Faridabad News, 11 Feb 2020 : 34वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में जब बच्चें 12 मन की धोभन यानि बाइसकोप में फिल्मी गानों को देख मजा ले रहे थे तभी सांपला से मेले में पहुंचा ताऊ होशयार सिंह भावुक होते हुए बोले, वो भी घणा बढिय़ा टैम था अर मेले में आके मै फैर बालक हो गया। कुछ ऐसा ही नजारा था मंगलवार को जब बच्चों की टोली व छात्राओं ने सूरजकुंड मेले में पंजाब के भंठिडा जिले से बाइसकोप दिखाने वाले कृष्ण को घेर रखा था। बारी बारी से बाइसकोप का आनंद उठा रहे बच्चों की उत्सकता देख ताऊ होशियार सिंह की बीते जमाने की यादे ताजा हो गई। उन्होंने बताया कि मै, मेरे दोस्त रोशन, अमीलाल, देवी सिंह और सूरजभान भी जेठ की गर्मियांं मै भी बाइसकोप वाले कै पाछे पाछे फिरा कर दे, जब तो आनै आनै मै हम या फिल्म दैख्या करदै। उन्होंने कहा कि सूरजकुंड मेला हमारी लुप्त हो रही कला को बचाने व भावी पीढ़ी को उससे पहचान करवाने का सही मंच है। मेला देखने आए नवीन कुमार ने कहा कि जब उनका बेटा मोहि बाइसकोप देख रहा था तो मैने अजीब सी खुशी उसके चेहरे पर देखी। मै हैरान था कि दिनभर कार्टन या वीडियो गेम देखने वाले बच्चा इतना खुश है। यहां आकर मुझे बहुुत कुछ सीखने व अपनी सभ्यता से रूबरू होने का अवसर मिला।