Faridabad News : सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने हाईकोर्ट द्वारा नियमितिकरण की नीतियों को रद्द करने के निर्णय पर एजी हरियाणा व विधि परमार्शी (एलआर) की राय में विरोधाभास होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लाम्बा ने सरकार को चेताया की अगर अध्यादेश के जरिए हाईकोर्ट के निर्णय के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए प्रभावित कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित नही की तो सरकार को प्रदेश के कर्मचारियों के तीखे आक्रोश का सामना पड़ेगा । उन्होने कहा की सरकार के रवैयें की समीक्षा करने और आगामी आन्दोलन की घोषणा करने के लिए शनिवार को कर्मचारी भवन, रोहतक में प्रभावित कर्मचारियों के प्रतिनिधियों व सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की केन्द्रीय कमेटी के पदाधिकारियों एंव सदस्यों की मीटिंग बुलाई गई है। उन्होने यह चेतावनी बीके चौक स्थित जिला कार्यालय में आयोजित कार्यकारिणी की मीटिंग में बोलते हुए दी। जिला प्रधान अशोक कुमार की अध्यक्षता में आयोजित मीटिंग में प्रदेशव्यापी आन्दोलन के तहत 9 जुलाई को विधायक सीमा तिरखा व नागेन्द्र भडाना, 10 जुलाई को कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल व विधायक ललित नागर और 11 जुलाई को विधायक प. मूलचंद शर्मा व प. टेकचंद शर्मा को अध्यादेश लाने व नौकरी बचाने तथा कर्मचारियों की अन्य मांगों के ज्ञापन दियें जायेंगे । मीटिंग में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के वरिष्ठ उप प्रधान नरेश कुमार शास्त्री, जिला वरिष्ठ उप प्रधान गुरचरण खाडियां, सचिव युद्वबीर सिंह खत्री, बिजली यूनियन से सतपाल नरवत, रमेश तेवतियां, फूलमन, भूप सिंह, रोडवेज़ से रविन्द्र नागर, अध्यापक नेता मास्टर राज सिंह, खंड प्रधान करतार सिंह व सफाई कर्मचारी यूनियन के प्रधान बलबीर सिंह बालगुहेर, जिला प्रधान नानक चंद खयरालियां आदि उपस्थित थे।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के वरिष्ठ उप प्रधान नरेश कुमार शास्त्री ने ए.जी. व एलआर की विरोधाभासी राय पर हैरानी जताई है। उन्होने कहा की इससे यह भी स्पष्ट होता है कि इस विरोधाभास के ही हाईकोर्ट में केस की मजबूती से पेरवी न होने से ही नीतियों रद्द हुई है । महासचिव लाम्बा ने बताया की 11 जून को सकसं ने मुख्यमंत्री को अध्यादेश लाकर निर्णय के क्रियान्वयन पर रोक लगाने व विधानसभा में बिल पारित कर कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने और स्टेट ऑफ कर्नाटक सरकार बनाम ऊमा देवी केस में सुप्रीम कोर्ट के 10 अप्रैल, 2006 के निर्णय को निष्प्रभावी बनाने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेज कर संसद में पारित करवाने की मांग की थी। क्योंकि केन्द्र व राज्य मे पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार है। सीएम ने सकसं के सुझावों की सराहना करते हुए जल्दी जरूरी कदम उठाने का भरोसा दिया था। लेकिन अभी तक केवल एक कमेटी के गठन के अलावा कोई ठोस कार्यवाही अमल मे नही लाई गई है। जिसको कारण कर्मचारियों में आक्रोश व बैचेनी बढती जा रही है। उन्होने बताया की 7 जुलाई को सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा आन्दोलन तेज करने का निर्णय लेंगा।