Faridabad News, 18 Feb 2021 : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा के लिए भारतीय शिक्षण मण्डल एवं नीति आयोग के संयुक्त तत्वावधान में जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञ रणनीतिकार एवं भारतीय शिक्षण मण्डल के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री बी.आर. शंकरानंद मुख्य वक्ता रहे।
एक दिवसीय संगोष्ठी में आईओसीएल के पूर्व उपमहाप्रबंधक एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के उत्तर क्षेत्र संपर्क प्रमुख कृष्ण सिंघल मुख्य अतिथि रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. सुनील कुमार गर्ग तथा भारतीय शिक्षण मण्डल हरियाणा प्रांत मंत्री सुनील शर्मा भी उपस्थित थे।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता शंकरानंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश की संपूर्ण शिक्षा प्रणाली के भारतीयकरण की दिशा में बड़ा कदम है और इस बदलाव में भारतीय शिक्षण मण्डल सहयोगी की भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि नीति का मुख्य सार इसका अध्ययन आधारित परिणाम मूलक प्रारूप है, जिसमें शारीरिक स्वास्थ्य, देशभक्ति से पूर्ण सुदृढ़ मन, बौद्धिक रूप से जागरूक मस्तिक, आध्यात्मिक जुड़ाव और सामाजिक दायित्वबोध शामिल हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि नीति में निहित परिणामों को प्राप्त करने के लिए शिक्षकों को शिक्षण पद्वति में बदलाव करना होगा। विद्यार्थियों को पढ़ाने से ज्यादा उन्हें पढ़ने में सहयोग देने पर बल देना होगा। उन्होंने कहा कि जिस भाव को लेकर इस नीति का दस्तावेजीकरण किया गया है, उसी भाव में क्रियान्वित अब शिक्षकों द्वारा किया जाना चाहिए। इसलिए, नीति पर शिक्षकों द्वारा गहन चिंतन एवं संवाद जरूरी है। उन्होंने बताया कि देशभर से शिक्षकों द्वारा प्राप्त होने वाले सुझावों को नीति आयोग एवं शिक्षा मंत्रालय के समझ रखा जायेगा ताकि इसका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।
इससे पहले वीडियो संदेश में भारतीय शिक्षण मण्डल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर भारतीय शिक्षण मंडल ने देश भर में 33 करोड़ लोगों तक अपनी पहुंच बनाई। देश भर से प्राप्त सुझावों को समिति के समक्ष रखा जिसमें से लगभग 60 प्रतिशत सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शामिल किये गए हैं जोकि गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा नीति 2020 राष्ट्र के पुनरुत्थान में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति को बनाने से ज्यादा चुनौतिपूर्ण कार्य इसका क्रियान्वयन है, जिसमें शिक्षकों को अपनी भूमिका निभानी होगी।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कृष्ण सिंघल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति से ब्रिटिशकाल से चली आ रही शिक्षा प्रणाली समाप्त होगी जोकि दासता का बोध करवाती है। उन्होंने कहा कि इस नीति के क्रियान्वयन में भारतीय शिक्षण मंडल के साथ-साथ शिक्षक संघों को भी आगे आना होगा और भूमिका निभानी होगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर भारतीय शिक्षण मंडल की भूमिका की सराहना करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बनाने से लेकर क्रियान्वयन तक जिस तरह से व्यापक विचार-विमर्श हुआ है, यदि कृषि कानूनों को लेकर यह रणनीति अपनाई जाती तो किसानों के हित में लाये गये कानूनों को लेकर बेहतर समझ विकसित होती। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के सहयोग एवं पूर्ण सहभागिता से ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का परिणामकारक रूप में क्रियान्वयन संभव है। सत्र के अंत में कुलसचिव डा. सुनील कुमार गर्ग ने धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया।
इससे पहले कार्यक्रम में डीन गुणवत्ता प्रो. संदीप ग्रोवर ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा डाॅ. प्रदीप डिमरी ने प्रतिभागियों का स्वागत किया। संगोष्ठी का संयोजन प्रो. अरविन्द गुप्ता, डाॅ. सोनिया तथा डाॅ राजीव साहा द्वारा किया गया।
दूसरे सत्र में जिन विषयों पर चर्चा की गई, उनमें प्रो. संदीप ग्रोवर द्वारा शिक्षकों के गौरव एवं सम्मान विकसित करने पर, प्रो. तिलक राज द्वारा शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर, प्रो. अतुल मिश्रा ने शिक्षकों के प्रशिक्षण और विकास पर, जगदीश चौधरी ने शिक्षकों और छात्रों के भविष्य के विकास के लिए औद्योगिक भ्रमण, डाॅ. प्रदीप डिमरी ने सोसायटी आधारित अनुसंधानः समाज की बेहतरी के लिए एक रणनीति तथा प्रो. कोमल कुमार भाटिया ने जीवनपर्यंत अध्ययनः सफलता की कुंजी विषयों पर अपने विचार रखें।