Faridabad News, 04 Feb 2020 : हिमाचल के पहाड़ों की सुंदर वादियों में उकेरे गए चंबा के रूमाल मेले में पर्यटकों को काफी लुभा रहे हैं। इस रूमाल की खासियत है कि एक ही चित्र दोनों तरफ दो अलग दिशाओं में दिखाई देता है। चित्र पलटते ही दृश्य भी पलट जाता है।
34वें सूरजकुंड मेले में इस बार कमांड स्टेट का दर्जा हिमाचल प्रदेश को दिया गया है। हिमाचल के सैंकड़ों कारीगर और कारोबारी मेले में पिछले पांच दिनोंं से अपना डेरा जमाए हुए हंै। इनमें कुछ तो ऐसे हैं जो पहली बार सूरजकुंड आए हैं और इंटरनेट या ऑनलाइन की दुनिया से अभी पूरी तरह वाकिफ नहीं है। इन्हीं में से एक है इंदु शर्मा, जो कि चंबा के रूमाल की कला को यहां प्रदर्शित कर रही हैं। उन्होंने बताया कि चंबा हिमाचल की खूबसूरत वादियों से घिरा ऐसा जिला है,जहां की महिलाएं घर में खाली बैठना पसंद नहीं करती और वे घर में अपना कोई ना कोई व्यवसाय शुरू कर देती हैं। फिर चाहे वे कोई व्यंजन बनाएं या कपड़े पर काशीदकरी, मेहनत करके आमदनी करना वहां की महिलाओं को खूब भाता है।
इंदु शर्मा ने अपनी मां-दादी से सूती कपड़े के रूमाल पर एंब्रायडरी करना सीखा और अब इसी कला को वह आगे बढ़ा रही है। रूमाल पर अधिकतर राजा-रानी, गुलाब का फूल, भगवान श्रीकृष्ण-राधा के चित्र बनाए जाते हैं। इंदु ने बताया कि एक छोटा सा रूमाल बनाने में भी आराम से एक सप्ताह का समय लग जाता है। जिसकी कीमत करीब एक सौ पचास रूपए है। चित्र को लकड़ी के घूमने वाले फ्रेम में लगा दिया जाए तो उसकी कीमत बढक़र चार से पांच हजार रूपए तक हो जाती है। करीब एक मीटर कपड़े पर राधा-कृष्ण की चित्रावली की कीमत चालीस हजार रूपए है। उसने बताया कि सुई धागे से यह चित्र तीन महीने में बनकर तैयार हुआ है। हाथ और आंख से काफी बारीक काम रूमाल पर किया जाता है। रूमाल पर यह काशीदकरी सहसा ही पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।