सार्वभौमिक मानवीय मूल्य विषय पर 03 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

0
4595
Spread the love
Spread the love

Faridabad News, 27 May 2019 : एमवीएन विश्वविद्यालय, पलवल द्वारा सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 डा0 जे.वी. देसाई ने विषय विशेषज्ञ प्रो0 गोपाल बाबू को बुके प्रदान करके स्वागत करते हुए कहा कि सार्वभौमिक मानवीय मूल्य शिक्षा इस बात का प्रमुख निर्धारक है कि विद्यार्थी आत्मकेन्द्रित उद्देश्य के लिए या व्यापक सामाजिक और पर्यावरणीय अच्छाईयों के लिए प्रदान किये गये कौशल का कैसे उपयोग करता है। मानव मूल्य आधारित शिक्षा अच्छा मानवीय आचरण और समाज के विकास की सुविधा प्रदान करती है, अन्यथा शिक्षा अमानवीय आचरण, सामाजिक पतन एवं पर्यावरण क्षरण में परिणित हो जाती है। प्रो0 देसाई ने बताया कि सही समझ की कमी के कारण हम एक ऐसे बिन्दु पर पहुँच गये हैं जहां हम अपनी सामूहिक शिक्षा प्रणाली की समस्याओं जैसे कि प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, जानवरों के बिलुप्त होने, ग्लोबल वार्मिंग, आतंकवाद और यहां तक कि प्रथ्वी पर मानव जाति के लिए खतरे का परिणाम भी स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। इसलिए वर्तमान समय में सार्वभौमिक मानवीय मूल्य शिक्षा अत्यन्त ही आवश्यक हो गयी है, जिससे कि मानवीय विकास के साथ-साथ प्रकृति से भी सामंजस्य बना रहे।

कार्यशाला में प्रो0 गोपाल बाबू ने मूल्य आधारित शिक्षा की संकल्पना और उसकी आवश्यकता को विस्तार से बताते हुए कहा कि मानवीय मूल्य एवं तकनीकी मूल्य दोनों ही व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण और आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्यों के ज्ञान और समझ के बिना कोई भी व्यक्ति किसी के जीवन को एक दिशा नहीं दे सकता है। उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक व्यक्ति भूतकाल की पीड़ा, भविष्य की चिंता और वर्तमान से विरोध में जी रहा है, इसी कारण दुखी है। वर्तमान शिक्षा के साथ-साथ समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं क्योंकि वर्तमान शिक्षा केवल कौशल ही दे रही है, जबकि समझ वाला भाग कहीं छूट सा गया है। आज आवश्यक है कि हम पदार्थ, प्राण, जीव और ज्ञान को समझें एवं उनमें संतुलन बनाये रखें, जिससे प्रकृति में संतुलन और समाज में भयमुक्त वातावरण स्थापित हो सके। उन्होंने कहा कि शिक्षक का प्रमुख कार्य विद्यार्थियों को वास्तविकता से परिचय कराना है, जो नैतिक मूल्यों की शिक्षा से ही मिल सकती है। प्रो0 बाबू ने उचित समझ, मानव जीवन का लक्ष्य, समाधान, समृद्धि, अभय एवं सहअस्तित्व, अन्वेषण के सिद्धान्त, न्याय की अवधारणा, विश्वास, सम्मान, वात्सल्य, करूणा, ध्यान, संस्कार, दिशानिर्देश, श्रद्धा, कृतज्ञता, प्यार, आचरण, सुख, सही समझ एवं सही भाव, इच्छा, विचार, आशा, निरन्तरता, नैतिक मूल्य, आचरण के सिद्धांत, रूप, गुण, स्वभाव, धर्म, परम धर्म, ज्ञान, सह अस्तित्व आदि पर विस्तार से चर्चा की।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा0 राजीव रतन ने कार्यशाला में उपस्थित सभी विशेषज्ञों, अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सार्वभौमिक मानवीय मूल्य शिक्षा वास्तविकता में प्राकृतिक सिद्धांतों पर आधारित एकमात्र ऐसा विषय है जो ज्ञानवान समाज के सृजन में सहायक है।

कार्यशाला के अन्त में कार्यक्रम के संयोजक आलोक श्रीवास्तव ने सभी उपस्थित अतिथियों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण एवं अन्य कर्मचारीगण उपस्थित थे। कार्यशाला की समाप्ति पर डा0 राहुल वाष्र्णेय ने मुख्य वक्ता प्रो. गोपाल बाबू को प्रकृति के साथ सामंजस्य के उद्देश्य से पौधे का गमला भेंट किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here