स्पार्क के नाम रहा चौथा मित्सुबिशी इलेक्ट्रिक कप

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Faridabad News, 16 Feb 2019 : मानव रचना शैक्षणिक संस्थान में दो दिन तक चले चौथे मित्सुबिशी इलेक्ट्रिक कप को पुणे के डीकेटीई सोसाइटी टेक्सटाइल एंड इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट के छात्रों ने अपने नाम किया, दूसरे नंबर पर निरमा यूनिवर्सिटी का प्रोजेक्ट CON-SOL-E-3.0 और तीसरे नंबर पर कुमिन्स कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग फॉर वुमेन का प्रोजेक्ट एमिनेंस रहा। विजेता टीम को मित्सुबिशी की ओर से एक सर्प्राइज गिफ्ट भी दिया गया, जिसमें उन्हें आठ दिन का जापान ट्रिप स्पॉन्सर किया गया है। इसमें वह चार दिन के लिए मित्सुबिशी जापान कोर्पोरेशन में ट्रेनिंग भी करेंगे। इस दौरान पंद्रह एप्रिसिएशन अवॉर्ड्स भी दिए गए।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे एआईसीटीई के वाइस चेयरमैन डॉ. एमपी पूनिया ने सभी छात्रों की हौसला अफजाई की। उन्होंने इस दौरान नालंदा यूनिवर्सिटी का जिक्र किया। उन्होंने बताया, भारत की नालंदा यूनिवर्सिटी में नौ फ्लोर की लाइब्रेरी है जो कि विश्व में कहीं नहीं है, उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि यह 1500 साल पहले की बात है, इससे आप समझ सकते हैं कि भारत के लोगों को कितना ज्ञान है। उन्होंने कहा कि, हमारे देश में सबसे ज्यादा युवा हैं, हमारे पास यंग टैलेंट का भंडार है। उन्होंने सभी शिक्षकों से अपील की, वह क्लास में अपने पाठ्यक्रम को लेकर पूरी तरह से तैयार होकर जाएं, क्योंकि शिक्षकों द्वारा दिया गया ज्ञान इस दुनिया का कोई भी रबड़ (इरेजर) नहीं मिटा सकता।

कार्यक्रम में मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत भल्ला, एमआरआईआईआरएस के वीसी डॉ एनसी वाधवा, एमआरयू के वीसी डॉ. आईके भट्ट, एमडी डॉ. संजय श्रीवास्तव, एमआरआईआईआरएस के प्रो-वीसी डॉ. एमके सोनी, मित्सुबिशी की ओर से मासानोरी तानीमोटो, सतोशी मिजोगामी, कातसुनोरी ऊशिको, राजीव शर्मा, हेमंत ठाकुर, विक्रम ठाकुर समेत कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

इससे पहले, कॉलेज में रोबो लैब का भी उद्घाटन किया गया। यह मित्सुबिशी का पहला रोबोट है जो उत्तर भारत में सबसे पहले मानव रचना शैक्षंणिक संस्थान के छात्रों के लिए स्थापित किया गया है। यह मित्सुबिशी का सबसे छोटा रोबोट है, जिसका वजह दो किलो है और यह 70 किलो वज़न उठाने में सक्षम है। जापान और भारत से आए गणमान्य व्यक्तियों द्वारा कैंपस में पौधारोपण भी किया गया।

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