महिला टीचर को मिला किडनी ट्रांसप्लांट से नया जीवन

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Faridabad News, 13 March 2019 : सर्वोदय हॉस्पिटल सेक्टर- 8 में एन.आई.टी की रहने वाली 29 वर्षीय सोनिया को किड़नी प्रत्यारोपण के बाद नया जीवनदान मिला| जिसका श्रेय सर्वोदय हॉस्पिटल के वरिष्ठ किडनी रोग विषेशज्ञ डॉ. श्री राम काबरा और वरिष्ठ ट्रांसप्लांट सर्जन एवं मूत्र रोग विषेशज्ञ डॉ. तनुज पॉल भाटिया को जाता है |

पेशे से एक टीचर सोनिया को अपनी किडनी की बीमारी का पता वर्ष 2011 में उस वक्त चला जब उन्होंने अपनी शादी के एक साल बाद समय से पहले पैदा होने वाले बच्चे का जन्म हुआ| डिलीवरी के समय सोनिया का ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ गया था और बच्चे की भी आकस्मिक मृत्यु हो गयी|

इन सब के बावजूद भी सोनिया के ससुराल पक्ष ने उनकी बीमारी को अनदेखा किया और उसकी बीमारी बढ़ती गयी|

वर्ष 2014 आते – आते सोनिया की हालत और भी अधिक ख़राब हो गयी| तब उन्हें दिल्ली के एक हॉस्पिटल में ईलाज के लिए भर्ती किया गया और वहाँ डॉक्टर ने उन्हें डायलसिस करवाने की सलाह दी| उसके बाद सोनिया डॉ. श्री राम काबरा के संपर्क में आयी और वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक डायलसिस के सहारे चलती रही| इस दौरान उनकी पारिवारिक जीवन में भी काफी उथल – पुथल आयी परन्तु सोनिया ने हिम्मत नहीं हारी|

दिसंबर 2018 को सोनिया ने किडनी प्रत्यारोपण करवाने का फैसला लिया जिसमे उनका साथ उनकी माँ ने किडनी डोनेट करके दिया|

सर्वोदय हॉस्पिटल के वरिष्ठ ट्रांसप्लांट सर्जन एवं किडनी रोग विषेशज्ञ डॉ. श्री राम काबरा ने बताया कि ” यहां खास बात यह थी की सोनिया जिसका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था और उनकी माँ का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव था इसलिए इनका किडनी प्रत्यारोपण ए० बी० ओ० इनकॉम्पीटेबल तकनीक से हुआ जिसमे मरीज और डोनर के रक्त में मौजूद एंटी जेन और एंटी बॉडी दोनों को आपस में अनुकूल बनाया जाता है जिससे मरीज का शरीर डोनर की किडनी को अपने आप में स्वीकार कर ले | यह तकनीक उन मरीजों के लिए वरदान है जिनका किडनी ट्रांसप्लांट सिर्फ इसलिए नहीं हो पता था क्यूंकि उनके पास समान ग्रुप का डोनर नहीं होता था| अब कुछ विशेष दवाइयों और तकनीकों से भिन्न भिन्न ब्लड ग्रुप के मरीजों का भी किडनी ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है| इन जटिल किडनी प्रत्यारोपण में, एक विशेष प्रक्रिया की जाती है जिसके तहत प्राप्तकर्ता के रक्त प्लाज्मा से एंटीबॉडी निकाली जाती है जिसे प्लाज्माफेरेसिस कहा जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि किडनी प्राप्तकर्ता अन्य ब्लड ग्रुप के किडनी दानकर्ता से किडनी प्राप्त कर सकता है और हानिकारक एंटीबॉडी के कारण इसे अस्वीकार किए बिना उसके शरीर द्वारा स्वीकार किया जा सकता है| सर्वोदय अस्पताल में हमारे पास आधुनिक प्लाज्माफेरिस मशीनों में से एक है, जो सभी एंटी ब्लड ग्रुप एंटीबॉडी को प्रत्यारोपण से पहले और बाद में साफ कर सकती है | इस किडनी ट्रांसप्लांट प्रक्रिया में अगला चरण किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी को निर्धारित करना है और अगर बाद में ब्लड ग्रुप एंटीबॉडी बढ़ता है तो आखिर में ब्लड ग्रुप एंटीबॉडी को कम करने के लिए पोस्ट- ट्रांसप्लांट के लिए उपचार दिया जाता है

सर्वोदय हॉस्पिटल के वरिष्ठ ट्रांसप्लांट सर्जन एवं मूत्र रोग विषेशज्ञ डॉ. तनुज पॉल भाटिया ने बताया कि “आज के आधुनिक मेडिकल युग में किडनी रोग से पीड़ित मरीजों के अनेक ईलाज के रास्ते खुल चुके है जिनमे किडनी ट्रांसप्लांट एक बेहतर विकल्प हो सकता है| सर्वोदय हॉस्पिटल में किडनी प्रत्यारोपण को करने के लिए उपयुक्त तकनीक, आधुनिक आई० सी० यू० और किडनी रोग विषेशज्ञ और मूत्र रोग विषेशज्ञों की टीम उपलब्ध है| जिनके सामूहिक प्रयासों से मरीजों को बेहतर नतीजे मिलते है|

अस्पताल के निर्देशक डॉक्टर राकेश गुप्ता ने टीम को बधाई देते हुए कहा की सर्वोदय अस्पताल समाज कल्याण के लिए निरंतर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है इसलिए वो आधुनिकतम तकनिकी एवं रियायती दरों पर समाज के सभी वर्गों को लाभान्वित कर रहे है और इसी दिशा में वो आगे भी कार्यरत रहेंगे।

 

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