हरियाणा में जल्द विकसित होगी इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग की ढांचागत सुविधाः डॉ हनीफ कुरैशी

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फरीदाबाद, 15 अप्रैल – हरियाणा में जल्द ही सभी प्रकार के इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करने के लिए ढांचागत सुविधा विकसित की जायेगी। राज्य सरकार द्वारा लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन देने और राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ बनाने के लिए एक इलेक्ट्रिक वाहन नीति तैयार की है। इस नीति में इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के लिए बेहतर बुनियादी सुविधा विकसित करने का प्रस्ताव है।

यह जानकारी हरियाणा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के महानिदेशक डॉ हनीफ कुरैशी ने आज जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद में ‘इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नवीन विकास’ (आईसीआरडीईईई 2022) पर आयोजित दो दिवसीय एआईसीटीई द्वारा प्रायोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए दी। वह सम्मेलन में मुख्य अतिथि थे। सम्मेलन की अध्यक्षता कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने की। सम्मेलन में आईआईटी दिल्ली से प्रो. भीम सिंह मुख्य वक्ता रहे।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. कुरैशी ने कहा कि भारत ने 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हरियाणा में पहले ही जैव-ऊर्जा नीति और सौर ऊर्जा नीति लागू है। उन्होंने कहा कि हरियाणा की इलेक्ट्रिक वाहन नीति न केवल स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देकर पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करेगी, बल्कि राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन के निर्माण के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित करेगी।
इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग सुविधाओं को नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू बताते हुए डॉ कुरैशी ने कहा कि देश में बढ़ते वाहनों के प्रदूषण को दूर करने के लिए ई-वाहन ही एकमात्र समाधान है। ई-वाहन को बढ़ावा देने के लिए पहला कदम राज्य में चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध कराना है और हरियाणा का नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग इस दिशा में लगातार काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में स्थापित किए जा रहे चार्जिंग स्टेशन सभी प्रकार के इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।

कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि अनुसंधान और नवाचार अधिक से अधिक समाज केंद्रित होते जा रहे हैं जोकि सीधे तौर पर देश के सतत विकास से जुड़ते है। इसलिए शिक्षण संस्थानों को उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में अनुसंधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं, तकनीकीविदों और शिक्षाविदों को अंतःविषय अनुसंधान और उभरती प्रौद्योगिकी पर चर्चा करने एवं सतत विकास के लिए स्मार्ट समाधान प्रदान करने के लिए इस तरह के सम्मेलन एक बेहतर मंच प्रदान करते है।

सत्र के मुख्य भाषण में प्रो. भीम सिंह ने ग्रिड इंटरएक्टिव फोटोवोल्टिक (पीवी) सिस्टम पर व्याख्यान दिया और भारत की वर्तमान सौर क्षमता और इसके भविष्य के लक्ष्यों पर चर्चा की। उन्होंने सोलर और ग्रिड के बीच उपलब्ध इंटरफेसिंग सिस्टम के प्रकारों के बारे में बताया।

इससे पहले सम्मेलन अध्यक्ष एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग की अध्यक्षा प्रो. पूनम सिंघल ने अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया। डीन एफईटी प्रो. एम.एल. अग्रवाल ने सम्मेलन के बारे में विस्तार से बताया और बताया कि सम्मेलन के दौरान चार आमंत्रित व्याख्यान होंगे और सम्मेलन के विषयों पर लगभग 50 शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। सम्मेलन में छात्रों और शोधार्थियों द्वारा एक परियोजना और पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है। सत्र के अंत में कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सम्मेलन का संयोजन डॉ साक्षी कालरा और श्री नितिन गोयल द्वारा किया जा रहा है।

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