फरीदाबाद, 04 मई 2022 : मेरा नाम संजय है मैं मूलतः झांसी, उत्तर प्रदेष का रहने वाला हूँ। मेरे पिता एक किसान है। घर की परिस्थिति इतनी अच्छी न होने के कारण कक्षा 5 के बाद मैं पढ़ाई नहीं कर पाया। बचपन में एक गलत इन्जैक्सन लगने के कारण मेरा एक पैर खराब हो गया जिसके कारण मुझे सीधा खडे़ होने और चलने में दिक्कत होती है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मैं अब क्या करूं। बड़ी कोषिषों और मिन्नतों के बाद मुझे एक लौहे की फेक्ट्री में काम करने का मौका मिला जहां गैस के चूल्हे बनते थे। लेकिन ज्यादा पढ़ाई न होने के कारण मैं वहां एक सहायक के तौर पर काम करने लगा। कई वर्षों तक काम करने के बाद भी मुझे वहां 7000 रूपये ही मिलते थे। मुझे निराषा ने घेरना षुरू कर दिया।
फिर एक दिन मुझे मेरे एक दोस्त अषोक ने साई धाम के बारे में बताया। उसने मुझे बताया कि साई धाम एक ऐसी संस्था है जहां बिना किसी फीस के ऐसे कोर्सज कराये जाते है जिससे हम एक अच्छा भविष्य बना सकते हैं। मैं भी इसी उम्मीद के साथ साई धाम में आया। यहां आकर मैं वोकेषनल सेंटर में कमल से मिला उन्होंने मुझे भरोसा दिलाया कि मैं भी एक अच्छा भविष्य बना सकता हूँ। मैंने यहाँ सिलाई का कोर्स जॉइन किया। सिर्फ 45 दिन के कोर्स के बाद मुझे साई बाबा का आषीर्वाद प्राप्त हुआ। मुझे साई धाम से ही एक प्लेसमेन्ट मिला। जहां आज मुझे हर दिन का 2000 रूपये मिलता है। मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कुछ कर सकता हॅंू। मैं चाहे कितनी भी सफलता प्राप्त कर लूं। पर साई धाम ने जो मुझे पंख दिये हैं उन्हें मैं कभी नहीं भूल सकता हूँ। मैं डा. मोतीलाल गुप्ता, बीनू षर्मा, सीमा गुलाटी और कमल को ढेरों षुभकामनाऐं देता हूँ जो मेरे जैसे विफल को सफल बना रहे हैं।