Faridabad News, 17 June 2021 : भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने आज हुई प्रेस कांफ्रेंस में सोने के आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किग की विस्तृत जानकारी सांझा की। सोने के आभूषणों पर अनिवार्य हॉलमार्किंग 16 जून 2021 से लागू की गई है।
बीआईएस के महानिदेशक श्री प्रमोद कुमार तिवारी ने अनिवार्य हॉलमार्किंग के विभिन्न पहलुओं का जानकारी देते हुए बताया कि अनिवार्य हॉलमार्किंग की शुरूआत देश के उन 256 जिलों में की गई है जिनमें एसेयिंग एवं हॉलमार्किंग केन्द्र हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि जिन ज्वैलरों का वार्षिक टर्नओवर 40 लाख रूपए तक हैं उन्हें अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट दी गई है। भारत सरकार की व्यापार नीति के अनुसार ज्वैलरी के निर्यात और पुर्नआयात – अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों के लिए ज्वैलरी, सरकार द्वारा अनुमोदित बी2बी घरेलू प्रदर्शनियों के लिए ज्वैलरी- को भी अनिवार्य हॉलमार्किंग से मुक्त रखा गया है। घडि़या, फाउंटेन पेन और विशेष प्रकार की ज्वैलरी जैसे कुंदन, पोल्की और जदायू को भी अनिवार्य हॉलमार्किंग से मुक्त रखा गया है।
ज्वैलरों का एक बार पंजीकरण होगा और उनसे पंजीकरण के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। बहुमूल्य धातु की वस्तुओं की बिक्री करने वाले हर एक निर्माता, आयातक, थोक विकेता, वितरक या खुदरा विक्रेता को अनिवार्य रूप से बीआईएस के साथ पंजीकृत होना होगा। तथापि, कारीगरों अथवा ज्वैलरों के लिए जॉब वर्क आधार पर सोने के आभूषणों का निर्माण करने वाले निर्माताओं तथा जो इस श्रृंखला में किसी के साथ बिक्री के लिए सीधे तौर पर नहीं जुडे़ है उनको पंजीकरण से मुक्त रखा गया है।
हॉलमार्क बिक्री के फर्स्ट प्वांइट पर किया जाएगा जो कि निर्माता, थोक विक्रेता, वितरक या खुदरा विक्रेता हो सकता है। ज्वैलर पर शुद्धता की जिम्मेदारी के साथ हॉलमार्क ज्वैलरी में 2 ग्राम तक के बढ़े या घटे बदलाव (alteration) की अनुमति होगी।
ज्वैलर्स की हमेशा से हॉलमार्किंग के लिए सोने की शुद्धता के ग्रेड को बढ़ाने की मांग रही है। इसे देखते हुए हॉलमार्किंग के लिए अतिरिक्त कैरेट यानी 20, 23 और 24 कैरेट के सोने की हॉलमार्किं की भी अनुमति होगी।
यह स्पष्ट किया गया कि घरों में उपलब्ध पुराने बिना हॉलमार्क वाले आभूषण ज्वैलर्स को बेचे जा सकते हैं। ज्वैलर्स उपभोक्ता से बिना हॉलमार्क के पुराने सोने के आभूषण वापस खरीदना जारी रख सकते हैं। यदि ज्वैलर द्वारा संभव हो या पिघालने और नए आभूषण बनाने के बाद पुराने आभूषणों पर हॉलमार्क किया जा सकता है। योजना के कार्यान्वयन के दौरान संभावित रूप से आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए सभी स्टेकहोल्डरों , राजस्व अधिकारियों और विधि विशेषज्ञों के प्रतिनिधियों की एक समिति गठित की जाएगी।
भारतीय मानक ब्यूरो की हॉलमार्किंग योजना के तहत ज्वैलर्स को हॉलमार्क वाले आभूषण बेचने और परीक्षण तथा हॉलमार्किंग केंद्रों को मान्यता देने के लिए पंजीकृत किया जाता है। बीआईएस (हॉलमार्किंग) विनियम 14.06.2018 से लागू किया गया था। हॉलमार्किंग से उपभोक्ता सक्षम होगें जैसे आभूषण का खरीदार सही चुनाव कर सकेगा और सोना खरीदते समय उन्हें किसी भी तरह का अनावश्यक भ्रम नहीं होगा।
सोने के आभूषणों की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए आभूषणों या शिल्पाकृतियों की हॉलमार्किंग और उपभोक्ता संरक्षण के लिए सोने की मुहरांकित शुद्धता/महीनता के लिए तीसरे पक्ष के आश्वासन के माध्यम से उपभोक्ता संतुष्टि की आवश्यकता रही है । यह कदम भारत को विश्व के एक प्रमुख स्वर्ण बाजार केंद्र के रूप में विकसित करने में भी सहायक होगा।
यह देखा गया है कि पिछले पांच वर्षों में एसेयिंग एवं हॉलमार्किंग केंद्रों में हर साल 25% की वृद्धि हुई है। पिछले पांच वर्षों में एसेयिंग एवं हॉलमार्किंग केंद्रों की संख्या 454 से बढ़कर 943 हो गई है। वर्तमान में 943 एसेयिंग एवं हॉलमार्किंग केंद्र प्रचालित है। इसमें से 84 एएचसी विभिन्न जिलों में सरकारी सब्सिडी योजना के तहत स्थापित किए गए हैं।