Faridabad News, 29 Nov 2018 : मौसम में आई नमी और ठंड बढ़ने के साथ ही लोगों में सिरदर्द की शिकायतें सामने आने लगी है। सिर में तेज दर्द उठना और दवाई लेने पर ठीक हो जाना, सोने के समय में बदलाव होना आदि समस्याएं लेकर मरीज अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंच रहे है। सेक्टर-16ए स्थित मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रोहित गुप्ता ने यह जानकारी मरीजों को दी। उन्होंने कहा कि क्लस्टर सिरदर्द मौसम के बदलने पर होने वाला सबसे सामान्य प्रकार का सिरदर्द है।
डॉ. रोहित गुप्ता ने कि अस्पताल ओपीडी में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या पिछले एक महीने में 15 प्रतिशत बढ़ गई है। मरीज सिरदर्द की शिकायत लेकर पहुंच रहे है। उन्होंने कहा कि वैसे माइग्रेन की समस्या भी मौसमी मानी जाती है। इससे पीड़ित कई रोगी यह कहते हैं कि मौसम बदलने पर उनके नींद का पैटर्न प्रभावित होता है, जिससे सिरदर्द की समस्या और भी बढ़ जाती है।
मौसमी सिरदर्द के कारण
डॉ. रोहित गुप्ता ने बताया कि मस्तिष्क में स्थित इंटरल क्लॉक सार्कडियन रिदम को नियंत्रित करते हैं। हमारा इंटरनल क्लॉक दिन में होने वाली रोशनी के प्रति संवेदनशील होता और यह हमारी नींद के साइकल को नियंत्रित करने में मदद करता है। नींद के इस साइकल के बिगड़ने या बदलने से मौसमी सिरदर्द होने की आशंका बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि क्लस्टर हेडएक सिरदर्द की काफी गंभीर समस्या होती है जोकि इंटरनल क्लॉक के बदलने पर ट्रिगर होती है। कई लोग दिन की इस रोशनी के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं जोकि किसी रोगी को इस तरह से प्रभावित करते हैं कि उनके सिरदर्द का दिन भी समान होने लगता है।
बीमारी के लक्षण
आंखों के पीछे या आस-पास दर्द होने वाला दर्द बहुत पीड़ादायक होता है।
सिरदर्द दिन में कई बार कुछ हफ्तों और महीनों के लिए हो सकता है, जिसे क्लस्टर पीरियड कहा जाता है।
ऐसे बचे बीमारी से
इससे बचने के लिए रोगी सिरदर्द को एक डायरी में नोट करते रहें। इससे आपको इस बात का पता चल पाएगा कि आपका सिरदर्द मौसमी है या नहीं और इससे बचने में मदद मिलेगी।
आपके सिरदर्द का जो भी मौसम है उस दौरान इसके ट्रिगर से बचने की कोशिश करे। इसमें भोजन, तनाव, धूम्रपान, शराब, नींद पूरी न होना जैसे ट्रिगर शामिल हैं।
एलर्जी के प्रकार के अनुसार घर के बाहर की गतिविधियों पर रोक लगा दें। धूल और फफूंद आदि के संपर्क में आने से बचने की कोशिश करें।