February 22, 2025

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद ने 36 वर्षीय मरीज़ को दिया नए जीवन का उपहार

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Faridabad News, 28 Dec 2018 : फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद के डॉक्टरों ने सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल 36 वर्शीय एक मरीज़ को चमत्कारिक रूप से जीवनदान दिया है। मरीज़ श्रीमती ममता करवाचौथ (27 अक्टूबर, 2018) को बाजार जाने के लिए घर से बाहर निकलीं कि अचानक एक बस ने उन्हें टक्कर मार दी। त्योहार और उत्सव का अवसर देखते ही देखते ममता के पति और उनके तीन बच्चों के लिए भयावह सपने में बदल गया। अगले एक महीने के दौरान ममता को डॉ. सुप्रदीप घोश, निदेषक एवं प्रमुख, क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग और डॉ. विजेंद्र गुप्ता, वरिश्ठ सलाहकार, जनरल सर्जरी विभाग, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद की देखरेख में रखा गया। उससे आगे का महीना और भी मुष्किल साबित हुआ, न सिर्फ परिवार के लिए बल्कि डॉक्टरों के लिए भी।
श्रीमती ममता को नांगला रोड पर बस की टक्कर के बाद 27 अक्टूबर, 2018 को इमरजेंसी डिपार्टमेंट में लाया गया। अस्पताल में भर्ती कराए जाने पर ममता सदमे में थीं। नब्ज़ और ब्लड प्रेषर रिकॉर्ड किए जाने लायक नहीं होने के कारण वह पीली पड़ गई थीं। उन्हें आईवी फ्लूइड और एनलजेसिक्स के रूप में आपातकालीन उपचार दिया गया। इमरजेंसी डिपार्टमेंट में तत्काल यूएसजी किया गया जिससे बाईं ओर कई पसलियों में टूट के साथ पेट में ग्रॉस फ्लूइड के साथ टूटी हुई स्प्लीन के बारे में जानकारी मिली। उपरोक्त गंभीर चोटों को देखते हुए मरीज़ को  तत्काल ओटी में रखा गया। एक्सप्लोरेटरी लैप्रोटॉमी से पता चला है कि उनकी स्प्लीन टूटी हुई थी जिससे उनके पेट में चार लीटर खून भर गया था। उनकी छोटी आंत को भी नुकसान पहुंचा था। इसलिए छोटी आंत के 5 फीट के साथ स्प्लीन को निकाल दिया गया। छाती में खून को देखते हुए छाती के बाएं हिस्से से एक चेस्ट ट्यूब डाली गई और 500 मिली खून निकाला गया।
6 यूनिट खून चढ़ाया गया और मरीज़ को आईसीयू में रख दिया गया। षुरूआती ऑपरेषन के 4 घंटे बाद ही चेस्ट ट्यूब से खून बाहर निकलना षुरू हो गया इसलिए 6 यूनिट खून और चढ़ाया गया, हालांकि चेस्ट ट्यूब से खून का रिसाव जारी रहा और मरीज़ की स्थिति लगातार बिगड़ती ही जा रही थी। इसलिए आपातकालीन थोरैकोटॉमी करने का निर्णय लिया गया और मरीज़ को ऑपरेषन थिएटर में रखा गया। आपातकालीन थोरैकोटॉमी की गई और खून की दो नसों को बांध दिया गया जिससे रक्तस्राव नियंत्रित किया गया। मरीज़ को वेंटिलेटर पर आईसीयू में रखा गया और समय-समय पर खून चढ़ाया गया। कुछ मिलाकर 24 यूनिट खून चढ़ाया गया।  दूसरी सर्जरी के बाद ममता में सुधार के लक्षण दिखने षुरू हो गए।
हालांकि ऑपरेषन के बाद के चरण में एक सप्ताह में उनमें बुखार और पेट में फैलाव के लक्षण दिखने षुरू हो गए। एक सीटी स्कैन किया गया जिसमें इंटेस्टाइन में कुछ परेषानी का पता चला। ममता में सेप्सिस का खतरा था और उन्हें तीसरे ऑपरेषन की जरूरत थी जिसे 9 नवंबर, 2018 को किया गया। उनका पेट मवाद और गट गैंगरीन से भर गया था। परिणामस्वरूप चार फीट गट निकाला गया और पस को भी निकाला गया। ममता को इसके बाद आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया। धीरे-धीरे