वार्ड बंदी पर आपत्ति दर्ज़ कराने की समय सीमा बढाई जाए : सेव फरीदाबाद

0
946
Spread the love
Spread the love

Faridabad News, 09 March 2022 : शहर की प्रमुख समाजसेवी संस्था सेव फरीदाबाद ने आज जिला उपयुक्त को पत्र देकर निगम की नयी वार्ड बंदी के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। अपने पत्र में संस्था ने वार्डबंदी को लेकर आपत्ति दर्ज़ कराने में समय सीमा बढ़ाने की मांग रखी है।

संस्था के अध्यक्ष पारस भारद्वाज ने वार्डबंदी के पूरे प्रकरण को राजीनिती से प्रेरित बताते हुए कहा कि सत्तापक्ष ने जनभावनाओं की आहुति देने का काम किया है।

फरीदाबाद की जनता के विकास को दरकिनार करते हुए इस वार्डबंदी का प्रारूप तैयार किया गया है जिसकी वजह से आज पूरे शहर में इस वार्डबंदी का विरोध हो रहा है। पारस ने पूरी प्रक्रिया पर सवालिया निशान उठाते हुए कहा कि वार्डबंदी का प्रकरण शहर के प्रत्येक नागरिक के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है परन्तु जिस तरह इसको चोरी छिपे पेश किया गया है उससे सत्तापक्ष के नेताओं और अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं। ना तो इस वार्डबंदी की कोई जानकारी आम जनता को मीडिया के माध्यम से दी गयी , ना ही निगम ने अपनी वेबसाइट पर इसके प्रारूप को प्रकाशित किया। यहाँ तक कि जिला उपयुक्त कार्यालय पर कोई नोटिस भी नहीं चिपकाया गया है जिससे कि फरीदाबाद का आम नागरिक इस वार्डबंदी की जानकारी सरलता से ले सके ।फरीदाबाद जनसँख्या के हिसाब से हरियाणा का सबसे बड़ा शहर है और इसमें सबसे ज़्यादा वार्ड बनने जा रहे हैं। ऐसे शहर के नागरिकों को आपत्ति जताने के लिए दिए गए दस दिन बहुत कम हैं क्योंकि शासन और प्रशासन ने जनता तक वार्डबंदी की जानकारी पहुंचाने के कोई गंभीर प्रयास नहीं किये हैं। पारस के अनुसार चाहिए तो यह था कि जिला उपायुक्त और आयुक्त नगर निगम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते और इस वार्डबंदी को मीडिया के माध्यम से जनता के सामने रखते, मुख्य अखबारों में यह प्रारूप सरल तरीके से छपता और इसका नक्शा भी निगम कार्यालय में उपलब्ध होता। एक सहायता केंद्र निगम और जिला आयुक्त कार्यालय में खोला जाना चाहिए था जहाँ कोई भी आम नागरिक वार्डबंदी को लेकर अपने संशय दूर कर सकता। परन्तु ऐसी जनहितैषी सोच ना तो सरकार की है और ना ही सम्बंधित अधिकारियों की। जगह जगह उठ रहे विरोधों का हवाला देते हुए सेव फरीदाबाद के सदस्य विंग कमांडर (सेवा निवृत्त ) सत्येंदर दुग्गल ने कहा कि वार्डबंदी करते हुए ना तो भौगोलिक स्थिति ना ही प्रशासनिक सुविधा का ध्यान रखा गया है।किसी मोहल्ले को दो हिस्सों में तो किसी को तीन हिस्सों में बेतुके तरीके से बांटा गया है। इससे यह पता चलता है कि यहाँ प्रक्रिया लोकतंत्र को मज़बूत बनाने के बजाय केवल जनता के संगठित विरोध को दबाने के षड्यंत्र से प्रेरित है और पार्टी विशेष को लाभ पहुंचाने की मंशा से की गयी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here