टायफाॅयड से ग्रस्त गर्भवती महिला को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया गया: एशियन अस्पताल

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Faridabad News : बड़ौली निवासी 19 वर्षीय स्वेता को फरीदाबाद के एक अन्य निजी अस्पताल से दिनांक 13 दिसंबर 2017 को रात्रि 9 बजकर 14 मिनट पर एशियन अस्पताल में लाया गया था। मरीज की करीब 8 से दस दिन की बुखार व 2से 3 दिन से उल्टी व दस्त की शिकायत थी। एशियन अस्पताल में इलाज के दौरान पाया गया कि स्वेता 32 हफ्ते की गर्भवती है, उसे टायफाइड (टाइफी डाॅट पाॅजीटिवद्धहै। उसके गुर्दे अपर्याप्त काम कर रहे हैं। पेशाब में इन्फेक्शन है और मरीज को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है। मरीज की हालत को देखते हुए मरीज को तुरंत आईसीयू में दाखिल किया गया।

मरीज में सुधार होने पर और गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन नाॅर्मल देखते हुए मरीज को 16 दिसंबर 2017 को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। 17 दिसंबर रविवार को लगभग सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर प्रसव पीडा के कारण स्वेता को लेबर रूम में शिफ्ट किया गया; इस दौरान 4 से 5 घंटे तक बच्चे के दिल धड़कनों को माॅनीटर किया गया। बच्चे की धड़कन कमजोर होने लगी तो, मरीज की बीमारियों को ध्यान में रखते हुए मरीज की जान बचाने के लिए तुरंत सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दी गई, लेकिन मरीज के परिजनों ने लिखित रूप में सिजेरियन के लिए मना कर, नाॅर्मल डिलीवरी पर जोर दिया। स्वेता ने नाॅर्मल डिलीवरी के द्वारा रात्रि 9 बजकर 25 मिनट पर एक मृत बच्ची को जन्म दिया। बच्ची जन्मजात कमियों से ग्रस्त थी।

डिलीवरी के बाद सुबह पेट फूलना शुरू हुआ और पेट दर्द की शिकायत भी थी। इसके लिए शल्य चिकित्सक की सलाह ली गई और जांच के बाद आंत में छेद निश्चित होने पर 18 दिसंबर को एक्सप्लोरेट्री लेप्रोट्मी के द्वारा सर्जरी की गई। मरीज की हालत को देखते हुए सर्जरी के बाद मरीज को आईसीयू में वेंटीलेटर पर रखा गया।

मरीज के खून के पतला (डीआईसीद्ध होने के कारण खून के धब्बे शरीर पर बने। बीमारी ठीक करने के लिए रोजाना मरीज को प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, एफरेसिस सहित खून चढ़ाया गया। इलाज तथा हाई-एंटीबायोटिक देने के बावजूद भी दिन-ब-दिन मरीज की हालत बिगड़ती चली गई और मरीज के दूसरे अंग-प्रत्यंग जैसे फेफड़े, गुर्दे और लिवर भी प्रभावित हो गए। 24 दिसंबर 2017 को मरीज के परिजनों को मरीज को इलाज के लिए दूसरे सरकारी व प्राइवेट अस्पताल ले जाने का विकल्प दिया गया, जोकि उन्होंने लिखित रूप में अस्वीकार कर दी।

सारे इलाज के बावजूद भी मरीज की हालत में सुधार नहीं हुआ व मरीज 5 जनवरी 2018 रात्रि 11 बजकर 45 मिनट पर मरीज ने आखिरी सांस ली। हमारी तरफ से मरीज के इलाज में कोई कोताही नहीं बरती गई। इलाज के दौरान मरीज के इलाज में लगभग 18 लाख रूपये खर्च हुए, जिसमें से परिजनों ने 10 लाख 40 हजार रूपये जमा कराए। अस्पताल की तरफ से 7 लाख 60 हजार रूपये माफ कर दिए गए और शव ले जाने को कहा। इसके बावजूद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया और अस्पताल के स्टाफ के साथ मारपीट की, जिससे उन्हें मुँह, पीठ और छाती पर गंभीर चोटें आईं।

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