डॉ. एम.पी सिंह ने कारागार में जवानों को सिखाए अनुशासन में रहने के गुर

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Faridabad News : एक जवान अपने देश और देशवासियों के सम्मान और सुरक्षा के लिए अपने तन-मन-धन से कुर्बान होने को तत्पर रहता है। लेकिन वह अपने कर्तव्यों को और अच्छे से समझ सके, इसी उद्देश्य से महानिदेशक कारागार हरियाणा पंचकूला के आदेशानुसार जिला कारागार फरीदाबाद में देश के जाने-माने शिक्षाविद् व मोटिवेशनल स्पीकर प्रोफ़ेसर एम.पी.सिंह ने एक सेमिनार का आयेाजन किया।
इस सेमिनार में नेशनल अवार्डी व चीफ वार्डन सिविल डिफेंस डॉ. एम.पी सिंह ने जवानों को अनुशासन में रहने के लिए वह अपनी ड्यूटी के प्रति सजग रहने के गर सिखाए। इस कार्यक्रम  में एस.पी, डीएसपी, एसीपी, इस्पेक्टर, सव- इंस्पेक्टर, एएसआई, जेल वार्डन, जेल निरिक्षक और जेलर उपस्थित रहे।
अनिल कुमार आईपीएस, एसपी नीमका जेल ने डॉक्टर एम.पी.सिंह का फुल बुके भेंट कर स्वागत किया। और डीएसपी कौशिक ने डॉ. सिंह का सफल आयोजन के लिए धन्यवाद किया।
इस अवसर पर प्रोफ़ेसर सिंह ने जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें अपने जीवन में जरूरत है प्रभावी बोलचाल के तरीकों को अपनाने की और व्यवहार कुशल होने की ताकि विषम परिस्थितियों पर आसानी से काबू पाया जा सके। उन्होंने कहा कि जेल में आने वाले सभी अपराधी नही होते है। लेकिन जेल के माहौल की वजह से कई बार निरपराध भी अपराधी बन जाते है।
जेल में आने के बाद उनके बोली भाषा और रहन-सहन में भी परिवर्तन आ जाता है। उनकी दिमागी हालत ठीक नहीं रहती है, कई बार वह अपने घर परिवार के बारे में सोचकर परेशान हो जाते है। कोई विधवा हो सकती हैं, या उन्हें कोई अन्य परेशानी भी हो सकती है। इसलिए जेल में कार्यरत कर्मचारी और अधिकारियों को अपने नैतिक दायित्व को निभाना चाहिए। क्योंकि सबसे पहले वह एक ह्यूमन बीइंग है, उन्हें स्थिति और परिस्थिति को समझना चाहिए। स्थिति और परिस्थिति को समझते हुए जो जेल में मिलने वाले आगंतुक होते हैं उनके साथ वही व्यवहार करना चाहिए।
सिंह ने कहा कि कैदियों के साथ ज्यादा मिलना भी ठीक नहीं होता है। ज्यादा घुलने मिलने के परिणाम विपरीत दिखाई पड़ते हैं हमें सभी का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि हम देश के रक्षक हैं और समाज के लोगों को हम पर विश्वास और भरोसा है, हमें विश्वास और भरोसे को चंद पैसों के लिए नहीं तोडऩा चाहिए। हमें ईमानदारी के साथ करना काम करना चाहिए और समर्पण के साथ काम करना चाहिए हमें बड़े अधिकारियों और छोटे लोगों के बीच सामंजस्य बैठा करके रखना चाहिए। देश के चिंतनशील व्यक्ति हैं इसलिए अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर उन्होंने जनहित और राष्ट्रहित में अनुकूल परिस्थितियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी नशा से दूर रहने की अपील की और गलत शब्दों का प्रयोग करने के लिए भी अनुरोध किया हम किसी भी काम को अनुशासन में रहकर सही भाषा का प्रयोग करते हुए बहुत बखूबी से निभा सकते हैं। जरूरी नहीं कि दंड प्रणाली को अपनाने के बाद ही सही परिणाम प्राप्त करें हमें अपने आप को सुधारने की जरूरत होती है। समाज अपने आप सुधर जाता है कोई भी इंसान जेल में आने के लिए तैयार नहीं होता है और ना ही पुलिस से पीटने की मंशा होती है। लेकिन स्थिति और परिस्थिति ऐसा समय लाकर पैदा कर देती है जिससे इंसान के पास कोई भी ऑप्शन नहीं रहता है।

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