वह सेप्सिस से बाहर निकलने लगीं और उन्हें वार्ड में रखा गया और आखिरकार उन्हें 23 नवंबर, 2018 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉ. विजेंद्र गुप्ता, वरिश्ठ सलाहकार, जनरल सर्जरी विभाग, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने कहा, ’’यह अत्यधिक चुनौतीपूर्ण और अनोखा मामला है। ममता के सुरक्षित बचने की संभावना बहुत ही मामूली थी। हालांकि हमने उम्मीद नहीं छोड़ी। हमने हर वक्त उन पर काम किया और बगैर थके प्रयास किया। अपने तरीके से वह मजबूत बनी रहीं और हार नहीं मानी। क्रिटिकल केयर टीम और जनरल सर्जरी विभाग ने उनका जीवन बचाने के लिए मिलजुलकर काम किया। डायग्नॉस्टिक्स के लिहाज से यह एक मुष्किल मामला था। हालांकि तत्काल और अलग-अलग टीमों द्वारा आपसी सहयोग के साथ समय से काम करने के कारण हम उनका जीवन बचा सके।’’
डॉ. सुप्रदीप घोश, निदेषक एवं प्रमुख, क्रिटिकल केयर मेडिसिन, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने कहा, ’’ममता को कई दिनों तक चली विभिन्न जटिलताओं को तेजी से समझकर बचाया जा सकता था। इंटेंसिव केयर टीम द्वारा तेजी से किए गए प्रयासों के बाद सर्जिकल टीम द्वारा किए विषेशज्ञ प्रयास किए गए। हमारे हॉस्पिटल ब्लड बैंक टीम द्वारा उत्कृश्ट समर्थन मुहैया कराया गया। कुल मिलाकर यह डॉक्टरों और नर्सों का सामूहिक प्रयास था जिससे सुखद अंत हुआ। तीन छोटे बच्चे यह उत्कृश्ट सामूहिक प्रयास और भगवान की मदद से अपनी मां को मौत के षिकंजे से वापस पाकर बेहद खुष हैं।’’
श्री हरदीप सिंह, जोनल निदेषक, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने कहा, ’’ऐसे मामले बहुत मुष्किल होते हैं। हालांकि सुधार की संभावना 0.1 फीसदी होने पर भी हम जो कर सकते हैं वो करते हैं। इस मामले में विभिन्न विषेशज्ञताओं वाले डॉक्टरों की कई टीमों ने ममता की मदद के लिए अपने प्रयास और ऊर्जा केंद्रित किए। यह मामला बहुत ही अनिष्चित था लेकिन ममता इससे बाहर निकलीं। उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने बच्चों और पति को देखने के लिए अपनी जिंदगी के लिए लड़ाई लड़ी। अब वह अपने परिवार के समर्थन के साथ सुधार की दिषा में बढ़ रही हैं।’’
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक भारत में हर दिन 821 सड़क संबंधी दुर्घटनाएं होती हैं यानी 34 मौत प्रति घंटे होती हैं। भारत में होने वाली 9 मौतों में से एक दुर्घटना संबंधी होती है। भारत सरकार के आंकड़े दर्षाते हैं कि 2016 से 2017 के बीच सड़क दुर्घटनाओं में 3 फीसदी की गिरावट आई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकार और नियामकीय संस्थाओं ने बेहतर ट्रैफिक नियमों, सड़क सुरक्षा नियमों और बुनियादी ढांचा विकास की योजनाओं और सुधार का जिम्मा ले लिया है।
फोर्टिस हैल्थकेयर लिमिटेड के बारे में
फोर्टिस हैल्थकेयर लिमिटेड  भारत में अग्रणी एकीकृत स्वास्थ्य सेवा प्रदाता है। कंपनी की स्वास्थ्य सेवाओं में अस्पतालों के अलावा डायग्नॉस्टिक एवं डे केयर स्पेष्यलिटी सेवाएं षामिल हैं। फिलहाल कंपनी भारत समेत दुबई, मॉरीषस और श्रीलंका में 45 हैल्थकेयर सुविधाओं समेत (इनमें वे परियोजनाएं भी षामिल हैं जिन पर फिलहाल काम चल रहा है), करीब 10,000 संभावित बिस्तरों और 378 डायग्नॉस्टिक केंद्रों का संचालन कर रही है।

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