Faridabad News : सूबे के वजीर-ए-खजाना कैप्टन अभिमन्यु आज फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से तीन बार सांसद रहे मरहूम रामचंद बैंदा के निवास पर शोक जताने पहुंचे। कैप्टन अभिमन्यु ने श्री बैंदा के पुत्र दयानन्द बैंदा, भाई छोटूराम व जयपाल को ढांढस बंधाया। उन्होंने श्री बैंदा के निधन को पार्टी के एक मजबूत पिलर के ढहने व उनके स्वयं के संरक्षक का खोना बताया।
श्री बैंदा के साथ राजनैतिक सफर की यादों को ताजा करते हुए कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि वर्ष 1996 में वह श्री बैंदा के सम्पर्क में आए थे और पहली मुलाकात के दौरान ही वह श्री बैंदा के व्यक्तित्व के मुरीद हो गए थे। श्री बैंदा एक राजनेता होते हुए भी एक स्पष्ट वक्ता थे जोकि राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े किसी व्यक्ति में ऐसा गुण होना स्वभाविक नहीं था। जो बात जुबान पर आती थी उसको वह अवश्य बयां करते थे चाहे किसी को अच्छा लगे या बुरा। उन्होंने बताया कि श्री बैंदा व्यक्तिगत व राजनैतिक जीवन में काफी प्रक्टिकल नजर आते थे। वह हमेशा अपने स्वयं की बजाय पार्टी हितों को सर्वोपरि मानते थे और यही कारण है कि वर्ष 1996 में पहली बार लोकसभा का टिकट मिला और आम कार्यकर्ता के बीच सजह मेल-जोल कर विजय हासिल की। उन्होंने बताया कि वह राजनैतिक जीवन में भी समाज सेवा की भावना को लेकर चलते थे। तीन बार सांसद रहते हुए उन्होंने किसी वर्ग विशेष की हिमायत न कर सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा और उनके बीच सामंजस भी स्थापित करके रखा। इस दौरान उन्होंने बल्लभगढ़ के पूर्व विधायक राजेन्द्र बीसला से यादों को ताजा करते हुए बताया कि आज जो कुछ भी वह व उनका परिवार है वह सभी कुछ आर्य समाज की देन है। आज से 51 वर्ष पूर्व उनके पिता स्व. चौ. मित्रसेन आर्य ने उड़ीसा के नक्सल प्रभावित काली हांडी जिले में आदिवासी लोगों के बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाकर गुरूकुल की स्थापना की थी और 14 वर्ष पूर्व उक्त गुरूकुल को नक्सलियों ने आग के हवाले भी कर दिया था किन्तु बावजूद इसके उक्त गुरूकुल में अध्ययन कार्य जारी रखा गया और आज खुशी की बात है कि उक्त गुरूकुल से हजारों की तादाद में आदिवासी बच्चे शिक्षा ग्रहण कर देश व समाज की सेवा में है। उनके साथ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री संदीप जोशी, प्रदेश चेयरमैन सुरेन्द्र तेवतिया, जिला भाजपा अध्यक्ष गोपाल शर्मा, भाजयुमो के पूर्व राष्ट्र कोषाध्यक्ष यशबीर डागर, वजीर सिंह डागर व युवा नेता आशुतोष भी शोक जताने पहुंचे।