस्कृति पर आपकी फिल्मों का मुरीद रहा हूँ। ये बहुत अच्छी बात है कि आपने भारतीय संस्कृति और सम्मान की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान देने वाली , सुंदरता और शौर्य की प्रतीक महारानी पद्मावती जी पर फिल्म बनाई है। आपकी फिल्म तो अभी नहीं आई है लेकिन मैंने ट्रेलर जरूर देखा है जिसमें बुराई के प्रतीक अलाउद्दीन खिलजी का जिस तरह महिमामंडन किया गया है, उससे मेरे मन में भी कई सवाल उठे हैं। जो लोग देश भर में फिल्म का विरोध कर रहे हैं, उनके मन को भी ठेस पहुँची है।
अलाउद्दीन ख़िलजी के किरदार को ग्लैमराइज करना उन सभी लोगों का महिमामंडन है जो लड़कियों पर तेज़ाब फेंकने जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। फिल्म को हिट करने के लिए, प्रोडक्शन का स्तर उठाने के लिए एक बुरे किरदार को इस तरह ग्लैमराइज करने से अच्छा विकल्प आप चुन सकते थे। ट्रेलर में आप गोरा- बादल की वीरता को सामने रख सकते थे जिन्होंने अपने राजा की रक्षा के लिए क़ुर्बानी का अद्वितीय उदाहरण पेश किया। किसी बुरे किरदार को यादगार बनाने से हो सकता है आपकी फिल्म हिट हो जाए लेकिन ऐसे में ये फिल्म हमारे गौरवमयी इतिहास के साथ न्याय नहीं कर पाएगी। सेंसर बोर्ड की दृष्टि से हो सकता है कि आपकी फिल्म में कोई त्रुटि ना हो लेकिन देश चाहता है कि वो ऐसी फिल्म देखे जिसमें अलाउद्दीन खिलजी की बजाए रानी पद्मावती, सेनापति गोरा और उनके भतीजे बादल की वीरता के चर्चे हों। देश चाहता है कि आपकी फिल्म देखकर निकलने वाले लोग ये ना कहें कि अलाउद्दीन खिलजी के रोल में रणबीर सिंह ने क्या अभिनय किया है बल्कि ये महसूस करें कि मान के लिए जान देने वाले कितने शूरवीर थे।
इतिहास पर बनने वाली फिल्मों में अभिनय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से ज्यादा देश के लोगों की संवेदनाओं का महत्व होना चाहिए ताकि भारत के इतिहास का गौरवमयी पहलू आज की पीढी महसूस कर सके। मेरा आपसे बस इतना सवाल है कि मनोरंजन के लिए अलाउद्दीन खिलजी का महिमामंडन क्या उचित है। आज देश भर में आपकी फिल्म का विरोध हो रहा है और हरियाणा में भी विभिन्न समुदायों के लोगों ने आपकी फिल्म के खिलाफ आवाज उठाई है। इसीलिए एक जनप्रतिनिधि होने के नाते आपसे गुज़ारिश है कि लोगों की भावनाओं को समझते हुए फिल्म में ज़रूरी संशोधन करते हुए ही फिल्म को रिलीज करें और अगर ऐसा नहीं है तो देश के सवालों का जवाब देते हुए विवाद को खत्म करें ताकि आपकी फिल्म शांति के साथ प्रदर्शित हो पाए।
साथ ही विपुल गोयल ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी से भी पत्र लिखकर फिल्म को एतिहासिक तथ्यों के आधार पर परखने का अनुरोध किया है।