February 19, 2025

शिक्षा विभाग को मिली शिक्षक दिवस पर आधुनिक तकनीक से लैस बैठक कक्ष की सौगात

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फरीदाबाद, 05 सितम्बर। फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक नरेन्द्र गुप्ता व उपायुक्त विक्रम ने संयुक्त रूप से आज सोमवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के आधुनिक तकनीक से नवनिर्मित बैठक कक्ष का लोकार्पण किया। बैठक कक्ष का निर्माण 17.84 लाख रुपये की धनराशि की लागत से हुआ। बैठक कक्ष के रूप में अध्यापकों को शिक्षक दिवस पर एक तोहफा दिया गया है। विधायक नरेंद्र गुप्ता ने कहा कि जिस तरह एक पक्की नींव ही ठोस और मजबूत भवन का निर्माण करती है, ठीक उसी प्रकार शिक्षक विद्यार्थी रूपी नींव को सुदृढ़ करके उस पर भविष्य में सफलता रूपी भवन खड़ा करने में सहायता करता है। एक शिक्षक ही है जो मनुष्य को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाता है और जीवन में सही और गलत को परखने का तरीका बताता है। कहा कि जाता है कि एक बच्चे के जीवन में उसकी मां पहली गुरु होती है, जो हमें इस संसार से अवगत कराती हैं। वहीं दूसरे स्थान पर शिक्षक होते है, जो हमें सांसारिक बोध कराते हैं।

उपायुक्त विक्रम ने कहा कि जिस प्रकार एक कुम्हार मिट्टी को बर्तन का आकार देता है, ठीक उसी प्रकार शिक्षक छात्र के जीवन को मूल्यवान बनाता है। शिक्षक से हमारा संबंध बौद्धिक और आंशिक होता है। प्रत्येक वर्ष डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। विश्व भर में शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है, लेकिन भारत में यह 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। यहीं कारण है कि हम एक माह पहले शिक्षक दिवस मनाते हैं। तमिलनाडु के तिरूतनी में जन्में सर्वपल्ली राधाकृष्णन का परिवार सर्वपल्ली नामक गांव से ताल्लुक रखता था। उनके परिवार ने गांव छोड़ने के बाद भी गांव के नाम को नहीं छोड़ा।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गाँव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी था। वे एक विद्वान ब्राह्मण थे और राजस्व विभाग में कार्य करते थे। इनकी माता का नाम सीताम्मा था। परिवार की पूरी जिम्मेदारी इनके पिताजी पर ही थी। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का बचपन गाँव में ही बीता। उनका पाँच भाई और एक बहन में दूसरा स्थान था। वर्ष 1903 में इनका विवाह अपनी दूर की रिश्तेदार लड़की सिवाकामू से साथ हुआ। विवाह के समय उनकी उम्र मात्र 16 वर्ष और उनकी पत्नी की उम्र मात्र 10 वर्ष थी। इनकी पत्नी ज्यादा पढ़ी-लिखी तो नहीं थी परन्तु तेलगु भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ थी। वर्ष 1908 में इन्होने एक पुत्री को जन्म दिया। डाक्टर राधाकृष्णन की पत्नी की मौत 1956 में हुई।

बैठक कक्ष के लोकार्पण के दौरान एडीसी अपराजिता, जिला शिक्षा अधिकारी मुनेष चौधरी, खण्ड शिक्षा अधिकारी आनंद सिंह सहित अन्य अधिकारी गण तथा शिक्षक मौजूद रहे।

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