आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ की महिला आबादी का करीब 76 प्रतिशत एनीमिया ग्रस्त है, जोकि अन्य पड़ोसी राज्यों के मुकाबले कहीं अधिक है। नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार यहां छह से 59 माह तक की आयु वर्ग के 73 फीसदी बच्चे एनीमिया का शिकार हैं। जिसके चलते भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के अंतर्गत चल रहे भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने वल्र्ड बैंक के साथ मिलकर हील फांउडेशन के सहयोग से बुधवार को चंडीगढ़ में ईट राइट, ईट फोर्टिफाइड (सही खाओ,फोर्टिफाइड खाओ) अभियान शुरू किया। यह अभियान चंडीगढ़ के अलावा हरियाणा व पंजाब में भी चलाया जाएगा।
एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने आज यहां आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन के प्रथम एक हजार दिनों में पोषण का महत्व, अधिक नमक, चीनी और वसा वाली चीजों का कम सेवन और खाद्य सुरक्षा जैसी महत्व की चीजों को भी इसमें शामिल किया गया है। क्योंकि अधिकतर लोग फूड फोर्टिफिकेशन और इसके स्वास्थ्य लाभ से अनजान हैं। उन्होंने कहा कि फूड फोर्टिफिकेशन एनीमिया जैसी सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से लडऩे के लिए एक ठोस रणनीति है।
आज यहां आयोजित की गई कार्यशाला में मौजूद बुद्धिजीवियों, प्राध्यापकों, चिकित्सकों, खाद्य परामर्शदाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा एफएसएसएआई ने बीती दस जुलाई से देशव्यापी ईट राइट इंडिया नामक देशव्यापी अभियान शुरू किया है। जिसके तहत आज से चंडीगढ़, हरियाणा व पंजाब को कवर किया जाएगा।
इस अवसर पर बोलते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग पंजाब के खाद्य सुरक्षा आयुक्त के.एस. पन्नू ने कहा कि वर्ष 1990 से 2016 तक भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। पंजाब में मृत्यु के पहले दस बड़े कारणों में से एक दिल की बीमारी शामिल है। उन्होंने कहा कि ईट राइट इंडिया अभियान के तहत दैनिक आहार में वसा, नमक और चीनी की मात्रा कम करके जीवन शैली में बदलाव लाया जा सकता है। पंजाब सरकार इस दिशा में बहुत जल्द धरातल पर कार्रवाई शुरू करने जा रही है।
इस अवसर पर बोलते हुए शिक्षा एवं महिला एवं बाल विकास विभाग चंडीगढ़ के सचिव बी.एल. शर्मा ने बताया कि चंडीगढ़ प्रशासन ने स्वेच्छा से अपने आईसीडीएस और एमडीएम कार्यक्रमों के माध्यम से चावल फोर्टिफिकेशन शुरू किया है। जिससे एक लाख लोगों को लाभ पहुंच रहा है। भविष्य में इसका विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गलोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट 2017 के अनुसार पांच वर्ष से कम उम्र के 38 फीसदी बच्चे अल्पविकसित हैं और 21 फीसदी पूरी तरह से बेकार हैं। दूसरी तरफ प्रजनन क्षमता की आयु वाली 51 फीसदी महिलाओं में रक्त की कमी और 22 फीसदी महिलाओं में जरूरत से अधिक वजन पाया गया है। इसलिए फोर्टिफाइड फूड अपनाने से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
इस अवसर पर बोलते हुए विश्व बैंक की सीनियर न्यूट्रीशन आशी कोहली कथूरिया ने कहा कि जीवन के शुरूआती दिनों में पोषण औश्र जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तब पोषण का पूरे पर असर रहता है।इस अवसर पर बोलते हुए चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग के निदेशक एवं खाद्य सुरक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ.जी.दीवान ने कहा कि फूड फोर्टिफिकेशन को अपनाने से जीवन में कोई बदलाव नहीं आता है। चंडीगढ़ इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए पवन अग्रवाल ने कहा कि कुपोषण के मामले में चंडीगढ़ की वास्तविक स्थिति बेहद चौंकाने वाली है। जिसके चलते दिल्ली में इस अभियान को शुरू करने के बाद सबसे पहले चंडीगढ़ वासियों को जागरूक करने के लिए इस शहर का चयन किया गया है।
कैसे करें फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों की पहचान
कार्यशाला के दौरान एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने बताया कि खुले बाजार में फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों की पहचान के लिए अंग्रेजी में ए व +एफ नामक कोड अधिसूचित किया गया है। मार्केट में इस कोड वाले खाद्य पदार्थों की उपलब्धता धीरे धीरे बढ़ रही है। हालांकि वर्तमान में फूड फोॢटफिकेशन स्वेच्छा पर निर्भर है। इसे अनिवार्य किए जाने पर धीरे-धीरे स्वीकार्य बनाया जा रहा है।